सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव से माफीनामे पर पूछा सवाल, लगता है मेरी बात आप तक…, जज को मुकुल रोहतगी ने दिया ये जवाब
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा समाचार पत्रों में प्रकाशित बिना शर्त सार्वजनिक माफी में “उल्लेखनीय सुधार” की मंगलवार को सराहना की. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानउल्लाह की पीठ ने रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की ओर से न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा कि माफी की भाषा ठीक है और उनमें नाम भी मौजूद हैं.
न्यायमूर्ति अमानउल्लाह ने कहा, “मैं नहीं जानता कि दूसरा माफीनामा किसकी पड़ताल पर है. इसमें उल्लेखनीय सुधार हुआ है.” उन्होंने कहा, “हम इसकी सराहना करते हैं. अब आखिरकार वे समझ गए.” उन्होंने कहा कि इससे पहले जब माफी प्रकाशित की गई थी तब केवल कंपनी का नाम ही उसमें दिया गया था. न्यायमूर्ति अमानउल्लाह ने कहा, “अब नाम भी छपे हैं. यह एक उल्लेखनीय सुधार है, हम इसकी सराहना करते हैं. भाषा भी ठीक है.”
सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने औषधि कंपनी के वकील से पूछा कि समाचार पत्रों में प्रकाशित माफी को उन्होंने डिजिटल माध्यम से क्यों दाखिल किया, जबकि 23 अप्रैल को न्यायालय ने विशेष रूप से कहा था कि मूल प्रति दाखिल करनी है. न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, “यह हमारे आदेश का अनुपालन नहीं है.” न्यायमूर्ति अमानउल्लाह ने कहा, “श्रीमान रोहतगी, लगता है मेरी बात आप तक नहीं पहुंच पाई.. हद हो गई.”
पीठ ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि पतंजलि के वकील ने स्वीकार किया है कि न्यायालय द्वारा पारित आदेश को समझने में गलतफहमी हुई और जिन समाचार पत्रों में माफीनामा प्रकाशित किया गया है, उनमें से प्रत्येक के मूल पृष्ठ दाखिल करने के लिए एक और अवसर दिया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, “रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि यह दस्तावेज दाखिल किये जाने पर उसे स्वीकार कर लिया जाए.” न्यायालय ने विषय की सुनवाई सात मई के लिए निर्धारित कर दी.
रोहतगी ने सुनवाई की अगली तारीख पर रामदेव और बालकृष्ण को न्यायालय में उपस्थित होने से छूट देने का अनुरोध किया. पीठ ने कहा, “सुनवाई की अगली तारीख के लिए यह छूट दी जाती है.” शीर्ष अदालत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा 2022 में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति को बदनाम करने का अभियान चलाया गया. शीर्ष अदालत ने 23 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि समाचार पत्रों में प्रकाशित सार्वजनिक माफी रिकॉर्ड में नहीं हैं. न्यायालय दो दिन के अंदर इसे दाखिल करने का निर्देश दिया था.
.
Tags: Baba ramdev, Patanjali, Supreme Court
FIRST PUBLISHED :
April 30, 2024, 22:21 IST