लखनऊ में डालीगंज स्थित मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय में दो दिवसीय सम्मेलन का समापन हुआ । दूसरे दिन अंग्रेजी , उर्दू , हिंदी और फारसी समेत विभिन्न भाषाओं को लेकर एक्सपर्ट्स के बीच में चर्चा हुई। इसमें डॉक्टर तामसील मसूद ने कहा कि पूर्वी भ
.
दूसरे दिन सम्मेलन की अध्यक्षता प्रोफेसर सहर रहमान ने किया। जबकि संचालन डॉ. शाह मुहम्मद फायज ने किया। चर्चा को जारी रखते हुए डॉ.तमसील मसूद ने कहा कि ऐसे कई साहित्यिक विषय हैं जिन पर उर्दू और अन्य पूर्वी भाषाओं में शब्दावली का अभाव है। जबकि पश्चिमी भाषाओं में ऐसा नहीं है। उन्होंने वर्तमान समय के बदलते रुझानों को देखते हुए इन परिवर्तनों पर पर्याप्त शोध करने और उनका अधिकतम लाभ उठाने पर जोर दिया।
कैंपस इंचार्ज प्रोफेसर हुमा याकूब ने कहा कि एक्सपर्ट्स के द्वारा भाषा के इश्यूज और चुनौतियों पर चर्चा हुई। इसमें असिस्टेंट प्रोफेसर्स, प्रोफेसर , रिसर्च स्कॉलर और विभिन्न छात्रों ने हिस्सा लिया। लखनऊ के विभिन्न विश्वविद्यालय समेत अलीगढ़ विश्वविद्यालय ने हिस्सा लिया।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बाद भाषा और लिटरेचर में क्या कुछ बदलाव आया इस पर विशेष चर्चा हुई । AI का सहारा लेकर किस प्रकार लेखक स्टोरी लिख रहे हैं या पढ़ रहे हैं इसे भी प्रस्तुत किया गया। साहित्य और भाषाओं के लिए यह सम्मेलन बेहद लाभदायक रहा।