लखनऊ में चेहल्लुम की पूर्व संध्या पर चौक क्षेत्र में शिया समुदाय में मजलिसों का दौर जारी है। हजरत इमाम हुसैन की याद में लोगों के घरों में और इमामबाड़ों में मजलिस पढ़ी जा रही है। साथ ही उनके 72 साथियों को याद किया जा रहा है। मौलाना फरीदुल हसन ने चेहल्
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शिया धर्मगुरु मौलाना फरीदुल हसन ने कहा कि कर्बला में हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत हुई। उन पर कई तरह के जुल्म (अत्यचार) किए गए जिसमें से एक यह भी था कि हजरत इमाम हुसैन को शहीद करने के बाद खेमे (टेंट) में आग लगा दिया गया था । यजीदी फौजियों की तरफ से इमाम हुसैन के परिवार वालों पर अत्याचार किया गया। जिसमें महिलाएं भी थी उनसे अभद्रता की गई थी, जो इस्लाम और मानवता के इतिहास में सबसे ज्यादा दुखद है । मौलाना ने कहा कि आज हम अपने मजलिस में और जुलूस में कर्बला कि उस घटना को याद करते हैं और लोगों तक उसका संदेश पहुंचाते हैं।
मजलिस को सुनते हुए हजरत इमाम हुसैन के चाहने वाले
2 महीना 8 दिन तक जारी रहता है मोहर्रम का गम
मौलाना ने कहा कि मोहर्रम का महीना शुरू होने से लेकर 2 महीना 8 दिन तक शिया समुदाय का प्रत्येक व्यक्ति हजरत इमाम हुसैन को याद करता है। 2 माह 8 दिन तक हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोग जो शहीद हुए उनके नाम मजलिस पढ़ी जाती है। अलग-अलग दिन विभिन्न जुलूस निकालकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। आज हम लोग रात भर इमाम हुसैन और उनके शहीदों को याद करेंगे। सुबह चेहल्लुम मनाएंगे और जुलूस में शामिल होंगे। यह मजलिस और जुलूस हजरत इमाम हुसैन को श्रद्धांजलि देने का माध्यम है और इसी के जरिए उनका पैगाम लोगों तक पहुंचाया जाता है।