Sunday, January 19, 2025
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Home रेवड़ी पॉलिटिक्स के खिलाफ बोलती रही बीजेपी ने महाराष्ट्र में क्यों किया कर्ज माफी का वादा?

रेवड़ी पॉलिटिक्स के खिलाफ बोलती रही बीजेपी ने महाराष्ट्र में क्यों किया कर्ज माफी का वादा?

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नई दिल्ली: बीजेपी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वादा किया है कि सत्ता में आने पर वह किसानों का कर्ज माफ करेंगे। पार्टी के संकल्प पत्र में इसे शामिल किया गया है। बीजेपी लगातार रेवड़ी पॉलिटिक्स के खिलाफ बोलती रही है और दूसरी पार्टियों को इसके नाम पर घेरती भी रही है। बीजेपी यही कहती रही है कि हम किसानों की आय दोगुनी करने के लिए काम कर रहे हैं ताकि किसानों की कर्ज माफी की जरूरत ही ना पड़े।

क्या कहते हैं राजनीतिक एक्सपर्ट

महाराष्ट्र के सीनियर जर्नलिस्ट और वहां की राजनीति को बारीकी से समझने वाले संदीप सोनवलकर कहते हैं कि महाराष्ट्र चुनाव में दोनों गठबंधन में यह प्रतियोगिता चल रही है कि कौन कितना मुफ्त की घोषणा कर सकता है। उन्होंने कहा कि जब उद्धव ठाकरे की सरकार बनी तो उन्होंने किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ किया था। इसका जमीन पर असर भी दिखा। इस चुनाव में उद्धव ठाकरे हर भाषण में इसका जिक्र कर रहे हैं कि हमने किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ किया और फिर से सत्ता में आने पर तीन लाख रुपये तक का कर्ज माफ करेंगे। बीजेपी को इसका मुकाबला करना है।

बीजेपी ने क्यों बदली रणनीति

संदीप सोनवलकर कहते हैं कि बीजेपी लाडली बहना स्कीम का जिक्र कर रही है। बीजेपी ने कहा कि वह लाडली बहना स्कीम के तहत 1500 रुपये को बढ़ाकर 2100 कर देंगे तो महाविकास अघाड़ी कह रही है कि हम 3000 रुपये कर देंगे। बीजेपी ने लड़कियों को मुफ्त शिक्षा की बात कही तो महाविकास अघाड़ी ने कहा कि हम लड़कों को भी मुफ्त शिक्षा देंगे। सोनवलकर ने कहा कि किसान महाराष्ट्र में बड़ा मुद्दा हैं और किसानों की दिक्कत यह है कि उन्हें उनकी फसल का सही रेट नहीं मिलता। शुगर फार्मर भी बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा कि दीवाली में भी रूरल ड्रिस्ट्रेस दिखा, और महंगाई भी मुद्दा है।

‘रेवड़ियां बांटने की स्कीम सही नहीं’

इकॉनमिस्ट और नागपुर यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रफेसर श्रीनिवास खांदेवाले कहते हैं कि मुफ्त वाली स्कीम अर्थशास्त्र के लिहाज से अच्छी नहीं हैं। महिलाओं को अच्छी शिक्षा, रोजगार , ज्यादा मजदूरी देने के बजाय 1500-2000 रुपये देना समाधान नहीं है। यह उम्मीदें बढ़ता है कि इस बार इतना मुफ्त मिला तो अगली बार ज्यादा मुफ्त मिलेगा। साथ ही एक पार्टी ने इतना दिया तो दूसरी पार्टी ज्यादा देगी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सीएजी रिपोर्ट में भी चिंता जताई गई थी कि रेवड़ियां बांटने की स्कीम सही नहीं है। लेकिन राजनीति की वजह से सभी गठबंधन यही कर रहे हैं।

राजनीति की अपनी-अपनी रेवड़ियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेवड़ी कल्चर के खिलाफ बोलते रहे हैं। 2017 के बाद बीजेपी ने कभी भी किसी भी चुनाव में किसानों की कर्ज माफी का वादा नहीं किया था। 2017 के बाद यह पहली बार है कि जब बीजेपी ने कर्ज माफी का वादा किया है। 2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने किसानों की कर्ज माफी का वादा किया था। इसे फिर लागू भी किया। हालांकि उसके बाद लगातार चुनाव दर चुनाव बीजेपी कहती रही कि किसानों की कर्ज माफी दिक्कत का समाधान नहीं है।

बीजेपी नेता कहते रहे हैं कि किसानों की आय बढ़ाना ही समाधान है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी के स्थानीय नेता चाहते थे कि किसानों की कर्ज माफी का वादा किया जाए लेकिन बीजेपी ने कर्ज माफी का वादा न करके यह वादा किया कि उनकी सरकार बनने पर 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान की खरीदी 3100 रुपए में की जाएगी। किसानों को एक मुश्त भुगतान किया जाएगा।

पूनम पाण्डे

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पूनम पाण्डे

पूनम पाण्डे नवभारत टाइम्स में असिस्टेंट एडिटर हैं। वह बीजेपी, आरएसएस और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले कवर करती हैं।… और पढ़ें

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