होमचुनाव 2024राहुल गांधी vs दिनेश प्रताप सिंह, रायबरेली में कौन किस पर पड़ेगा भारी
Raebareli Rahul Gandhi vs Dinesh Pratap Singh: साल 1952 में पहली बार रायबरेली लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस अभी तक यहां पर सबसे सफल पार्टी रही है.
By : एबीपी लाइव डेस्क | Updated at : 03 May 2024 11:00 AM (IST)
कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में बीजेपी की चुनौती
Lok Sabha Election 2024: शुक्रवार को कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी के सस्पेंस से पर्दा उठा दिया. जहां रायबरेली से राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं तो अमेठी से किशोरी लाल शर्मा पार्टी के उम्मीदवार हैं. दिलचस्प बात है कि तीन मई को जब नामांकन की आखिरी तारीख थी तो उसी दिन अंतिम पलों में कांग्रेस की तरफ से यह बड़ा ऐलान किया गया. अमेठी की तरह रायबरेली भी हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है. गुरुवार यानी दो मई को ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तरफ से रायबरेली के लिए प्रत्याशी का ऐलान किया गया. यहां से पार्टी ने दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया है. अब यह तो वक्त ही बताएगा कि कौन किस पर भारी पड़ेगा लेकिन आंकड़ें कांग्रेस की तरफ इशारा कर रहे हैं.
जिस दिनेश प्रताप सिंह को बीजेपी ने अपना कैंडीडेट घोषित किया है, वह साल 2018 में कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आए हैं. वह उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और बीजेपी नेता हैं. 2019 में उनका मुकाबला रायबरेली में सोनिया गांधी से था. दिनेश प्रताप सिंह को उस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था. वह पिछले लोकसभा चुनाव में रायबरेली में दूसरे नंबर पर आए थे. दिनेश प्रताप सिंह पहली बार साल 2010 में और दूसरी बार 2016 में कांग्रेस से विधान परिषद के सदस्य बने थे. फिर उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया और बीजेपी का दामन थाम लिया. साल 2022 में दिनेश प्रताप सिंह बीजेपी के टिकट पर रिकॉर्ड वोटों से जीतकर तीसरी बार एमएलसी बने थे.
बीजेपी को जीत की उम्मीद
बीजेपी की ओर से रायबरेली से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद दिनेश प्रताप सिंह ने कहा, ‘मैं देश को आश्वस्त करता हूं कि रायबरेली से ‘नकली’ गांधी परिवार की विदाई तय है. यह तय है कि बीजेपी का ‘कमल’ खिलेगा और कांग्रेस हारेगी.’ दिनेश प्रताप सिंह इस बार जीत के लिए किस कदर आश्वस्त हैं इस बात का अंदाजा उनके एक बयान से ही लगाया जा सकता है. उन्होंने गुरुवार को कहा, ‘मैंने चार बार की सांसद सोनिया गांधी के खिलाफ भी चुनाव लड़ा है. इसलिए प्रियंका, राहुल गांधी मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं. जो भी गांधी रायबरेली आएंगे, वे हारेंगे.’
क्या कहता है इतिहास
रायबरेली हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने साल 2004 में रायबरेली से चुनाव लड़ा था. वहीं राहुल के लिए यह पहला मौका होगा जब वह रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे. साल 1952 में पहली बार रायबरेली लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस अभी तक यहां पर सबसे सफल पार्टी रही है. लोकसभा चुनावों में जहां कांग्रेस को 17 बार जीत हासिल हुई और उसका विनिंग परसेंटेज 85 फीसदी रहा तो वहीं बीजेपी को सिर्फ दो बार ही जीत मिली है. बीजेपी की जीत का प्रतिशत सिर्फ 10 फीसदी ही है, जबकि एक बार जनता पार्टी के उम्मीदवार को जीत मिली है.
रायबरेली में कांग्रेस हावी
सन् 1957 में यहां पर फिरोज गांधी को 162,595 वोटों से जीत मिली थी. 1971 में इंदिरा गांधी ने यहां पर चुनाव लड़ा और उन्हें 183,309 वोट मिले थे. 1977 में जो चुनाव हुए तो उसके नतीजों पर इमरजेंसी का असर नजर आया. वोटर्स ने जनता पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण को विजयी करवाया. हालांकि 1980 में हुए उपचुनावों में कांग्रेस के अरुण नेहरु की जीत के साथ सीट फिर से कांग्रेस के पास आ गई.
1996 और 1998 के चुनावों में यहां पर बीजेपी उम्मीदवार अशोक सिंह को जीत मिली थी, लेकिन 1999 से यह सीट कांग्रेस के ही पास है. आंकड़े तो यही कहते हैं कि शायद राहुल को इस सीट पर कांग्रेस पार्टी के लिए बने मजबूत जनाधार का फायदा मिल जाए. दिनेश प्रताप सिंह का रिकॉर्ड यहां पर सेकेंड आने का रहा है. ऐसे में इस बार चुनाव में इस सीट पर रोमांचक मुकाबला देखने को मिल सकता है.
Published at : 03 May 2024 10:59 AM (IST)
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