उत्तर प्रदेश के रामपुर में स्थित आर्यभट्ट प्लेनेटोरियम को नए सिरे से विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्लेनेटोरियम के पुनर्निर्माण के निर्देश दिए हैं। प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिल कुमार ने आज नक्षत्रशाला का निरीक्
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साल 2005 में 23 करोड़ की लागत से शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट 2012 में पूरा हुआ था। इसमें भारत का पहला डिजिटल लेजर प्रोजेक्टर लगाया गया था, जो गुंबद के आकार की स्क्रीन पर दिन में भी खगोलीय घटनाएं दिखाता था। अत्यधिक बारिश और मशीनरी की लाइफ समाप्त होने के कारण यह पूरी तरह बंद हो गया।
एक साइंस यूनिवर्सिटी की भी स्थापना की जाए
मंत्री अनिल कुमार ने बताया कि प्लेनेटोरियम में गोरखपुर और लखनऊ जैसी आधुनिक तकनीक लगाई जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक इसे पूरी तरह कार्यशील कर दिया जाए। मुख्यमंत्री की योजना है कि प्रदेश के हर मंडल में नक्षत्रशाला और साइंस पार्क बनाया जाए। साथ ही उत्तर प्रदेश में एक साइंस यूनिवर्सिटी की भी स्थापना की जाए।
गौरतलब है कि इस प्लेनेटोरियम का पहले नाम भीमराव अंबेडकर नक्षत्रशाला था। जिसे पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान ने तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार में बदलकर आर्यभट्ट नक्षत्रशाला कर दिया था। मंत्री ने स्पष्ट किया कि महापुरुषों के नाम पर स्थापित संस्थाओं के नाम नहीं बदले जाने चाहिए।
महाकुंभ संगम में लोगों के आने पर नहीं करनी चाहिए राजनीति
महाकुंभ में सभी लोग आ रहे हैं। वो कोई भाजपा समर्थित तो हैं नहीं बल्कि महाकुंभ संगम में देश विदेश सभी जगहों से लोग आ रहे हैं। इसको लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए। टेक्निकल एडवाइजर अनिल यादव ने बताया कि नक्षत्रशाला में एक बार फिर से आधुनिकता उपकरण लगाए जाएंगे।