नई दिल्ली. योगी आदित्यनाथ सरकार के कांवड़ यात्रा के दौराान सभी दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के फैसले के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. एक याचिकाकर्ता की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट रूम में पेश हुए. यूपी और उत्तराखंड की सरकार के फैसले पर रोक लगाने के लिए सिंघवी ने कानून से लेकर कई तरह की दलील सुप्रीम कोर्ट में जज के सामने रखी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद योगी सरकार और उत्तराखंड की धामी सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी गई है. इसका मतलब कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों को नाम पर जबरन नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.
आपको बता दें कि सबसे पहले यूपी की योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों और ढाबों पर मालिकों और कर्मचारियों के नाम लिखने का आदेश दिया गया था. श्रावण मास आज यानी सोमवार से ही शुरू हो रहा है. भक्त और श्रद्धालु कांवड़ लेकर भोले शंकर को जल चढ़ाने के लिए कई किलोमीटर की यात्रा करते हैं. उसी यात्रा के दौरान कई दुकानों और ढाबों से वो खाने का सामान व अन्य चीजें खरीदते हैं. यूपी सरकार ने सबसे पहले आदेश जारी कर इन दुकानों पर मालिकों का नाम लिखने का आदेश जारी किया था ताकि श्रद्धालु अपनी पसंद की दुकान से सामान खरीद सकें. उसके बाद ऐसा ही आदेश उत्तराखंड सरकार ने भी जारी किया.
यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि यह पुलिस का काम नहीं है… पुलिस कैसे इतने व्यापक निर्देश जारी कर सकती है? सिंघवी ने कहा कि हिंदुओं द्वारा चलाए जाने वाले बहुत से शुद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट हैं, लेकिन उनमें मुस्लिम कर्मचारी भी हो सकते हैं. क्या कोई कह सकता है कि मैं वहां जाकर खाना नहीं खाऊं? क्योंकि उस खाने पर किसी न किसी तरह से उन लोगों का हाथ है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कावड़ियां क्या ये सोचते है कि उन्हें फूड किसी चुनीदा दुकानदार से मिले? इस पर सिंघवी ने कहा कि कावड़िया पहली बार यात्रा तो नहीं कर रहे है न और पहले से करते आए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूसरे पक्ष (यूपी सरकार) से क्या कोई पेश हो रहा है?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भट्टी ने कहा कि मेरा व्यक्तिगत अनुभव है. केरल में एक वेजिटेरियन होटल हिंदू और एक वेजिटेरियन मुस्लिम द्वारा चलाए जा रहे हैं. लेकिन मैं मुस्लिम होटल में गया. वहां साफ सफाई थी. इसमें सेफ्टी, स्टैंडर्ड और हाईजीन के मानक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के थे और इसलिए मैं गया था. ये पूरी तरह से आपकी पसंद का मामला है. सिंघवी ने दलील दी कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम में भी केवल 2 शर्तें हैं. केवल कैलोरी और शाकाहारी/मांसाहारी भोजन को प्रदर्शित करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भट्टी ने कहा कि लाइसेंस भी प्रदर्शित करना होगा. सिंघवी ने कहा कि यह पुलिस का काम नहीं है. पुलिस कैसे इतने व्यापक निर्देश जारी कर सकती है? वकील हुजैफा अहमदी-मुजफ्फरनगर पुलिस की मुहर के साथ एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया है. यह उनके ट्विटर हैंडल पर भी है. याचिकाकर्ता ने कहा कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की बड़ी ऑथोरिटी की तरफ से इसे लागू किया गया.
याचिकाकर्ता ने कहा कि मुज्जफरनगर पुलिस के स्वैच्छिक शब्द को दो तरीके से लिया जा सकता है. स्वैच्छिक और लागू करना ही है. हुजैफा अहमदी कि इसका असर यह हुआ है कि इसके बाद कुछ खास समुदाय के कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. यह पुलिस के हस्तक्षेप के बाद हुआ है प्रेस रिपोर्ट्स में ऐसी बातें कही गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने फिर पूछा की दूसरे तरफ से कोई पेश हो रहा है?
Tags: Abhishek Manu Singhvi, Supreme Court, Yogi Aditya Nath
FIRST PUBLISHED :
July 22, 2024, 18:07 IST