सागर | आईजी बंगला से सिविल लाईन रोड स्थित श्री हनुमान दुर्गा भैराव धाम में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस कथा व्यास आचार्य अरविंद भूषण महाराज ने कहा कि किसी भी पुराण के महत्व को जाने बिना श्रोताओं में ग्रंथ के प्रति श्रद्धा उत्पन्न नहीं होती
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उन्होंने कहा कि श्रोताओं में श्रद्धा भक्ति उत्पन्न हो इसलिये ग्रंथ के वाचन के पहले उसके महत्व को समझाना शास्त्र सम्मत है। आचार्य ने कहा कि यह कथा भगवान श्रीकृष्ण का वांग्यमय रूप है। यह कथा पदमपुराण से ली गई है, जो छह अध्याय में वर्णित है। उन्होंने कहा कि सूत जी द्वारा सोनकादि ऋषियों को महत्व की कथा समझाई गई है। यह कथा व्यक्ति को जीते जी एवं मरने के बाद भी मोक्ष प्रदान करती है। उन्होेंने कहा कि रामकथा हमें जीवन कैसे जीना है यह सिखाती है, जबकि भागवत कथा भक्तों की कथा है।
यह जीवन में मोक्ष कैसे प्रदान हो हमें यह समझाती है। धुंधकारी जैसे प्रेत का उद्धार उनके भाई गौकरण जो महान विद्धान है के द्वारा श्रीमद् भावगत कथा श्रवण कराने से हुआ। राजा परीक्षित का उद्धार उनके जीते जी सुखदेव मुनि द्वारा श्रीमद भागवत कथा श्रवण कराने से हुआ। यह कथा हमें अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष सभी प्रदान करती है। इस कथा के श्रवण से भक्ति माता का दुख दूर हुआ, उनके पुत्र ज्ञान और वैराग्य युवा एवं पुष्ठ हुये। यह कथा हमें भक्ति प्रदान करती है। कथा का मूलपाठ पं. आशीष चौबे, जापकर्ता पं. नितिन, आनंद, प्रमोद मिश्रा, अभिनय दुबे हैं।
कथा स्मृति शेष अर्पित तिवारी की स्मृति में उनके माता पिता पुष्पा अंबिका तिवारी द्वारा कराई जा रही है। इसमें महिला रामायण मंडल एवं मंदिर से जुडे भक्तों द्वारा भी सहयोग किया जा रहा है। कथा में पं. जेपी भटेले, विनोद कारोलिया, केके तिवारी, बीपी मिश्रा, रामप्रकाश मिश्रा, केएन दुबे, आरपी मिश्रा, एमके रावत सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।