आगरा नगर नगम द्वारा कबाड़ से तैयार लड्डू गोपाल को आखिरकार शहर में स्थान मिल ही गया। 25 फीट ऊंची मूर्ति को यमुना किनारे स्थित अंबेडकर पुल के पास रखा गया है। मंगलवार को इस मूर्ति के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने का काम किया गया।
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अंबेड़करपुर के पास रखी लड्डू गोपाल की मूर्ति।
नगर निगम के विभिन्न उपकरणों से निकले कबाड़ से 25 फीट लड्डू गोपाल की मूर्ति तैयार की गई है। इसे बनाने बैनर, पोस्टर, होर्डिंग में इस्तेमाल की गई पाइप, खराब चादर और अन्य पुराने कल-पुर्जों का उपयोग किया गया है। यह मूर्ति लगभग 3 महीने में बनकर तैयार हो पाई है।
मूर्ति के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने का काम करते कारीगर।
इतनी विशाल मूर्ति को स्थापित करने के लिए शहर में किसी उचित स्थान की तलाश की जा रही थी। जहां से अधिक से अधिक लोग देख सकें। इसके बाहर से आने वाले लोगों की नजर भी इस पर सीधी पड़े। ऐसे में यमुना किनारा स्थित अंबेडकर पुल के नीचे के स्थान को उचित पाया गया। जीवनी मंडी की तरफ से आने के दौरान यह दूर से ही दिखाई देती है। इसके साथ ही छत्ता की तरफ से भी इस विशाल मूर्ति के दर्शन किए जा सकते हैं।
मूर्ति को जोड़ने को करते कारीगर।
जिस जगह इसे स्थापित किया गया है, उसके सामने काफी खाली जगह है। इसके साथ ही पास में ही यमुना व्यू प्वाइंट है, जहां आए दिन सांस्कृतिक गतिविधियां होती रहती हैं। ये मूर्ति अंबेडकर पुल से भी दिखाई देती है। अलग-अलग हिस्सों में रखा गया ये मूर्ति इतना विशाल है कि इसे अलग-अलग हिस्सों में नगर निगम परिसर से यमुना किनारे तक लाया गया। यहां क्रेन की मदद से इसे खड़ा किया गया। इसके बाद अलग-अलग हिस्सों में इसे जोड़ा गया। सबसे पहले धड़ का हिस्सा एक प्लेटफार्म पर खड़ा किया गया, उसके बाद लड्डू गोपाल का सिर जोड़ा गया।
फिरोज खान, मुख्य कलाकार। जिन्होंने मूर्ति बनाने में अहम भूमिका निभाई।
इन्होंने तैयार की मूर्ति फिरोज खान, संतोष कश्यप, अनिल, पिंटू और विजय पिछले दो महीनों से इसे बनाने में जुटे। पेडेस्टल पर किया गया है स्थापित लड्डू गोपाल की इस मूर्ति में पूरी तरह से कबाड़ का सामान ही इस्तेमाल किया गया है। इसके चेहरे की चौड़ाई 15×8 फुट और ऊंचाई 25 फुट है, जिसे 20×12 के पेडेस्टल पर स्थापित किया गया है। इसे पेंट किया गया। इसके बाद यहां इसे स्थापित किया गया। जिससे शहर के लोगों के अलावा पर्यटक भी देख सकेंगे। यह मूर्ति ब्रज संस्कृति को दिखाएगी।
नगर निगम में तैयार रखा श्रीराम मंदिर का मॉडल।
कबाड़ से बनाया श्रीराम मंदिर का माॅडल कबाड़ से श्रीराम मंदिर का मॉडल भी तैयार किया गया है। यह भी बनकर तैयार है लेकिन इसे रखने के लिए अभी उचित स्थान की तलाश पूरी नहीं हो पाई है। श्रीराम मंदिर का मॉडल भी काफी बड़ा है।
कबाड़ से तैयार शिव का डमरू।
इसके अलावा ‘आई लव आगरा’ का लोगो भी तैयार किया गया था, इसे फतेहाबाद रोड रमाड़ा होटल के पास रखा गया है। कबाड़ से बने शिव के डमरू तो शहर में कई जगह स्थापित किए गए हैं। इनमें रावतपाड़ा, रावली महादेव मंदिर, राजपुर चुंगी के पास आदि जगहों पर रखा गया है।