Monday, January 20, 2025
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Home मेरठ में 1000 लोगों को बेच दिए फर्जी स्टाम्प:100 करोड़ के प्लॉट-मकान की हो गई रजिस्ट्री, नोटिस आया तो मास्टरमाइंड वकील फरार

मेरठ में 1000 लोगों को बेच दिए फर्जी स्टाम्प:100 करोड़ के प्लॉट-मकान की हो गई रजिस्ट्री, नोटिस आया तो मास्टरमाइंड वकील फरार

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मेरठ में 1000 लोगों के फर्जी स्टाम्प पर रजिस्ट्री कराने का मामला सामने आया है। 7.20 करोड़ के फर्जी स्टाम्प पर 100 करोड़ से ज्यादा के मकान और खाली प्लाट की रजिस्ट्री करवाई गई है। प्रशासन अभी इसकी जांच कर रहा है। ये स्टाम्प घोटाला और बड़ा हो सकता है।

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अभी तक 997 लोग ऐसे सामने आ चुके हैं, जिनके साथ फर्जीवाड़ा हुआ। फर्जी स्टाम्प में ट्रेजरी की फर्जी मुहर और गलत सीरियल नंबर जारी किए गए। शासन को AIG स्टाम्प ने रिपोर्ट भेजी है। इस मामले में जो भी फर्जी स्टाम्प मिले हैं, वे सभी एक ही वकील के जरिए जारी किए गए हैं। वकील फिलहाल फरार है। उस पर 25 हजार का इनाम घोषित हो चुका है।

पूरा मामला पढ़िए

2023 में हुई दो बैनामों की शिकायत उत्तर प्रदेश के स्टांप और न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल को 2023 में मेरठ में हुए दो बैनामों की शिकायत मिली। कहा गया कि इनमें जो स्टांप लगे हैं, वे फर्जी हैं। मंत्री रविंद्र जायसवाल ने इस संबंध में लखनऊ में उच्च अधिकारियों से जवाब मांगा तो मेरठ में जांच शुरू हुई।

दोनों बैनामों में लगे स्टांप फर्जी मिलने पर पिछले तीन साल के बैनामों की जांच शुरू हुई। तीन साल के बैनामों में लगे स्टांप चेक किए गए तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई।

997 बैनामों में फर्जी स्टांप लगा दिए गए और रजिस्ट्री ऑफिस के अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी। इन सभी बैनामों में एक बात कॉमन ये थी कि ये सभी बैनामे एक ही अधिवक्ता विशाल वर्मा ने कराए थे।

22 मई, 2024 को सिविल लाइन थाने में दर्ज हुई रिपोर्ट मेरठ उपनिबंधन कार्यालय के कनिष्ठ सहायक निबंधन प्रदीप कुमार ने सिविल लाइन थाने में बैनामों कराने वालों के नाम 22 मई, 2024 को रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इसके बाद सभी 997 लोगों को स्टांप में कमी बताकर नोटिस जारी कर दिए गए।

इसमें जितने के स्टांप लगाए गए थे, उनका चार गुना अर्थदंड और 18 प्रतिशत सालाना ब्याज भी लगाया गया। नोटिस जाते ही बैनामा कराने वाले लोगों की नींद उड़ गई। उनकी समझ में ही नहीं आया कि ये सब हुआ क्या है। उन्होंने तो अधिवक्ता विशाल वर्मा को स्टांप के पूरे पैसे दिए थे।

विशाल वर्मा, आरोपी वकील।

विशाल वर्मा, आरोपी वकील।

जिन लोगों के पास नोटिस पहुंची, भास्कर ने उनसे बात की…

केस 1. रमन सोनी के पास आया 2.80 लाख का नोटिस बुजुर्ग रमन सोनी की बेगमपुल पर दुकान है। रमन सोनी ने अपनी एक दुकान किराए पर लैब के लिए दी थी। किराएनामे पर 1 लाख 91 हजार रुपए के स्टांप लगे थे। मई 2024 में रमन सोनी को स्टांप में कमी बताकर 2 लाख 80 हजार की रिकवरी का नोटिस आ गया। वो घबराकर अधिकारियों के पास पहुंचे, बताया कि उन्होंने अधिवक्ता ​विशाल वर्मा से करारनामा कराया था।

अधिकारियों ने कह दिया कि अगर जमा नहीं करोगे तो पेनल्टी बढ़ती जाएगी, जिसके बाद मजबूर होकर उन्होंने 2 लाख 80 हजार रुपए जुर्माना समेत जमा किए। वे बताते हैं कि मेरे कुल 3 लाख 90 हजार रुपए चले गए। ऐसे आरोपी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

रमन सोनी ने कहा कि हमारे साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ।

रमन सोनी ने कहा कि हमारे साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ।

केस 2. संजीव कुमार के पास 4 साल बाद आया नोटिस

देवीनगर सूरजकुंड के रहने वाले संजीव कुमार अग्रवाल बताते हैं कि मैंने 2020 में एक प्रॉपर्टी खरीदी थी। अधिवक्ता विशाल वर्मा से बैनामा कराया था। विशाल ने चारो बैनामे में पांच लाख रुपए लिए थे। उसने स्टांप लगाकर बैनामा करा दिया।

4 साल बाद जून, 2024 में मेरे पास रजिस्ट्री विभाग से नोटिस आए कि आपके स्टांप में कमी है। अगर जमा नहीं किए गए तो चार गुना पेनल्टी देनी पड़ेगी। संजीव कुमार अग्रवाल ने बताया कि डरकर अपने दो बैनामों के स्टांप के ब्याज समेत पैसे जमा कर दिए।

बाकी दूसरे बैनामों में लगाए गए स्टांप को लेकर हम लोग अब लड़ाई लड़ रहे हैं। 5 महीने से हम भटक रहे हैं, हमारी किसी ने नहीं सुनी। हमें इंसाफ चाहिए। आरोपी को पुलिस गिरफ्तार करे।

संजीव कुमार अग्रवाल ने बताया कि उनके पास सालों बाद नोटिस आया।

संजीव कुमार अग्रवाल ने बताया कि उनके पास सालों बाद नोटिस आया।

केस 3. अर्पित मोघा के पास 4 गुना ब्याज जमा करने का नोटिस अर्पित मोघा शास्त्री नगर के रहने वाले हैं। उन्होंने 4 साल पहले अधिवक्ता विशाल वर्मा से एक प्रॉपर्टी का बैनामा कराया था। जून, 2024 में उनको निबंधक कार्यालय से नोटिस आया कि आपने जाे 2 लाख 65 हजार के स्टांप लगाए थे, उनमें कमी है।

इन स्टांप की रकम और चार साल का ब्याज जमा करें। अर्पित मोघा का कहना है कि वे 2 लाख 65 हजार रुपए जमा कर चुके हैं। अभी ब्याज और अर्थदंड की मांगा जा रहा है। वह कहते हैं कि फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाले विशाल वर्मा पर कार्रवाई हो।

फर्जी स्टांप घोटाले में ठगे जाने वाले ये सिर्फ 3 पीड़ित नहीं हैं। अब तक 997 लोग इस मकड़जाल में फंस चुके हैं। वे स्टांप चोरी और धोखाधड़ी के मुलजिम बन चुके हैं।

लाखों रुपए दोबारा स्टांप शुल्क और चार गुना अर्थदंड दे रहे हैं। ये तो वे लोग हैं, जिनके बैनामों की जांच में फर्जी स्टांप पकड़ में आ चुके हैं। 2015 से 2020 तक हुए बैनामों की भी जांच चल रही है। पता नहीं कितने ओर ऐसे बेकसूर अभी ओर इस मकड़जाल में फंसे होंगे।

अर्पित मोघा ने दैनिक भास्कर से बातचीत की।

अर्पित मोघा ने दैनिक भास्कर से बातचीत की।

रिपोर्ट में भी हुआ खेल…विशाल के नाम की जगह लिखवाया गया एक अधिवक्ता

उपनिबंधन कार्यालय द्वारा कराई गई जांच में साफ हो चुका था कि ये सभी बैनामे अधिवक्ता विशाल वर्मा ने कराए हैं। इसके बाद भी रिपोर्ट में सिर्फ एक अधिवक्ता लिखा गया, विशाल को नामजद नहीं किया गया। विशाल वर्मा ने इस मुकदमे के बाद कोर्ट में अग्रिम जमानत का प्रार्थना पत्र भी दिया। लेकिन, पुलिस की तरफ से रिपोर्ट दे दी गई कि वह तो नामजद ही नहीं है, जिसके बाद विशाल बेफ्रिक हो गया।

लोग भटकते रहे किसी ने नहीं सुनी जिन 997 लोगों को स्टांप में कमी बताकर नोटिस जारी किए गए, वे अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर लगाते रहे। अधिकारियों ने साफ कह दिया कि ये रिकवरी तो जमा करनी होगी। देर करोगे तो पेनल्टी बढ़ती जाएगी। लोगों ने डीएम कार्यालय से लेकर कमिश्नर और लखनऊ में बैठे अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

आधे लोगों ने जमा कर दिए रुपए 997 लोगों में से 400 से ज्यादा ने मजबूर होकर स्टांप शुल्क और पेनल्टी जमा कर दी। उनका कहना है कि एक तो बैनामा कैंसिल हो जाता ऊपर से जेल भी जा सकते थे। विशाल वर्मा का तो कुछ बिगड़ा नहीं लेकिन उनका नुकसान हो जाता। विशाल की पहुंच बहुत ऊपर तक है, इसलिए वो इतना बड़ा घोटाला करता रहा ओर किसी को पता भी नहीं चला।

इसी तरह के फर्जी स्टांप लगाकर वकील ने कई लोगों को लाखों का चूना लगाया।

इसी तरह के फर्जी स्टांप लगाकर वकील ने कई लोगों को लाखों का चूना लगाया।

मजबूर लोगों ने बनाया स्टांप घोटाला संघर्ष समिति मोर्चा स्टांप घोटाला संघर्ष समिति मोर्चा के अध्यक्ष संजीव कुमार अग्रवाल बताते हैं कि कहीं से भी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने लोगों के साथ मिलकर सारे पीड़ितों को जोड़ना शुरू किया। इसके बाद स्टांप घोटाला संघर्ष समिति मोर्चा का गठन किया। अब वे लोग एकजुट होकर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

व्यापारी नेता लगातार कर रहे प्रदर्शन व्यापारी नेता जीतू नागपाल और शैंकी वर्मा को पूरे मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने सभी पीड़ितों को जोड़कर एक ग्रुप बनाया। इसके बाद रूपरेखा बनाकर लड़ाई लड़नी शुरू की। डीएम दीपक मीणा से मिलकर पीड़ित लोगों की मदद करने और आरोपी विशाल वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

इस मामले में लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमे को लेकर एसएसपी डॉ. विपिन ताडा से मुलाकात की। आरोपी विशाल वर्मा की गिरफ्तारी की मांग की। एसएसपी ने मामले में एसपी क्राइम, सीओ क्राइम और इंस्पेक्टर क्राइम की एक समिति गठित की। डीएम की तरफ से एक एसआईटी का भी गठन किया, जिसकी जांच एसपी क्राइम और एडीएम वित्त कर रहे हैं।

समिति के लोगों ने SSP से आरोपी को पकड़ने की गुहार लगाई।

समिति के लोगों ने SSP से आरोपी को पकड़ने की गुहार लगाई।

विशाल की तलाश में दबिश दे रही पुलिस विशाल वर्मा के खिलाफ 19 नवंबर को 42 लोगों ने धोखाधड़ी की शिकायत की। इसके बाद आरोपी विशाल वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। अब पुलिस की टीमें विशाल की तलाश में कई जगहों पर दबिश दे रही हैं।

क्राइम ब्रांच में दर्ज हो रहे बयान 23 नवंबर से क्राइम ब्रांच ऑफिस में 997 लोगों के बयान दर्ज कराए जाने शुरू हो गए हैं। स्टांप घोटाला संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजीव कुमार अग्रवाल ने क्राइम ब्रांच थाने पहुंचकर बयान दर्ज कराए।

संजीव कुमार अग्रवाल ने इन्वेस्टिगेटिव अधिकारी को बताया कि उन्होंने 2020 और 2021 में विशाल वर्मा से 5 बैनामे कराए थे। उनको मई 2024 में नोटिस मिला कि आपके स्टांप में कमी है।

ऐसे में आपको 7 लाख का स्टांप शुल्क और दंड के साथ 18 प्रतिशत सालाना ब्याज देना होगा। उन्होंने इंस्पेक्टर को जो स्टांप लगाए गए थे, उनकी फोटो कॉपी भी दी।

नोटिस आने के बाद लोगों ने पुलिस से शिकायत की, उनको दस्तावेज दिखाए।

नोटिस आने के बाद लोगों ने पुलिस से शिकायत की, उनको दस्तावेज दिखाए।

हर बैनामे में एक हजार के ओरिजनल ई-स्टांप सभी फर्जी बैनामों में एक हजार रुपए के ओरिजिनल ई-स्टांप लगाए गए हैं, बाकी सभी स्टांप फर्जी निकले। जिसके बाद माना जा रहा है कि अधिवक्ता विशाल वर्मा इस खेल में अकेला नहीं हो सकता। उसके साथ रजिस्ट्री विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत भी हो सकती है।

7 करोड़ से ज्यादा का घोटाला सामने आ चुका अब तक की जांच में 7 करोड़ 20 लाख रुपए के स्टांप का मामला पकड़ में आ चुका है। गुपचुप तरीके से पहले फर्जी स्टांप छपवाए गए फिर इनको बैनामा कराने वालों को बेच दिया गया।

पिछले 10 साल से भी ज्यादा समय से फर्जी स्टांप लगाए जाने की आशंका है, जिसको लेकर जांच की जा रही है। इसमें सरकार को करीब 100 करोड़ तक का नुकसान हो सकता है।

कोषागार की बनवाई फर्जी मुहर फर्जी स्टांप को सही दिखाने के लिए कोषागार की फर्जी मुहर बनवाई गई। इसी मुहर को फर्जी स्टापों पर लगाया गया। आरोपी ने सभी स्टांप खरीदारों के नाम से खरीदे थे, इसलिए रजिस्ट्रेशन विभाग ने 997 खरीदारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज कराए हैं।

इतने ही मुकदमे एआईजी स्टांप के कोर्ट में स्टांप चोरी के दायर किए गए हैं। AIG के यहां दर्ज मामलों में अब धीरे-धीरे स्टांप की रिकवरी की जा रही है, जिसका भुगतान खरीदारों को ही उठाना पड़ रहा है।

2015 से लेकर अब तक के बैनामों की जांच फर्जी स्टांप घोटाला सामने आने के बाद 2015 से लेकर अब तक के बैनामों की जांच की जा रही है, जिसमें करोड़ों के फर्जी स्टांप मिल सकते हैं।

ये फर्जी स्टांप मेरठ में कहां छापे गए, कहां से लाए गए, किसने इन्हें चलाया और किस-किस को इसमें शामिल किया, इसकी जांच की जा रही है।

विशाल वर्मा ने कमाई अकूत संपत्ति बताया जा रहा है कि वकील विशाल वर्मा बीते एक दशक में हजारों रजिस्ट्री में फर्जी स्टांप का इस्तेमाल करके अकूत संपत्ति कमाई है। विशाल वर्मा ने अपना ऑफिस मंगल पांडे नगर में बनाया हुआ था।

अधिकारियों पर उठे सवाल एक साल से चल रही जांच में 997 लोगों पर मुकदमा दर्ज करा दिया गया। लेकिन अभी तक रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी ये तक पता नहीं कर पाए हैं कि ये स्टांप फर्जी छपवाए गए। कहीं दूसरी ट्रेजरी से चोरी किए गए। जो नोटिस दिए गए हैं, उनमें सिर्फ इतना कहा गया है कि स्टांप में कमी है।

इसे फर्जी स्टांप इसलिए नहीं लिखा गया, क्योंकि ऐसा करने से सवाल उठेंगे कि जब बैनामे हो रहे थे तो संबंधित अधिकारी क्या कर रहे थे। आखिर कैसे फर्जी स्टांप से इतने बैनामे होते रहे और संबंधित डिप्टी रजिस्ट्रार को पता तक नहीं चला।

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