हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडिया‘मुसलमानों के धार्मिक मामलों में दखल देकर हिंदू कानून थोप रहे’, उत्तराखंड में UCC लागू होने पर भड़के मौलाना
मौलाना कौसर हयात खान ने कहा कि सरकार कानून बना रही है और मुस्लिम समाज से राय नहीं ली जा रही. देश की 30-35 करोड़ आबादी मुसलमानों की है.
By : उबैदुर रहमान | Edited By: Neelam Rajput | Updated at : 27 Jan 2025 06:23 PM (IST)
मौलाना ने कहा, मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप हो रहा
उत्तराखंड में सोमवार (27 जनवरी, 2025) से यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो गई है. इस एक्ट में हलाला, इद्दत और तीन तलाक जैसी इस्लामिक प्रथाओं पर रोक लगा दी गई है. यह कानून बहुविवाह को भी रोकता है. मुस्लिम लीग के संयुक्त सचिव मौलाना कौसर हयात खान ने इसका कड़ा विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यह सीधे तौर पर मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है और हिंदू कानून थोपने की कोशिश की जा रही है, जो इस्लाम के खिलाफ है.
उन्होंने कहा कि भारत के 30-35 करोड़ मुसलमान यूसीसी के खिलाफ हैं. सरकार कानून बना रही है, लेकिन मुस्लिम समाज से बात नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा कि वह इसकी घोर निंदा करते हैं. यूसीसी पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी बरेलवी का भी बयान आया है. उन्होंने कहा कि अगर यूसीसी शरीयत का उल्लंघन करता है तो उत्तराखंड के मुसलमान इसको मानने के लिए बध्य नहीं है.
उन्होंने कहा कि अगर यह कानून शरीयत के उसूलों की मुखालफत नहीं करता है तो हर मुस्लिम उसकी इज्जत करेगा और उसका मानेगा, लेकिन अगर यह शरीयत की मुखालफत करता है तो मुसलमान इस कानून को मानने के लिए मजबूर नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘भारत का मुसलमान कानून को मानता है और कानून पर अमल करता है, लेकिन ये नहीं हो सकता कि शरीयत की मुखालफत करे या शरीयत के उसूलों का उल्लंघन करके दूसरे कानून पर अमल करे. जितना सम्मान मुसलमान कानून और संविधान का करता है. उतना ही सम्मान, इज्जत और एहतराम शरीयत के उसूलों का करता है.’
मौलाना रिजवी ने कहा, ‘उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी को लागू करने का प्रोग्राम बनाया है और आज यूसीसी को लागू किया जा रहा है. दरअसल ये यूसीसी पूरे उत्तराखंड में लागू किया जाता है और इसमें कहीं भी शरीयत के उसूलों से टकराव नहीं है और समानता है और कहीं भी कोई मुखालफत नहीं होती है तो मुसलमान इस यूसीसी को मानेगा, तसरीम करेगा और उसका एहतराम करेगा. अगर ऐसे उसूल हैं, जिनसे शरीयत की मुखालफत हो रही होगी तो फिर ऐसी कंडिशन में मुसलमान बाध्य नहीं है और उस पर अमल करने के लिए मजबूर नहीं है.’
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Published at : 27 Jan 2025 05:58 PM (IST)
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