Thursday, January 9, 2025
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‘मुआवजे की व्‍यवस्‍था की जाए…’ कोवि‍शील्ड वैक्सीन का मामला पहुंचा SC

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‘मुआवजे की व्‍यवस्‍था की जाए…’ कोवि‍शील्ड वैक्सीन का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, याच‍िकाकर्ता बोला-साइड इफेक्‍ट की जांच हो

कोवीशिल्ड और एस्ट्रोजेनिका की वैक्सीन की जांच की मांग का मामला बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
कोवीशिल्ड और एस्ट्रोजेनिका की वैक्सीन की जांच की मांग का मामला बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.

नई द‍िल्‍ली. कोवि‍शील्ड और एस्ट्रोजेनिका की वैक्सीन की जांच की मांग का मामला बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. यह याच‍िका सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने दायर की और मांग की है क‍ि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) या दिल्ली के विशेषज्ञ डॉक्टरों के पैनल से इसके साइड इफेक्ट की जांच कराने का निर्देश दिया जाए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज विशेषज्ञ डॉक्टरों के पैनल की निगरानी करे.

सुप्रीम कोर्ट में दाख‍िल याचिका में मांग की गई है कि कोविड-19 के दौरान टीकाकरण अभियान के परिणामस्वरूप गंभीर रूप से विकलांग हुए या जिनकी मौत हुई है उन लोगों के लिए मुआवजे की व्यवस्था की जाए. आपको बता दें क‍ि यह याच‍िका सुप्रीम कोर्ट में दाख‍िल हुई है इस पर सुनवाई होगी या नहीं यह अभी तय नहीं हुआ है.

एस्ट्राजेनेका कंपनी की कोविड वैक्सीन से होने वाले ब्लड क्लॉट डिसऑर्डर को लेकर मंगलवार को डॉक्टरों ने कहा कि यह एस्ट्राजेनेका के कोविड वैक्सीन का एक दुर्लभ दुष्प्रभाव है, और इसके लाभ जोखिम से कहीं अधिक हैं. यह उन रिपोर्टों के बाद आया जिनमें कहा गया था कि एस्ट्राजेनेका ने पहली बार अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी में विकसित उसका टीका दुर्लभ और गंभीर ब्लड क्लॉट का खतरा पैदा कर सकता है.

भारत में कोविशील्ड और यूरोप में वैक्सजेवरिया के नाम से बेची जाने वाली ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है जिसे संशोधित चिंपैंजी एडेनोवायरस का उपयोग कर विकसित किया गया है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के साथ साझेदारी में भारत में निर्मित और विपणन की जाने वाली कोविशील्ड को देश में लगभग 90 प्रतिशत भारतीय आबादी तक व्यापक रूप से प्रशासित किया गया था. संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिलाडा ने बताया क‍ि थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक सिंड्रोम (टीटीएस) दुर्लभ लेकिन बहुत गंभीर प्रतिकूल प्रभावों में से एक है जो वैक्सीन-प्रेरित इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा (वीआईटीटीपी) के हिस्से के रूप में हुआ है. यह घटना 50,000 में से एक के बराबर (0.002 प्रतिशत) रही है, लेकिन एक बड़ी आबादी में, यह संख्या काफी बड़ी हो जाती है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेशनल कोविड-19 टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने आईएएनएस को बताया क‍ि टीटीएस असामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण उत्पन्न होने वाली एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है. हालांकि इसके कई कारण हैं, इसे एडेनोवायरस वेक्टर टीकों से भी जोड़ा गया है और डब्ल्यूएचओ ने 27 मई 2021 को इसके बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है.’

मामला क्या है?
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश स्वीडिश बहुराष्ट्रीय फार्मास्युटिकल कंपनी ने यूके के अदालती दस्तावेजों में पहली बार स्वीकार किया कि उसकी कोविड वैक्सीन दुर्लभ ब्लड क्लॉट डिसऑर्डर का खतरा पैदा कर सकती है. फार्मास्युटिकल दिग्गज कंपनी के खिलाफ यूके हाई कोर्ट में लगभग 51 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि उसके कोविड वैक्सीन के कारण मौत हुई और सीरियस इंजरी हुई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ितों और दुखी रिश्तेदारों ने मुआवजे की मांग की है, जिसकी कीमत 100 मिलियन पाउंड तक होने का अनुमान है. हालांकि एस्ट्राजेनेका उन दावों का विरोध कर रही है, जिसमें कहा गया है कि फरवरी में उच्च न्यायालय में प्रस्तुत एक कानूनी दस्तावेज में स्वीकार किया है कि इसका कोविड टीका बहुत ही दुर्लभ मामलों में टीटीएस का कारण बन सकता है.

टीटीएस के कारण लोगों में रक्त के थक्के जम जाते हैं और रक्त में प्लेटलेट की संख्या कम हो जाती है.

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Tags: Covishield, Supreme Court

FIRST PUBLISHED :

May 1, 2024, 13:34 IST

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