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Ahmedabad News: उत्तरायण के बाद एक विशेष अभियान चलाया गया जिसमें कटी हुई पतंगें और उलझी डोर को इकट्ठा करके उनका दहन किया गया. करीब 1000 kg मांझे का दहन किया गया है.
अहमदाबाद में उत्तरायण पर्व पर आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है. हर गली, हर छत पर पतंगबाजी का जुनून छाया रहता है. पर जैसे ही पतंगें कटती हैं, वे पेड़ों, बिजली के तारों, और सड़कों पर उलझ जाती हैं. यह उलझी हुई डोर और मांझा कई बार पक्षियों और इंसानों के लिए खतरनाक बन जाती है. इसी समस्या को हल करने के लिए अहमदाबाद के खोखरा वार्ड के पार्षद कमलेश पटेल ने एक अनोखा अभियान शुरू किया है.
पिछले 4 सालों से चल रहा अभियान
उत्तरायण पर्व के बाद कमलेश पटेल और उनकी टीम एक सप्ताह तक पेड़ों, सड़कों और बिजली के खंभों पर फंसी डोर और पतंगों को निकालने का काम करती है. यह पहल पक्षियों और इंसानों को डोर से होने वाली दुर्घटनाओं से बचाने के लिए चलाई जाती है. पिछले चार वर्षों से चल रहे इस अभियान में पिछले साल 320 किलो डोर इकट्ठा की गई थी, जबकि इस साल यह आंकड़ा 1000 किलो तक पहुंच गया.
मांझे का पहाड़ बनाकर जलाया
खोखरा के कमल मैदान में एकत्रित डोर और मांझे का दहन किया गया. इस अनोखे कार्यक्रम के माध्यम से समाज को यह संदेश दिया गया कि पतंगबाजी का आनंद लेते समय हमें अपने पर्यावरण और पक्षियों का भी ख्याल रखना चाहिए. कार्यक्रम में यह संकल्प लिया गया कि भविष्य में हम उत्तरायण के बाद डोर और उलझी हुई पतंगों को सुरक्षित तरीके से हटाने का काम जारी रखेंगे.
क्या है इसके पीछे की वजह?
इस छोटे से प्रयास के माध्यम से कमलेश पटेल और उनकी टीम ने एक बड़ी जिम्मेदारी उठाई है. उनके अभियान ने समाज को यह सोचने पर मजबूर किया है कि हमारा एक छोटा कदम कितनी जिंदगियों को बचा सकता है. यह पहल न केवल सेवा का उदाहरण है, बल्कि पर्यावरण और जीव-जंतुओं के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी उजागर करती है.
Location :
Ahmadabad,Gujarat
First Published :
January 20, 2025, 18:41 IST