Monday, February 24, 2025
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Home महाशिवरात्रि से पहले भौम प्रदोष का विशेष संयोग:मकर राशि में चंद्रमा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का योग; शाम को 24 मिनट का पूजन काल

महाशिवरात्रि से पहले भौम प्रदोष का विशेष संयोग:मकर राशि में चंद्रमा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का योग; शाम को 24 मिनट का पूजन काल

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फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में मंगलवार को भौम प्रदोष का विशेष संयोग बन रहा है। यह महाशिवरात्रि से एक दिन पहले का पर्व है। मंगलवार को मकर राशि में चंद्रमा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का योग बन रहा है।

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प्रदोष काल सूर्यास्त के समय 24 मिनट का होता है। कुछ विद्वान इसे 42 या 45 मिनट भी मानते हैं। इस दौरान की गई पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। उत्तर और दक्षिण भारत में प्रदोष काल में थोड़ा अंतर होता है।

ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बा वाला के अनुसार, इस दिन सायंकाल बुध ग्रह का उदय पश्चिम दिशा में होगा। यह व्यापार के लिए शुभ माना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवग्रहों के अधिष्ठाता भगवान शिव हैं। शिव की कृपा से ही नवग्रहों को ऊर्जा मिलती है। भौम प्रदोष पर भूमि, भवन, संपत्ति और वाहन प्राप्ति के लिए विशेष पूजन किया जा सकता है।

प्रदोष काल में अभिषेक या हवन करने से ग्रहों की अनुकूलता बढ़ती है। इससे जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। इस दिन का व्रत ग्रह दोष निवारण के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।

मंगलवार को मकर राशि में चंद्रमा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का योग बन रहा है।

मंगलवार को मकर राशि में चंद्रमा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का योग बन रहा है।

प्रदोष काल केवल 24 मिनट का होता है

प्रदोष काल मुख्य रूप से संध्या समय 24 मिनट का माना जाता है। कुछ विद्वान इसे 42 से 45 मिनट तक का मानते हैं, किंतु मूल संधि में एक घटी अर्थात 24 मिनट ही मान्य है। इस कालखंड में किया गया पूजन अत्यंत शुभ होता है और सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।

ग्रह दोष निवारण के लिए किया जाता है प्रदोष व्रत

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवग्रहों के अधिष्ठाता देवता भगवान शिव हैं। शिव की कृपा से ही नवग्रहों को ऊर्जा प्राप्त होती है। नवग्रहों की अनुकूलता हेतु प्रदोष काल में अभिषेकात्मक या हवनात्मक अनुष्ठान किया जा सकता है। इससे ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त होती है और बाधाओं का निवारण होता है।

मंगलनाथ और अंगारेश्वर में होगी भात पूजा

उज्जैन को मंगल ग्रह की भूमि माना जाता है। मंगल ग्रह नवग्रहों में पराक्रम, प्रतिष्ठा, भूमि, भवन, संपत्ति और वाहन प्राप्ति का कारक है। विवाह में आ रही बाधाओं और मंगल दोष निवारण के लिए मंगलनाथ तथा अंगारेश्वर मंदिर में भात पूजा की जाती है। अंगारेश्वर महादेव मंदिर में अंगारक योग की शांति के लिए विशेष पूजन किया जाता है। भौम प्रदोष के संयोग पर बड़ी संख्या में भक्त दूर-दराज से आकर इन मंदिरों में पूजन-अर्चन करते हैं।

शिवरात्रि पर नहीं होगी भात पूजा

प्रसिद्ध श्री मंगलनाथ और श्री अंगारेश्वर मंदिरों में 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मंगलनाथ मंदिर के प्रशासक के.के. पाठक ने बताया कि 25 फरवरी को भौम प्रदोष पर भात पूजा व अन्य पूजन संपन्न होगा, लेकिन 26 फरवरी को शिवरात्रि होने के कारण भात पूजा नहीं की जाएगी। श्रद्धालुओं को सहज दर्शन उपलब्ध कराने के लिए शिवरात्रि पर केवल भगवान की नियमित पूजन ही होगी।

श्री अंगारेश्वर मंदिर के प्रबंधक गोपाल शर्मा ने भी बताया कि मंगलवार को भात पूजा संपन्न होगी, लेकिन 26 फरवरी को शिवरात्रि के दिन अंगारेश्वर मंदिर में भी भात पूजा नहीं होगी। उस दिन श्रद्धालु भगवान के दर्शन करते रहेंगे।

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