मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने डबल एक्सपेरिमेंट किया है। अमूमन एंटी इम्कबेंसी से निपटने के लिए बीजेपी सरकारों का चेहरा बदलती रही है। साथ ही विधायकों के टिकट भी काटे जाते रहे हैं। मगर महाराष्ट्र में बीजेपी ने 99 कैंडिडेट की लिस्ट जारी कर डबल एक्सपेरिमेंट किया है। चुनाव से पहले ढाई साल पुरानी सरकार में फेरबदल नहीं किया और पहली लिस्ट में सिर्फ 3 विधायकों के टिकट काटे गए हैं। 75 पुराने खिलाड़ी ही मैदान में रहेंगे। सूत्रों पार्टी जल्द ही 50 से अधिक उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी करेगी। दूसरी लिस्ट में भी ज्यादातर विधायक फिर से रिपीट किए जा सकते हैं। भाजपा ने दूसरे प्रयोग के तौर पर हारी गई सीटों पर नए चेहरों पर दांव लगाया है।
एमपी और हरियाणा में काटे थे 20 फीसदी विधायकों के टिकट
बीजेपी ने महा विकास अघाड़ी से पहले अपने कैंडिडेट की घोषणा कर पहली बाजी मार ली है, हालांकि मध्यप्रदेश और हरियाणा की तरह विधायकों के टिकट नहीं काटे हैं। हर चुनाव में बीजेपी करीब 20 प्रतिशत विधायकों को बदलती रही है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एंटी इन्कबेंसी के काट के तौर पर पांच मंत्रियों समेत 11 विधायकों के टिकट काटे थे। हरियाणा में बीजेपी के विधायकों की संख्या 40 थी। इसका नतीजा रहा कि 88 सीटों में 48 सीटों पर बीजेपी के कैंडिडेट जीत गए। 2023 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान 131 विधायकों में 29 विधायकों का पत्ता काट दिया था। चुनाव में भाजपा को बड़ी जीत मिली। मगर लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में यह दांव उल्टा पड़ गया था। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में 66 सांसदों में से 17 के टिकट काट दिए थे। इसके बावजूद एंटी इन्कबेंसी का मुकाबला नहीं कर सके। बीजेपी के 26 सांसद चुनाव हार गए और 17 नए चेहरों में सिर्फ 12 को जीत मिली थी।
महाराष्ट्र में बागी की टेंशन नहीं, भरोसमंद बने रहने का इनाम
महाराष्ट्र में बीजेपी ने यूपी से सबक लेते हुए पुराने विधायकों को रिपीट किया है, ताकि बागियों की टेंशन नहीं रहे। पार्टी के एक नेता ने बताया कि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में बड़ी हलचल हुई। सभी बड़ी पार्टियों में बगावत और मतभेद सामने आए। सिर्फ बीजेपी इससे अछूती रही। पिछले चुनाव में जीते 106 विधायक पार्टी के आदेशों के साथ बंधे रहे और एकजुट रहे। इस भरोसे का इनाम मिलना भी जरूरी है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी अगर हरियाणा और मध्यप्रदेश की तरह टिकट काटेगी तो पार्टी में भगदड़ मच जाएगी। हरियाणा और एमपी में विधायकों के लिए सिर्फ कांग्रेस के दरवाजे खुले थे, जहां पहले से ही टिकट की मारामारी थी। महाराष्ट्र में बीजेपी के अलावा पांच दल हैं, जो इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं। चुनाव के दौर में बीजेपी ने ऐसा करने का मौका नहीं दिया।
सिर्फ लाडली बहिन के भरोसे नहीं है बीजेपी, आरएसएस भी साथ
लोकसभा चुनाव के बाद महायुति सरकार ने तिजोरी का मुंह खोल दिया। लाडली बहिन योजना जैसी योजनाओं के प्रचार पर करोड़ों खर्च कर दिए और चुनाव में इसका फायदा मिलने की पूरी संभावना है। यूपी से सबक लेते हुए अपने विधायकों को एकजुट रखा है और मध्यप्रदेश की जीत के बाद लाडली बहिन जैसी स्कीम लेकर आए। महाराष्ट्र में बीजेपी ने गलती भी सुधारी है। यूपी की तरह बीजेपी के उम्मीदवार सिर्फ मोदी के चेहरे और पांच किलो राशन वाली स्कीम के भरोसे नहीं है। इसके अलावा विपक्ष के संविधान और आरक्षण वाले नैरेटिव को खत्म करने के लिए आरएसएस के साथ बीजेपी के कैडर पिछले 6 महीने से काम रहा है। बीजेपी करीब 155 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। अगर यह ट्रिक काम कर गया तो महाराष्ट्र में भी हैट्रिक तय है।