मंत्री ने बकरी और गाय को लगाया टीका, शिकायत करने थाने पहुंच गए लोग, दी ऐसी-ऐसी दलील, पुलिसवाले भी रह गए सन्न
गुवाहाटी/गोलाघाट, मंत्रियों के खिलाफ कई तरह की शिकायतें आपने सुनी होंगी, लेकिन असम में एक अजीब मामला सामने आया है. असम सरकार के एक मंत्री ने पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाया. लेकिन अगले ही पल लोग उनकी शिकायत करने थाने पहुंच गए. उन पर मुकदमा दर्ज करने की मांग करने लगे. यह देखकर पुलिसवाले भी सन्न रह गए.
असम के पशुपालन एवं पशु चिकित्सा मंत्री अतुल बोरा ने 12 जुलाई को सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर कई तस्वीरें शेयर की. कैप्शन में लिखा, सरकार ने पूरे राज्य में किसानों के लाभ के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा सेवाएं और पशुओं का समय पर टीकाकरण करने की पहल की है. हाल ही में आई बाढ़ को देखते हुए, पशुओं को बीमारियों से बचाने और क्षेत्र में प्रभावित पशुओं के मुफ्त टीकाकरण एवं उन्हें उपचार प्रदान करने के लिए आज बोकाखाट निर्वाचन क्षेत्र के बोंगकुवाल गांव में पशुओं के टीकाकरण एवं पशु चिकित्सा सेवा अभियान की शुरुआत की गई.
Under the visionary leadership of Hon’ble Chief Minister Dr. @himantabiswa, our Government has taken the initiative of providing mobile veterinary services and timely vaccination of livestock for the benefit of farmers across the state. As a result, livestock farmers in the… pic.twitter.com/OBAOw6mldU
— Atul Bora (@ATULBORA2) July 12, 2024
बोरा ने खुद डाली थी तस्वीरें
बोरा ने जो तस्वीरें शेयर की, उनमें से दो में वे बोंगकुवाल गांव में एक बकरी और एक गाय को इंजेक्शन लगाते हुए दिखाई दिए. ये तस्वीरें, खासकर गाय वाली तस्वीर, सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और मंत्री की आलोचना की गई. लेकिन बोरा की मुश्किलें तब बढ़ गईं, जब कुछ लोग उनके खिलाफ शिकायत करने थाने पहुंच गए. लोगों ने मंत्री के इस व्यवहार की आलोचना की. इतना ही नहीं, ये तक कह डाला कि वे ऐसा नहीं कर सकते.
शिकायत में क्या-क्या कहा
किसान संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति ने थाने में दी शिकायत में कहा कि बोरा प्रमाणित पशु चिकित्सक नहीं हैं और इसलिए वह पशुओं को इंजेक्शन लगाने के लिये अधिकृत नहीं हैं. समिति के महासचिव (प्रभारी) हीरकज्योति सैकिया ने कहा, यदि अनुभवहीन और अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा पशुओं का इलाज किया जाता है तो इससे उनको खतरा हो सकता है. कानून के अनुसार यह दंडनीय अपराध भी है. इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. पुलिस ने हालांकि एफआई आर दर्ज नहीं की है और शिकायत को जांच के लिए गोलाघाट जिले के स्थानीय पुलिस थाने में भेज दिया. गोलाघाट पुलिस थाने के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, शिकायत मिली है, लेकिन अभी तक मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है. हमने इसे स्थानीय पुलिस थाने में भेज दिया है, जहां यह घटना हुई थी। वे प्राथमिकी दर्ज करने के बारे में फैसला करेंगे.
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FIRST PUBLISHED :
July 14, 2024, 22:59 IST