हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडिया‘भाग भी नहीं सके, मिला दूसरा जन्म’, चमोली एवलांच हादसे में बचे मजदूरों ने सुनाई खौफनाक आपबीती
‘भाग भी नहीं सके, मिला दूसरा जन्म’, चमोली एवलांच हादसे में बचे मजदूरों ने सुनाई खौफनाक आपबीती
Chamoli Glacier Burst: उत्तराखंड के चमोली में हुए हिमस्खलन में फंसे 50 श्रमिकों को बचा लिया गया है. बर्फ में फंसे लोगों ने बताया कि कैसे वह जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे थे.
By : पीटीआई- भाषा | Edited By: विक्रम कुमार | Updated at : 01 Mar 2025 11:37 PM (IST)
उत्तराखंड हिमस्खलन में बचे मजदूरों ने सुनाई आपबीती
Uttarakhand Chamoli Glacier Burst: माणा के पास कंटेनर में रहने वाले 55 निर्माण श्रमिकों में से एक गोपाल जोशी हर दिन की तरह शुक्रवार (28 फरवरी 2025) को सन्नाटे में लिपटी सुबह की उम्मीद में बाहर निकले, लेकिन उन्होंने बर्फ का सैलाब देखा जो तेज गति से उनकी ओर आ रहा था. इस क्षेत्र में सर्दियों में होने वाले हिमस्खलन ने अंततः उस स्थान को बर्बाद कर दिया, जहां वे काम कर रहे थे. मजदूर बर्फ की मोटी परत में फंस गए.
इस आपदा में 50 श्रमिकों को बचा लिया गया है, जबकि शनिवार (1 मार्च 2025) को उनमें से चार की मौत हो गई. चमोली जिले के नारायणबागर के मूल निवासी गोपाल जोशी पिछले कई महीनों से एक एक्सीलेटर मशीन संचालित कर रहे थे. यह समूह विजय इंफ्रा कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) कैंप में कार्यरत था.
‘बर्फ का सैलाब हमारी तरफ बढ़ा’
गोपाल जोशी ने याद करते हुए कहा कि यह सब एक झटके में हुआ. उन्हें सेना के ज्योतिर्मठ अस्पताल में अपने 22 सहयोगियों के साथ इलाज के लिए भर्ती कराया गया. उन्होंने कहा कि मौसम पिछले कुछ दिनों की तरह ही खराब था. जोशी ने कहा, ‘‘बाहर बर्फ गिर रही थी. घटना सुबह 6 बजे के आसपास हुई होगी. जैसे ही हम कंटेनर से बाहर निकले, हमें तेज गड़गड़ाहट सुनाई दी. जब हमने ऊपर की तरफ देखा तो एक हिम सैलाब हमारी तरफ बढ़ रहा था. मैं अपने साथियों को सचेत करने के लिए चिल्लाया और वहां से भागा.’’
उन्होंने कहा, ‘‘वहां पहले से ही कई फुट बर्फ जमी हुई थी, जिसकी वजह से हम तेजी से भाग नहीं सकते थे. दो घंटे बाद भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान हमें बचाने आए.’’ जोशी और उनके साथियों को शनिवार को सेना के हेलीकॉप्टर से माणा से ज्योतिर्मठ लाया गया, जहां उन्हें सेना के अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया. उनके सिर पर मामूली चोट आई और सीने में दर्द था.
लोडर मशीन के पीछे भागे मजदूर
हिमाचल प्रदेश के विपिन कुमार की पीठ में चोट लगी. उन्होंने बताया कि वे करीब 15 मिनट तक बर्फ में दबे रहे. उन्होंने कहा कि जब हिमस्खलन रुका, तब वह बर्फ बाहर निकल पाए.’’ उन्होंने कहा कि यह उनका दूसरा जन्म है. मनोज भंडारी नामक एक अन्य मजदूर ने बताया कि वे चोटी से बर्फ के पहाड़ के खिसकने से जागे. उन्होंने कहा, “मैं सभी को सचेत करने के लिए चिल्लाया और खुद को बचाने के लिए पास में खड़ी लोडर मशीन के पीछे भागा.’’
मथुरा के तीन मजदूरों ने बताया कि हिमस्खलन से बचने की उनकी कोशिश कई फुट बर्फ के कारण बाधित हुई. पंजाब के अमृतसर के जगबीर सिंह ने बताया कि वे और उनके साथी बद्रीनाथ की ओर भागे. बचाए गए और यहां सेना के अस्पताल लाए गए 19 लोगों में से अधिकांश के शरीर पर चोटें आई थीं. इनमें से दो को गंभीर चोटें आईं, जिन्हें हेलीकॉप्टर से ऋषिकेश स्थित एम्स भेजा गया. मजदूरों ने बताया कि वे सड़क किनारे लगाए गए पांच कंटेनर में रह रहे थे. घटनास्थल पर उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के 55 मजदूर थे, जिन्हें जीआरईएफ ने अनुबंधित किया था.
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Published at : 01 Mar 2025 11:37 PM (IST)
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