Friday, January 10, 2025
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ब्रू-रियांग, जिनसे मिले शाह, जो साल भर कहीं नहीं रहते, वो 1997 से क्यों डटे

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हाइलाइट्स

अमित शाह ने त्रिपुरा में ब्रू-रियांग समुदाय से मुलाकात की.1997 से त्रिपुरा में रह रहे ब्रू-रियांग समुदाय को बसाया जाएगा.ब्रू-रियांग समुदाय मुख्यतः कृषि पर निर्भर है.

नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज त्रिपुरा के ब्रू-रियांग समुदाय के लोगों से मुलाकात की. जो पूर्वोत्तर भारतीय राज्य त्रिपुरा के कबीले में से एक है. रियांग भारत के त्रिपुरा राज्य में हर जगह पाए जाते हैं. इसके अलावा वे असम और मिजोरम में भी पाए जाते हैं. वे कोकबोरोक भाषा के समान रियांग बोली बोलते हैं, जिसकी जड़ें तिब्बती-बर्मी हैं और जिसे स्थानीय रूप से ‘कौ ब्रू’ के नाम से जाना जाता है. रियांग एक अर्ध-खानाबदोश लोग हैं जो झूम (काटना और जलाना) या स्थानांतरण विधि से पहाड़ियों पर खेती करते हैं. यह उन्हें कुछ वर्षों के बाद जगह बदलने के लिए मजबूर करता है.

ब्रू-रियांग समुदाय को भारतीय संविधान में ‘रियांग’ के रूप में जाना जाता है. ब्रू या रियांग समुदाय 12 कुलों से मिलकर बना है: मोलसोई, तुइमुई, मशा, तौमायाचो, एपेटो, वैरेम, मेस्का, रायकचक, चोरखी, चोंगप्रेंग, नौखम और याकस्टाम. वहीं संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 के भाग XVII के मुताबिक रियांग (ब्रू) जनजाति कुकी जनजाति की एक उप-जनजाति है और मिजोरम की अनुसूचित जनजातियों में से एक है. कुकी और मिजो कुकी-चिन भाषाई समूह के सदस्य हैं, जबकि ब्रू बोडो भाषाई समूह से संबंधित हैं. इसके कारण संविधान (अनुसूचित जनजाति) के भाग XV- त्रिपुरा की धारा 16 के तहत त्रिपुरा ब्रू/रियांग को एक अलग जनजाति के रूप में नामित किया गया है.

केंद्र की पहल से समझौता
1997 में भड़की हिंसा के मद्देनजर में मिजोरम से त्रिपुरा भाग गए लगभग 30,000 लोगों को मतदान का अधिकार देने का केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फैसले किया था. केंद्र, त्रिपुरा और मिजोरम सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद ब्रू- रियांग जनजाति के 32876 लोगों को मिजोरम वापस भेजा जाना तय था. जनवरी 2020 को केंद्र, त्रिपुरा और मिजोरम की राज्य सरकारों और ब्रू प्रतिनिधियों के बीच मिजोरम से ब्रू-रियांग समुदाय के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (आईडीपी) को त्रिपुरा में स्थायी रूप से बसाने के लिए एक चतुष्पक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. जिससे लगभग 34,000 आईडीपी लाभान्वित हुए.

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रियांग कृषि प्रधान जनजाति
रियांग मुख्य रूप से कृषि प्रधान जनजाति है. अतीत में, वे ज़्यादातर अन्य त्रिपुरी जनजातियों की तरह झूम खेती करते थे. हालांकि, आज उनमें से ज़्यादातर ने आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपना लिया है. कई लोग नौकरशाही में उच्च पदों पर हैं और कुछ ने तो अपना खुद का बिजनेस भी शुरू कर दिया है.

Tags: Amit shah, Amit shah news, Tripura News

FIRST PUBLISHED :

December 22, 2024, 19:22 IST

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