Tuesday, January 14, 2025
Tuesday, January 14, 2025
Home देश बुलडोजर एक्शन पर उठ रहे थे सवाल, तुषार मेहता ने रखी ऐसी दलील, SC ने की तारीफ

बुलडोजर एक्शन पर उठ रहे थे सवाल, तुषार मेहता ने रखी ऐसी दलील, SC ने की तारीफ

by
0 comment

सुप्रीम कोर्ट बुलडोजर एक्शन पर उठा रहा थी सवाल, तभी तुषार मेहता ने रखी ऐसी दलील, योगी सरकार की हुई तारीफ

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपराधों के आरोपी व्यक्तियों के घरों या संपत्तियों को ध्वस्त करने की बढ़ती प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए इसे “बुलडोजर न्याय” का मामला बताया. सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा की कि वह इस मुद्दे के समाधान के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा. हालांकि, अदालत ने उत्तर प्रदेश द्वारा अपनाई गई स्थिति को भी स्वीकार किया और उसकी सराहना की, जिसमें कहा गया था कि विध्वंस केवल तभी किया जा सकता है जब संरचना अवैध मानी जाती है.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने आदेश में कहा कि “हम पूरे भारत के लिए इस मामले को लेकर कुछ दिशा-निर्देश बनाने का प्रस्ताव करते हैं ताकि इसको लेकर जताई गई चिंताओं का ध्यान रखा जा सके. हम उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा उठाए गए रुख की सराहना करते हैं. इसको लेकर सभी पक्षों के वकील सुझाव दे सकते हैं ताकि अदालत इसको लेकर एक दिशा-निर्देश तैयार कर सके जो भारत में हर जगह लागू हो पाए.”

उत्तर प्रदेश में विध्वंस की कार्रवाई की सराहना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा प्रस्तुत हलफनामे का जिक्र करते हुए कहा कि, इसमें कहा गया है कि विध्वंस सख्ती से कानून के अनुसार किया जाएगा. भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “किसी भी अचल संपत्ति को सिर्फ इसलिए ध्वस्त नहीं किया जा सकता क्योंकि आरोपी किसी अपराध में शामिल है और ऐसा विध्वंस केवल तभी हो सकता है जब ढांचा अवैध हो.”

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अदालत में पेश होते हुए मेहता ने मामले में राज्य द्वारा दायर पहले के हलफनामे का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि हलफनामे में कहा गया है कि केवल इसलिए कि किसी व्यक्ति पर किसी अपराध का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया था, कभी भी उसकी अचल संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता.

जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि इस तरह के विध्वंस की अनुमति केवल इसलिए नहीं दी जा सकती क्योंकि कोई व्यक्ति किसी अपराध का आरोपी है. कोर्ट ने आगे पूछा कि “सिर्फ इसलिए कि (एक व्यक्ति) आरोपी है, तोड़फोड़ कैसे की जा सकती है?”

अदालत कथित तौर पर बिना किसी नोटिस के और “बदले की कार्रवाई” के रूप में की गई तोड़फोड़ के संबंध में दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. ये दोनों याचिकाएं राजस्थान के राशिद खान और मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन द्वारा अदालत के सामने दायर की गई थी. उदयपुर के 60 वर्षीय ऑटो-रिक्शा चालक खान ने दावा किया कि 17 अगस्त, 2024 को उदयपुर जिला प्रशासन ने उनके घर को ध्वस्त कर दिया था.

यह उदयपुर में हुए सांप्रदायिक हिंसा के बाद हुई कार्रवाई है, जिसके दौरान कई वाहनों को आग लगा दी गई और बाजार बंद कर दिए गए. अशांति तब शुरू हुई जब एक मुस्लिम स्कूली छात्र ने कथित तौर पर अपने हिंदू सहपाठी को चाकू मार दिया, जिसकी बाद में मौत हो गई, जिसके कारण इलाके में तनाव बढ़ा और निषेधाज्ञा लागू कर दी गई. खान आरोपी छात्र का पिता है. इसी तरह, मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन ने आरोप लगाया है कि राज्य प्रशासन ने उनके घर और दुकान दोनों को गैरकानूनी तरीके से ध्वस्त कर दिया.

Tags: Supreme Court, Tushar mehta, Yogi adityanath

FIRST PUBLISHED :

September 3, 2024, 04:04 IST

You may also like

Leave a Comment

About Us

Welcome to janashakti.news/hi, your trusted source for breaking news, insightful analysis, and captivating stories from around the globe. Whether you’re seeking updates on politics, technology, sports, entertainment, or beyond, we deliver timely and reliable coverage to keep you informed and engaged.

@2024 – All Right Reserved – janashakti.news/hi

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.