महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा बस होने ही वाली है. इससे ऐन पहले हुई एक हत्या ने सूबे की सियासत में भी हलचल मचा दी है. इस बात की पूरी आशंका है कि इस हत्या की गूंज विधानसभा चुनाव तक विपक्ष शांत नहीं होने देगा. सत्ताधारी दल के नेता की इस तरह हत्या से विपक्ष के हाथ एक जोरदार मुद्दा हाथ लग गया है. राज्य में कानून-व्यवस्था का मुद्दा. लेकिन, असल सवाल है कि क्या सरकार इससे सबक लेगी? क्या जनता सरकार को कठघरे में खड़ा करेगी? क्योंकि राज्य का रिकॉर्ड अपराध के मामले में बहुत अच्छा नहीं रहा है. इस साल ही सियासी हत्या की कई घटनाएं हो चुकी हैं.
अजित पवार की अगुआई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता और तीन बार विधायक रहे बाबा सिद्दीकी की मुंबई में सरेआम हत्या कर दी गई. वाई-श्रेणी की सुरक्षा के बावजूद, शनिवार की रात सिद्दीकी की तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. यह कांड सिद्दीकी के विधायक बेटे के ऑफिस के बाहर हुआ. तुर्रा यह कि हत्या में जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का हाथ बताया जा रहा है. मुंबई पुलिस ने इसकी पुष्टि की है. इसी गैंग का हाथ कुछ महीने पहले सलमान खान के घर के पास फायरिंग में भी बताया गया था. जेल में बंद गैंगस्टर बार-बार अपराध को अंजाम दिए जा रहा है, यह पुलिस व्यवस्था पर बड़ा सवाल है.
बाबा सिद्दीकी की हत्या तब हुई जब वह अपने बेटे, विधायक जीशान सिद्दीकी के बांद्रा ईस्ट स्थित कार्यालय से निकलकर अपनी कार में बैठ रहे थे. पुलिस के मुताबिक, हमलावरों ने उन पर करीब छह से सात राउंड फायरिंग की, जिनमें से दो गोलियां उनके सीने में और एक गोली पेट में लगी. गंभीर चोटें आने के बाद उन्हें तुरंत लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई.
घटना के तुरंत बाद कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों के नेता राज्य की शिंदे सरकार पर हमलावर हो गए. उन्होंने “राज्य में बढ़ते आपराधिक मामलों” पर सरकार से जवाब मांगा है. शरद पवार सहित कई नेताओं ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की मांग की है. पर क्या यह शोर केवल सियासी है और वाकई राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश भर है?
अपराध के मामले में महाराष्ट्र का रिकॉर्ड पहले से ही खराब रहा है. लेकिन, चुनाव में अपराधियों पर लगाम कसना, या जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक आम मुद्दा नहीं बन पाता है. अपराध के मामले में महाराष्ट्र का रिकॉर्ड कितना खराब है, इसका अंदाज सरकारी आंकड़ों से भी मिलता है. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2022 में राज्य में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ पांच और बच्चों के खिलाफ दो अपराध दर्ज हुए. साल 2021 में जहां महिलाओं के खिलाफ 39526 अपराध के मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2022 में इनकी संख्या 49331 थी. बच्चों के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या 2021 के 17261 की तुलना में 2022 में 20762 रहीं.
-2022 में महाराष्ट्र में दंगे भी सबसे ज्यादा हुए थे. एनसीआरबी के मुताबिक 2022 में महाराष्ट्र में दंगों के 8218 केस दर्ज किए गए थे.
-आईपीसी के तहत दर्ज आपराधिक मामलों की संख्या उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में ही थी. हत्या के मामले में महाराष्ट्र का नंबर देश में तीसरा था.
-महाराष्ट्र और मुंबई के लिए राजनीतिक हत्या भी कोई नई बात नहीं है. इस साल की शुरुआत (8 फरवरी) में ही वृहन्मुंबई नगर निगम के पूर्व कॉरपोरेटर अभिषेक घोसालकर की हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या की फेसबुक पर लाइव स्ट्रीमिंग भी की गई थी.
-इसी अक्तूबर में पांच तारीख को अजित पवार की पार्टी के ही नेता सचिन कुर्नी की चाकू मार कर हत्या कर दी गई थी.
-बाबा सिद्दीकी कांग्रेस के टिकट पर तीन बार विधायक चुने गए और 1999 से 2014 तक बांद्रा पश्चिम विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. वह 2004 से 2008 तक कांग्रेस-राकांपा सरकार में मंत्री भी रहे. उन्होंने राजनीति के साथ-साथ फिल्म जगत में भी अपना विशाल नेटवर्क बनाया था. इसकी झलक उनके द्वारा दी जाने वाली इफ्तार की दावत में भी दिखाई देती थी. उनकी इफ्तार पार्टी देश की सबसे चर्चित इफ्तार पार्टी में शुमार होती थी.
बाबा सिद्दीकी मूल रूप से बिहार के थे. उनके पिता अब्दुल रहीम कारोबारी थे. उनका असली नाम जियाउद्दीन सिद्दीकी था. उन्होंने राजनीति का रास्ता शुरुआती दौर में ही पकड़ लिया था. छात्र राजनीति के रास्ते उन्होंने राजनीतिक सफर शुरू किया. 1977 में जब वह कांग्रेस में आए तब काफी कम उम्र के थे. लेकिन, आते ही तरक्की करते गए. 1980 में वह बांद्रा तालुका यूथ कांग्रेस के महासचिव बने और दो साल में ही इसके अध्यक्ष बन गए.
1988 आते-आते सिद्दीकी मुंबई यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए थे. 1992 में वह बीएमसी के कॉरपोरेटर चुने गए. धीरे-धीरे वह सुनील दत्त के काफी करीब हो गए. सुनील दत्त मुंबई नॉर्थ वेस्ट सीट से लगातार पांच बार सांसद रहे थे. उनसे करीबी के चलते सिद्दीकी को 1999 में बांद्रा पश्चिम से विधायकी का टिकट लेने में बड़ी मदद मिली. 2004 आते-आते बाबा सिद्दीकी महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बन गए. वह 2004 से 2008 तक कांग्रेस-एनसीपी सरकार में राज्य मंत्री रहे.
कांग्रेस का मुस्लिम चेहरा बन चुके बाबा सिद्दीकी को 2014 में बीजेपी के आशीष शेलार ने हराकर बड़ा राजनीतिक झटका दिया था. तब से वह अपना राजनीतिक कॅरिअर एक बार फिर ऊपर उठाने के लिए संघर्ष ही करते आ रहे थे. हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने बेटे जीशान सिद्दीकी को बांद्रा ईस्ट सीट से टिकट दिलवा दिया था. जीशान शिवसेना उम्मीदवार से 5000 वोट के अंतर से जीत भी गए थे.
बाद में कांग्रेस ने जब शिवसेना से हाथ मिला लिया था तो सिद्दीकी के लिए मुश्किल खड़ी हो गई थी. इसी साल फरवरी में उन्होंने कांग्रेस से करीब 48 साल पुराना नाता तोड़ लिया था और अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी में चले गए थे.
बाबा सिद्दीकी ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में राजनीति से इतर, बॉलीवुड सहित अन्य क्षेत्र के दिग्गजों से भी खूब रिश्ते बनाए. लेकिन, राजनीति में जब उनका सफर नीचे की ओर शुरू हुआ तो वह बिहार लौटने का भी मन बनाने लगे थे. राजनीतिक गलियारों में घूमने वाले कई लोग यह भी कहते हैं कि वह बिहार से राज्यसभा जाना चाहते थे और इसके लिए तेजस्वी यादव से संपर्क भी किया था, लेकिन बात नहीं बन पाई.
सिद्दीकी के साथ जो हुआ, वह महाराष्ट्र सरकार के मुंह पर अपराधियों का एक तमाचा है. देखना है, सरकार इसका जवाब कैसे देती है और जनता को उसकी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त कर पाने में कितना कामयाब रहती है.
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FIRST PUBLISHED :
October 13, 2024, 21:03 IST