छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र ने बांध निर्माण को लेकर कराए जा रहे सर्वे के मामले में सोशल मीडिया पर किसी भी तरह का बयान या टिप्पणी लिखने पर प्रतिबंध लगा दिया है। कहा है कि सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर बांध निर्माण के संबंध में वीडियो या मैसेज पोस
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दरअसल, 16 अगस्त 2024 को परियोजना के दायरे में आने वाली भूमि अर्जन के लिए नोटिफिकेशन किया है। जिसमें किसानों की निजी भूमि और परिसंपत्तियों का सर्वेक्षण कराया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों तथा अधिकृत कंपनी अडानी एलसीसी (जेवी) के कर्मचारियों ने इसके लिए दो माह से सर्वे किया जा रहा है। इसी को लेकर आदेश जारी किया है।
इस आदेश को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने ट्वीट किया है। कहा है कि सोशल मीडिया पर आवाज उठाने वालों को जेल भेजने के लिए ऐसा आदेश जारी किया है।
आदेश में लिखा- डराया धमकाया जा रहा
22 जनवरी को यह आदेश छिंदवाड़ा जिले की हर्रई तहसील के अंतर्गत शक्कर पेंच लिंक संयुक्त परियोजना फेज 1 के मामले में जारी किया है। इसमें हर्द बांध का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है जिसमें इस क्षेत्र के कुकरपानी, सियाझिरी, उमरी खुर्द, माड़ोपानी, चुरीकला, सालेबरू, झिरपी, खजरवानी (आमाढाना, परेवाढाना), कुंडाली और देवरी समेत 10 गांव शामिल हैं।
कलेक्टर ने आदेश में कहा है कि सर्वे के लिए बनाई गई टीम का सर्वे के दौरान कतिपय व्यक्तियों द्वारा स्थानीय ग्रामीणों को उकसाकर विरोध किया जा रहा है। सर्वे दल को डराया धमकाया जाकर सर्वे कार्य प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है। सोशल मीडिया के प्लेटफार्म फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम आदि पर असामाजिक तत्वों द्वारा निर्माण से संबंधित मैसेज, वीडियो पोस्ट किए जाकर क्षेत्र के लोगों को भड़काने का प्रयास किया जाता है।
इस कारण ग्रामीणों ने पूर्व में भी विरोध किया है। जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति बनी है। आने वाले समय में भी कानून व्यवस्था प्रभावित होने की संभावना है। इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए असामाजिक बाहरी तत्वों पर नियंत्रण रखने व जनहित में सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा के लिए निषेधाज्ञा आदेश जारी किया जा रहा है।
यह लिखा है कलेक्टर के आदेश में
कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने आदेश में लिखा है कि छिंदवाड़ा जिले के तहसील हर्रई की सभी राजस्व सीमाओं में किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म वॉट्सऐप, यू-ट्यूब, फेसबुक, ट्विटर आदि के माध्यम से बांध निर्माण से संबंधित मैसेज, वीडियो पोस्ट किया जाना या भ्रामक खबरें प्रसारित करना प्रतिबंधित किया जाता है। यह आदेश भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के अंतर्गत जारी किया गया है।
कलेक्टर ने आदेश में कहा है कि यह आदेश पुलिस अधीक्षक छिंदवाड़ा के प्रतिवेदन पर जारी किया है। आदेश बांध निर्माण के सर्वे से लेकर बांध निर्माण पूरा होने तक प्रभावी रहेगा।
नेता प्रतिपक्ष बोले- यह मीडिया को रोकने की कोशिश
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा है कि यह मीडिया को रोकने की कोशिश है। सिंघार ने कहा है कि छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी किसान जमीन अधिग्रहण के एवज में उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
इसके लिए कई बार आंदोलन भी किए हैं और कर रहे हैं। कहीं इन्हीं आंदोलनों से जुड़ी खबरों को रोकने के लिए कलेक्टर ने ये आदेश तो नहीं जारी किया है, ऐसा लोग पूछ रहे हैं। इस आदेश का क्या मतलब माना जाए?
आदिवासी गरीब किसानों के हक में अगर कोई भी पत्रकार सोशल मीडिया के जरिए आवाज उठाएगा तो क्या उसे जेल में डाल दिया जाएगा? या फिर यूं कहें कि अगर कोई अडानी कंपनी के खिलाफ खबर चलाएगा तो उस के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी?