नई दिल्ली. बांग्लादेश में कई हफ्तों से हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और वहां के बिगड़ते हालात की वजह से भारतीय छात्रों को घर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा है. अकेले शुक्रवार को 300 से अधिक छात्र पूर्वोत्तर में सीमा पार कर स्वदेश पहुंचे. सरकारी नौकरियों में आरक्षण की बहाली को लेकर पूरे बांग्लादेश में छात्रों की सुरक्षा बलों और सरकार समर्थक कार्यकर्ताओं के साथ झड़प में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है.
कम से कम तीन सप्ताह से चल रहा विरोध प्रदर्शन सोमवार को काफी बढ़ गया, जब ढाका विश्वविद्यालय में हिंसा भड़क उठी. उसके अगले दिन छह लोग मारे गए, जिसके बाद सरकार को देश भर में विश्वविद्यालयों को बंद करने का आदेश देना पड़ा.
जो छात्र लौटे उनमें से कई एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर रहे थे और ज्यादातर छात्र उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मेघालय और जम्मू-कश्मीर से थे. एनडीटीवी के मुताबिक, शुक्रवार को लौटने के लिए छात्रों द्वारा उपयोग किए जाने वाले दो प्रमुख मार्ग त्रिपुरा में अगरतला के पास अखौरा में अंतर्राष्ट्रीय भूमि बंदरगाह और मेघालय में डावकी में अंतर्राष्ट्रीय भूमि बंदरगाह थे.
छात्रों ने कहा कि वे इंतजार कर रहे थे और देख रहे थे कि हालात ठीक हो जाए, लेकिन आखिरकार उन्होंने अस्थायी तौर पर बांग्लादेश को छोड़ने का फैसला किया क्योंकि गुरुवार को इंटरनेट लगभग पूरी तरह से बंद कर दिया गया और टेलीफोन सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुईं, जिससे वे अपने परिवारों से कट गए.
इस बीच, भारत सरकार ने शुक्रवार को बांग्लादेश में जारी छात्रों के विरोध-प्रदर्शन को ढाका का ‘आंतरिक’ मामला करार दिया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वह वहां रह रहे 15,000 भारतीयों की सुरक्षा को लेकर स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है.
बांग्लादेश में हिंसा क्यों भड़की?
ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राह के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान राजधानी ढाका तथा अन्य जगहों पर हिंसा भड़क गई है. इसमें करीब 105 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है और कोई अन्य घायल हुए हैं.
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FIRST PUBLISHED :
July 20, 2024, 02:58 IST