हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडिया‘बांग्लादेशियों का नहीं करेंगे इलाज’, अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के बाद कोलकाता के इस अस्पताल ने लिया फैसला
‘बांग्लादेशियों का नहीं करेंगे इलाज’, अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के बाद कोलकाता के इस अस्पताल ने लिया फैसला
Kolkata: भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव बढ़ा है, खासकर उस समय जब बांग्लादेश में पिछले सप्ताह एक हिंदू समुदाय के नेता की गिरफ्तारी और जेल जाने के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए थे.
By : मनोज्ञा लोईवाल, एबीपी न्यूज | Edited By: Nidhi Vinodiya | Updated at : 01 Dec 2024 11:43 PM (IST)
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है.
Kolkata: पश्चिम बंगाल के कई अस्पतालों में बांग्लादेश से एक साल में लाखों मरीज आते हैं. कोलकाता के अधिकतर अस्पतालों में पैकेज पर ट्रीटमेंट होता है और बांग्लादेश की स्थिति को देखते हुए कोलकाता के कई अस्पतालों ने एक बड़ा फैसला लिया है. कोलकाता के उत्तर में स्थित माणिकतला क्षेत्र के एक अस्पताल ने बांग्लादेशी मरीजों का इलाज करने से इंकार कर दिया है.
माणिकतला क्षेत्र के इस अस्पताल ने यह कदम बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर कथित अत्याचारों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के बीच उठाया गया है. जे.एन. रे अस्पताल के अधिकारी शुभ्रांशु भक्त ने 29 नवंबर को बताया कि यह निर्णय बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों की ओर से भारत के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किए जाने की घटनाओं के बाद लिया गया है. शुभ्रांशु भक्त ने कहा कि अस्पताल प्रशासन ने यह कदम बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे कथित भेदभाव और अत्याचारों के विरोध में उठाया है.
बीते सप्ताह से बढ़ा तनाव
भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव बढ़ा है, खासकर उस समय जब बांग्लादेश में पिछले सप्ताह एक हिंदू समुदाय के नेता की गिरफ्तारी और जेल जाने के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए थे. 25 नवंबर को चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जो अंतर्राष्ट्रीय कृष्णा चेतना समाज (ईश्वर) बांग्लादेश के पूर्व प्रवक्ता और हिंदू समुदाय के प्रमुख सदस्य हैं, को एक राजद्रोह मामले में गिरफ्तार किया गया. यह मामला 25 अक्टूबर को चटगांव में एक बांग्लादेशी राष्ट्रीय पार्टी (बीएनपी) नेता की ओर से दायर किया गया था.
राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर लहराया था भगवा ध्वज
चिन्मय दास, जिन्हें चंदन कुमार धर के नाम से भी जाना जाता है, वर्तमान में बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोड़े के प्रवक्ता हैं और उनके अलावा 18 अन्य लोगों को बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. आरोप है कि उन्होंने बांग्लादेश संतान जागरण मंच की ओर से आयोजित एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा ध्वज फहराया था.
कोर्ट के बाहर हुई थी झड़प
26 नवंबर को चटगांव की एक अदालत ने चिन्मय दास की जमानत याचिका को खारिज कर दिया और उन्हें जेल भेज दिया. अदालत के बाहर जब उनको पुलिस की एक वैन में ले जाया जा रहा था तो उनके समर्थकों ने सड़कें ब्लॉक कर दीं, जिससे कोर्ट परिसर में 2.5 घंटे तक झड़प हुई. हमले और तोड़फोड़ के विरोध में सैफुल और उनके साथियों ने एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया. उस दौरान, हथियारबंद व्यक्तियों ने उनका पीछा किया और सैफुल को गिराकर बेरहमी से हमला किया.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने जताई चिंता
सैफुल को बाद में एक गली से बचाया गया और चटगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इसके बाद चटगांव और बांग्लादेश के अन्य हिस्सों में प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसमें हमलावरों को कड़ी सजा देने की मांग की गई. 26 नवंबर को बांग्लादेश ने भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर जारी बयान पर भी निराशा व्यक्त की थी.
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Published at : 01 Dec 2024 11:43 PM (IST)
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