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बलूचिस्तान की तरह हर तरफ बिछ गई थीं लाशें, ये हैं दुनिया के सबसे बड़े नरसंहार 

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हिंदी न्यूज़जनरल नॉलेजबलूचिस्तान की तरह हर तरफ बिछ गई थीं लाशें, ये हैं दुनिया के सबसे बड़े नरसंहार 

बलूचिस्तान की तरह हर तरफ बिछ गई थीं लाशें, ये हैं दुनिया के सबसे बड़े नरसंहार 

बलूचिस्तान में आतंकियों ने बड़े नरसंहार को अंजाम दिया है. इस नरसंहार में मार गए लोगों को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अधिकांश लोग है. जानिए दुनिया के सबसे बड़े नरसंहार कौन से हैं.

By : एबीपी लाइव | Edited By: Girijansh Gopalan | Updated at : 27 Aug 2024 01:01 PM (IST)

पाकिस्तान के बलूचिस्चान में आतंकियों ने बड़ी घटना को अंजाम दिया है. आतंकियों ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बस से उतरकर करीब 73 निहत्थे लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी है. आज हम आपको दुनिया के सबसे बड़े नरसंहार के बारे में बताएंगे, जब 100 करीब दिनों में 8 लाख लोगों की हत्या की गई थी. 

बलूचिस्तान  

बलूचिस्तान में आतंक आम लोगों की लगातार जान ले रहा है. न्यूज एजेंसी रॉयर्टस के मुताबिक बलूचिस्तान इस हमले में कम से कम 73 लोगों की मौत हुई है. वहीं सबसे पहली वारदात बलूचिस्तान के मूसाखेल में हुई है. इसके अलावा अलग-अलग घटनाओँ में भी लोगों की गोली मारकर हत्या की गई है. इस नरसंहार में मारे जाने वालों में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अधिकांश लोग हैं. 

सबसे बड़ा नरसंहार

1939 में जर्मनी द्वारा विश्व युद्ध भड़काने के बाद हिटलर ने यहूदियों को जड़ से मिटाने के लिए अपने अंतिम हल (फाइनल सोल्यूशन) को अमल में लाना शुरू किया था. बताया जाता है कि 1941 से ऑश्वित्ज के नाजी होलोकॉस्ट सेंटर पर हिटलर की खुफिया एजेंसी एसएस यूरोप के अधिकतर देशों से यहूदियों को पकड़कर यहां लाती थी. वहां काम करने वाले लोगों को जिंदा रखा जाता था, जबकि जो बुढ़े या अपंग लोग होते थे, उन्हें गैस चेंबर में डालकर मार दिया जाता था. इन लोगों के सभी पहचान के सभी दस्तावेजों को नष्ट करके हाथ में एक खास निशान बना दिया जाता था. इस कैंप में नाजी सैनिक यहूदियों को तरह तरह के यातनाएं देते थे. 

नाजी वहां पर यहूदियों के सिर से बाल उतार देते थे. उन्हें बस जिंदा रहने भर का ही खाना दिया जाता था. इतना ही नहीं भीषण ठंड में भी इनकों केवल कुछ चिथड़े ही पहनने को दिए जाते थे. जब इनमें से कोई बीमार या काम करने में अक्षम हो जाता था, तो उसे गैस चेंबर में डालकर या पीटकर मार दिया जाता था. इस कैंप में किसी भी कैदी को सजा सार्वजनिक रूप से दी जाती थी, जिससे दूसरे लोगों के अंदर डर बना रहे. कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि होलोकॉस्ट में करीब 60 लाख यहूदियों की हत्या की गई थी, जो इनकी कुल आबादी का दो तिहाई हिस्सा था.

रवांडा नरसंहार

रवांडा नरसंहार अप्रैल 1994 में हुआ था, जिसके बाद 100 दिन में ही पूरे देश में करीब 08 लाख लोगों की मौत हुई थी. बता दें कि यह देश के तुत्सी और हुतु समुदाय के लोगों के बीच हुआ एक जातीय संघर्ष था, जिसने इतना भयानक रूप लिया था. ये नरसंहार राष्ट्रपति की मौत के बाद शुरू हुआ था. जानकारी के मुताबिक 7 अप्रैल 1994 में रवांडा के प्रेसिडेंट हेबिअरिमाना और बुरंडियन के प्रेसिडेंट सिप्रेन की हवाई जहाज पर बोर्डिंग के दौरान हत्या कर दी गई थी. उस वक्त हुतु समुदाय की सरकार थी और उन्हें लगा कि यह हत्या तुत्सी समुदाय के लोगों ने की है. 

इस हत्या के दूसरे ही दिन ही पूरे देश में नरसंहार शुरू हो गया था. हुतु सरकार के अपने सैनिक भी इसमें शामिल थे. उन्हें तुत्सी समुदाय के लोगों को मारने का आदेश दिया गया था. इस नरसंहार के शुरूआत में कुछ ही दिनों में 80000 से भी ज्यादा तुत्सी समुदाय के लोगों को मार दिया गया था और कई लोग तो देश छोड़कर भाग गए थे. ये नरसंहार करीब 100 दिनों तक चला था, जिसमें मौत का आंकड़ा 10 लाख के करीब पहुंचा था. इसमें सबसे ज्यादा मरने वालों की संख्या तुत्सी समुदाय के लोगों की ही थी.

ये भी पढ़ें: किस देश की महिलाओं के पास सबसे ज्यादा सोना, किस पायदान पर आता भारत का नाम

Published at : 27 Aug 2024 01:01 PM (IST)

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