Devendra Fadnavis News: एकनाथ शिंदे को 2 घंटे पहले तक नहीं पता था, शपथ लेंगे या नहीं? फिर अचानक बदल गया माहौल
मुंबई. एकनाथ शिंदे का मन यह तय नहीं कर पा रहा था कि देवेंद्र फडणवीस सरकार में वो उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ लें या नहीं. तय शपथ ग्रहण समारोह से ठीक दो घंटे पहले तक भी वो अपना फैसला नहीं कर पाए थे. इससे एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में कुछ तनाव हो गया. लेकिन हां-ना कहने के बाद आखिरकार शिंदे उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए राजी हो गए और दोनों पार्टियों के कई नेताओं की जान में जान आई. कहा जाता है कि देवेन्द्र फडणवीस से मुलाकात के बाद एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी शासित मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में मुंबई के आजाद मैदान में गुरुवार को देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण के दौरान और उसके बाद फडणवीस और अजित पवार दोनों के चेहरे पर मुस्कान थी. लेकिन शिंदे की बॉडी लैंग्वेज में असहजता थी. देवेंद्र फडणवीस शपथ लेने के लिए राजी नहीं थे, लेकिन निर्दलीय पार्टी के विधायकों के साथ सहमति बनने के बाद वह कैबिनेट में शामिल होने के लिए राजी हो गए.
देवेन्द्र फडणवीस के साथ बैठक में क्या हुआ?
एकनाथ शिंदे ने बीजेपी को गृह विभाग के साथ-साथ शहरी विकास और राजस्व विभाग भी देने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन उनके इस प्रस्ताव को बीजेपी ने खारिज कर दिया. तो शिंदे बेहद परेशान थे. उन्होंने अंतिम समय तक मंत्रिमंडल में शामिल होने पर सस्पेंस बनाए रखा और दृढ़तापूर्वक निर्णय लिया कि यदि उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से उन्हें मन-मुताबिक हिसाब नहीं मिला तो शपथ न लेना ही बेहतर है. न्यूज18 मराठी के मुताबिक, जब खबरें आने लगीं कि शिंदे शपथ नहीं लेंगे तो आखिरकार फड़णवीस ने इस पर ध्यान दिया और शिंदे से मुलाकात की.
फडणवीस ने शिंदे क्या सब कहा?
फडणवीस ने शिंदे से कहा कि मेरा अनुभव है कि अगर पार्टी प्रमुख सरकार से बाहर रहता है तो पार्टी ठीक से नहीं चलती है. फडणवीस ने शिंदे को इस बात से अवगत कराया कि जो काम सत्ता के जरिए होना चाहिए वह सत्ता से बाहर होने पर नहीं होता, बल्कि पार्टी चलाने में मुश्किलें आती हैं. इसके बाद फडणवीस की बात मानते हुए शिंदे सरकार में शामिल होने के लिए तैयार हो गए. शिंदे से अपनी मुलाकात का किस्सा खुद फडणवीस ने नेटवर्क 18 को दिए इंटरव्यू में बताया.
शपथ ग्रहण समारोह में देरी क्यों हुई?
जब फडनवीस से पूछा गया कि 2014 से अधिक सीटें मिलने के बावजूद शपथ ग्रहण समारोह में समय क्यों लगा, जबकि राज्य की जनता 2014 से ही मोदी के साथ है. फडणवीस ने कहा, “लोकसभा में नैरेटिव हमारे खिलाफ चला. हमें कई सीटें गंवानी पड़ीं. कोशिश की. बहुमत मिल गया. तीन पार्टियां हैं और तीनों को मिलकर काम करना है. इसलिए इसमें कुछ समय लगा.”
एकनाथ शिंदे नाराज नहीं थे
एकनाथ शिंदे नाराज नहीं थे. जब दिल्ली में अमित शाह के साथ बैठक हुई तो शिंदे ने कहा कि मैं समझ सकता हूं कि अगर इतने लोग चुनकर आएंगे तो आपको मुख्यमंत्री बनाने का दबाव होगा. फड़णवीस ने कहा, इसलिए मुख्यमंत्री पद को लेकर ऐसी खबरों में कोई सच्चाई नहीं है.
जब फडणवीस से पूछा गया कि जब वह शिंदे सरकार में उप-मुख्यमंत्री बने तो उन्हें कैसा महसूस हुआ, इस बात का डर था कि लोग कहेंगे कि वह सत्ता के लालची हैं. उन्होंने जवाब दिया, “डिप्टी सीएम बनने के बाद एहसास हुआ कि पार्टी ने जो कहा वह सही था. यदि पार्टी प्रमुख सरकार से बाहर रहता है, तो पार्टी अच्छी तरह से काम नहीं करती है.”
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FIRST PUBLISHED :
December 6, 2024, 17:52 IST