बीजिंग: दुनिया की सबसे बड़ी सेना तैयार करने के बाद चीन ने पूरी दुनिया में सैन्य अड्डा बनाने के अभियान को तेज कर दिया है। अमेरिका के चर्चित थिंक टैंक रैंड की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने दुनियाभर के देशों के साथ सैन्य बेस का समझौता कर रहा है ताकि अपनी सेना को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया जा सके। इससे जहां ताइवान को लेकर अमेरिका को चुनौती देने की तैयारी है, वहीं भारत की चौतरफा घेरेबंदी का खतरा पैदा हो गया है। चीन की नजर कंबोडिया, नामीबिया, इक्वेटोरियल गिनी, यूएई जैसे देशों पर बढ़ गई है। चीन पहले ही अफ्रीका के जिबूती में नेवल बेस और ताजिकिस्तान के अंदर एक पैरा मिलिट्री बेस चला रहा है। वहीं भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार में भी चीन नेवल बेस बनाने का इरादा रखता है। म्यांमार में जारी गृहयुद्ध ने चीन को ऐसा करने का बड़ा मौका दे दिया है।
रैंड ने बताया कि पीएलए अमेरिका के पड़ोसी देश क्यूबा से लेकर अफ्रीका तक अपने पैर पसारने की तैयारी में है। शांतिकाल में चीन इन सैन्य अड्डों की मदद से जासूसी, राहत और बचाव कर सकता है, वहीं युद्ध काल में इसके इस्तेमाल को लेकर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है। इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि चीन को विदेश में इन सैन्य अड्डों को बनाने और उन्हें बनाए रखने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें उन देशों की राजनीतिक विश्वसनीयता, लॉजिस्टिकल सपोर्ट और सैन्य अड्डे की सुरक्षा भी शामिल है।
भारत की घेरेबंदी कर रहा चीन ?
इस बीच चीन की इस चाल से भारत के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है। भारत को डर सता रहा है कि चीन अपने बढ़ते आर्थिक प्रभाव का इस्तेमाल पाकिस्तान के ग्वादर और श्रीलंका के हंबनटोटा में पहुंच हासिल करने के लिए कर रहा है। चीन अगर ऐसा करने में सफल होता है तो उसकी जिबूती में बने सैन्य अड्डे की पकड़ और ज्यादा मजबूत हो जाएगी। वहीं इससे हिंद महासागर में भारत के प्रभुत्व को बड़ी चुनौती मिलेगी और भारत के चौतरफा घेरेबंदी का भी खतरा बना रहेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि जिबूती में चीन का बेस सीमित इस्तेमाल के लिए है लेकिन अगर पाकिस्तान और श्रीलंका में चीनी नौसैनिक बेस बन जाता है तो ये नौसैनिक अभियान के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाएंगे।
अमेरिकी विशेषज्ञ इसाक कारडोन कहते हैं कि ग्वादर पोर्ट चीनी नौसेना के लिए लंबे समय तक लंबे समय के लिए आराम करने और जरूरी सामान लादने का अड्डा बन सकता है। उन्होंने कहा कि ग्वादर का भूराजनीतिक और सैन्य लोकेशन बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि चीनी सेना के कुछ लोगों का मानना है कि ग्वादर में चीनी सेना की पहुंच पहले ही बहुत अच्छी हो गई है। एक चीनी सैन्य अधिकारी ने कहा, ‘खाना पहले ही हमारी प्लेट में मौजूद है, हम जब चाहें उसे खा सकते हैं।’ चीनी अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने दावा किया था कि चीन श्रीलंका के हंबनटोटा में भी अगला सैन्य अड्डा बना सकता है। इस अड्डे पर चीन का 99 साल के लिए कब्जा है।
चीन की नजर भारतीय परमाणु सबमरीन पर
रैंड के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर चीन ग्वादर और हंबनटोटा चीनी नौसेना के हाथ आते हैं तो उनकी हिंद महासागर में उपस्थिति बहुत बढ़ जाएगी और यह भारत के समुद्र आधारित परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के लिए खतरा होगा। बता दें कि भारत बंगाल की खाड़ी में रामबिल्ली में परमाणु मिसाइलों से लैस सबमरीन का विशाल बेस बना रहा है। इससे वह अरब सागर के उथले पानी की अपेक्षा ज्यादा गहराई में अपनी सबमरीन को तैनात कर सकेगा। इससे भारत बिना पकड़ में आए पाकिस्तान और चीन के ऊपर परमाणु हमला भी कर सकता है। वहीं चीन भारत की पनडुब्बियों की हंबनटोटा और ग्वादर से आसानी से निगरानी कर सकेगा। वहीं भारत भी अब दक्षिण चीन सागर में अपनी नौसैनिक उपस्थिति को बढ़ाने की तैयारी कर रहा है ताकि उसे हंबनटोटा और ग्वादर का जवाब दिया जा सके।