पाकिस्तान की सरेंडर वाली मशहूर तस्वीर क्यों हटाई गई? आर्मी चीफ ने बताई वजह, नई पेंटिंग का मतलब भी समझाया
Last Updated:
Indian Army Chief: आर्मी ऑफिस के लाउंज में लगी 1971 जंग की पाकिस्तानी सेना की सरेंडर वाली तस्वीर को अब वहां से हटा दिया है. उसकी जगह ‘कर्म क्षेत्र’ की नई पेंटिंग लगाई गई है. आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इसके पीछे की वजह…और पढ़ें
नई दिल्ली. भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को अपने कार्यालय में 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण की प्रतिष्ठित तस्वीर को हटाने पर बयान दिया. इस तस्वीर को हाल ही में ‘करम क्षेत्र’ नामक एक नई पेंटिंग से बदल दिया गया था. इस कदम से सेना के पूर्व सैनिकों में काफी नाराजगी थी, जिन्होंने इस फैसले की आलोचना की थी.
पाकिस्तान के आत्मसमर्पण की प्रतिष्ठित तस्वीर सेना प्रमुख के कार्यालय के लाउंज की दीवार पर लगी हुई थी. दिसंबर में इसे रखरखाव और देखभाल के लिए हटा दिया गया था, लेकिन बाद में इसे सेना प्रमुख के कार्यालय में वापस लाने के बजाय मानेकशॉ कन्वेंशन सेंटर भेज दिया गया. इसके स्थान पर एक नई कलाकृति स्थापित की गई.
इस कदम का बचाव करते हुए, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, “अगर आप भारत के स्वर्णिम इतिहास को देखें – इसमें तीन अध्याय हैं, इसमें ब्रिटिश युग, मुगल युग और उससे पहले का युग शामिल है. अगर हम इसे सेना की दृष्टि से जोड़ना चाहते हैं, तो प्रतीकवाद महत्वपूर्ण हो जाता है.” सेना प्रमुख ने सुझाव दिया कि नई पेंटिंग को युवा पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. यह पेंटिंग 28 मद्रास रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस जैकब द्वारा बनाई गई है, “जो सेना में युवा पीढ़ी से संबंधित हैं.”
भारतीय सेना ने कहा कि नई पेंटिंग, ‘कर्म क्षेत्र’ का अर्थ है ‘कर्मभूमि’. उन्होंने समझाया, “यह तस्वीर सेना को धर्म का रक्षक दिखाती है जो राष्ट्र के मूल्यों की रक्षा करती है और इसे एक तकनीकी रूप से उन्नत एकीकृत बल के रूप में दर्शाती है.” पेंटिंग में लद्दाख में पैंगोंग झील के चारों ओर बर्फ से ढके पहाड़, भगवान कृष्ण का रथ और हिंदू राजनेता और दार्शनिक चाणक्य को दिखाया गया है – जो रणनीतिक बुद्धिमत्ता का प्रतिनिधित्व करते हैं.
आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि नई पेंटिंग, ‘करम क्षेत्र’ का अर्थ है ‘कर्मभूमि’.
उत्तरी मोर्चे से आने वाली चुनौतियों के मद्देनजर सैनिकों के फिर से संतुलन का जिक्र करते हुए सेना प्रमुख ने सुझाव दिया कि नई पेंटिंग वर्तमान वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है. नई पेंटिंग पर आलोचना का जवाब देते हुए, सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने कहा, “यह भी कहा जा रहा है कि पैंगोंग त्सो के किनारे पर एक अर्ध-नग्न ब्राह्मण खड़ा है. अगर भारतीय चाणक्य को नहीं जानते, तो उन्हें अपनी सभ्यता के दृष्टिकोण को फिर से देखना चाहिए.” सेना प्रमुख ने आगे कहा, “अगर मुझे अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ना है, तो नई पेंटिंग इसका प्रतीक है.”
मामले को खत्म करते हुए सेना प्रमुख ने निष्कर्ष निकाला कि इस कदम को उनके कार्यालय से 1971 की प्रतिष्ठित पेंटिंग को हटाने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. जनरल द्विवेदी ने कहा, “सेना प्रमुख के पास दो लाउंज हैं और आत्मसमर्पण की पेंटिंग मानेकशॉ सेंटर के लाउंज में है.”
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
January 15, 2025, 05:11 IST