पश्चिमी यूपी के बाद बुंदेलखंड और पूर्वांचल पर जयंत चौधरी की नजर, विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू
UP News: यूपी विधानसभा के चुनाव 2027 में होने हैं, जिसको लेकर आरएलडी पश्चिम यूपी के साथ-साथ बुंदेलखंड और पूर्वांचल तक अपने संगठन को मजबूत करने के लिए रणनीति बना रही है.
By : विवेक राय | Edited By: Ankul | Updated at : 14 Jun 2024 10:39 PM (IST)
रालोद चीफ जयंत चौधरी ( Image Source :@jayantrld )
Jayant Chaudhary News: उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल ने लोकसभा चुनाव में भले ही अपने हिस्से की दोनों सीटें जीत लीं, लेकिन रालोद-बीजेपी के गठबंधन के बाद बीजेपी को उतनी मदद नहीं मिली जितनी अपेक्षित थी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले दो चरणों में 16 सीटों पर चुनाव हुए पर इसमें मात्र 9 सीटें बीजेपी और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन जीत पाया, जिसमें दो सीटें राष्ट्रीय लोक दल की थी और 7 सीटें बीजेपी की थीं.
एनडीए गठबंधन को उम्मीद थी कि दोनों दल मिलकर चुनाव में काफी बेहतर करेंगे, लेकिन नतीजे वैसे नहीं दिखे. चुनाव के नतीजे के बाद अब राष्ट्रीय लोक दल समीक्षा के बाद कई संगठनात्मक बदलाव कर सकता है. राष्ट्रीय लोक दल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अब अपनी पकड़ बुंदेलखंड और पूर्वांचल में भी मजबूत करना चाहता है.
आरएलडी के साथ आने से एनडीए को नहीं हुआ फायदा!
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष पूर्वांचल से आते हैं. इस बार राष्ट्रीय लोकदल पूर्वांचल की देवरिया सीट भी अपने खाते में मांगी थी पर उसको ये सीट नहीं मिल पाई थी. 2024 के चुनाव के नतीजे के बाद एनडीए गठबंधन ने गठबंधन धर्म का सम्मान करते हुए जयंत चौधरी को केंद्र में मंत्री भी बना दिया है पर अब इससे राष्ट्रीय लोकदल की जिम्मेदारी और बढ़ गई है.
विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी शुरू
2027 विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय लोक दल पश्चिम के साथ-साथ बुंदेलखंड और पूर्वांचल तक अपने संगठन को मजबूत करने के लिए रणनीति बना रही है. अगले महीने जुलाई में राष्ट्रीय लोक दल प्रदेश भर में बैठक कर अपने संगठन के विस्तार का भी काम शुरू करने वाली है.
आरएलडी में बदलाव संभव
आरएलडी के सूत्रों की माने तो पार्टी में प्रदेश स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के नेताओं को क्षेत्र और जिलों का प्रभारी बनाने की तैयारी चल रही है. यह प्रभारी लगातार अलग-अलग क्षेत्र और जिलों में जाकर संगठन को मजबूत करने का काम करेंगे. जुलाई के महीने में समीक्षा बैठकें भी होनी है. इसके बाद जिन नेताओं की निष्क्रियता सामने आई है उन पर कार्रवाई भी हो सकती है और जिन नेताओं की मेहनत रंग लाई है उनको तोहफे भी मिल सकते हैं. कुल मिलाकर संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव संभव है.
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Published at : 14 Jun 2024 10:39 PM (IST)
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