पद्म विभूषण रतन टाटा नहीं रहे:बारिश में भीगते परिवार को देखकर सबसे सस्ती कार बनाई, फोर्ड से लिया था अपमान का बदला
मुंबई14 मिनट पहले
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टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का गुरुवार को मुंबई के एक अस्पताल में 86 साल की उम्निर में निधन हो गया।
टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का गुरुवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। दो दिन पहले मीडिया में उनके बीमार होने की खबर आई थी, हालांकि उन्होंने एक पोस्ट में कहा था कि वह ठीक है और चिंता की कोई बात नहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- रतन टाटा जी एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। साथ ही, उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया।
पर्सनल प्रोफाइल: 2012 में चेयरमैन पद छोड़ा था, एअर इंडिया खरीदी
- 28 दिसंबर 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर जन्मे रतन टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के परपोते थे। वह 1990 से 2012 तक ग्रुप के चेयरमैन रहे। अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक इंटरिम चेयरमैन थे। 2017 से टाटा ग्रुप के चैरिटेबल ट्रस्ट्स के प्रमुख थे।
- रतन टाटा ने अपनी विरासत को नए मुकाम पर पहुंचाया है। उन्होंने एअर इंडिया को खरीदा। इसे जेआरडी टाटा ने शुरू किया था, लेकिन आजादी के बाद ये सरकारी हो गई थी। फोर्ड के लग्जरी कार ब्रांड लैंडरोवर और जगुआर को भी अपने पोर्टफोलियो में जोड़ा।
- रतन टाटा बुक लवर थे। उन्हें सक्सेस स्टोरीज पढ़ना बहुत पसंद थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद अब वे अपने इस शौक को समय दे रहे हैं। टाटा को बचपन से ही कम बातचीत पसंद थी। वे केवल औपचारिक और जरूरी बात ही करते थे।
- वे 60-70 के दशक का गाने सुनना पसंद करते थे। वे कहते थे ‘मुझे बड़ी संतुष्टि होगी अगर मैं शास्त्रीय संगीत बजा पाऊं। मुझे शॉपेन पसंद है। सिम्फनी भी अच्छी लगती है। बिथोवन, चेकोस्की पसंद हैं। पर मुझे लगता है कि काश मैं खुद इन्हें पियानो पर बजा सकूं।’
- कारों के बारे में पूछने पर टाटा ने बताया था कि मुझे कारों से बहुत लगाव है। उन्होंने कहा था ‘मुझे पुरानी और नई दोनों तरह की कारों का शौक है। खासतौर पर उनकी स्टाइलिंग और उनके मैकेनिक्स के प्रति गहरा रुझान है। इसलिए मैं उन्हें खरीदता हूं, ताकि उन्हें पढ़ सकूं।’
दिलचस्प किस्से: बारिश में भीगते परिवार को देखकर सबसे सस्ती कार बनाई
रतन टाटा की 6 तस्वीरें: बचपन से लेकर इंडिका के लॉन्च और फाइटर जेट उड़ाने तक
यह तस्वीर तब ली गई थी जब रतन टाटा कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में छात्र थे। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में, उन्होंने लिखा था कि वह यूनिवर्सिटी में अपने समय के दौरान सीखे लेसन्स से उत्साहित हैं।
JRD टाटा ने करीब 50 साल तक ग्रुप का नेतृत्व करने के बाद रतन नवल टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
रतन टाटा ने “भारत की पहली स्वदेशी कार, द टाटा इंडिका” की लॉन्चिंग के दौरान तस्वीरें खिंचवाईं।
रतन टाटा जेआरडी टाटा के साथ। टाटा इसे लेकर कहते थे- वहां के वर्क्स और सुपवाइजर दोनों से मिले प्यार और स्नेह को एन्जॉय किया।
अपने इंस्टाग्राम पेज पर, रतन टाटा ने इस तस्वीर की डिटेल्स में लिखा है- यह तब ली गई थी जब वह कॉलेज से छुट्टी पर थे।
रतन टाटा F-16 पर उड़ान भरने वाले पहले भारतीय नागरिक थे। उन्होंने लगभग 40 मिनट तक अमेरिकी वायु सेना के ब्लॉक 50 से संबंधित लड़ाकू विमान का को-पायलट किया था।
1868 में स्थापना: इसके प्रोडक्ट्स सुबह से शाम तक हमारी जिंदगी में शामिल
टाटा ग्रुप की स्थापना जमशेदजी टाटा ने 1868 में की थी। यह भारत की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी है, 10 अलग-अलग बिजनेस में इसकी 30 कंपनियां दुनिया की 100 से ज्यादा देशों में कारोबार करती है। अभी एन चंद्रशेखरन इसके चेयरमैन हैं।
टाटा संस टाटा कंपनियों की प्रींसिपल इन्वेस्टमेंट होल्डिंग और प्रमोटर है। टाटा संस की 66% इक्विटी शेयर कैपिटल उससे चैरिटेबल ट्रस्ट के पास हैं, जो एजुकेशन, हेल्थ, आर्ट एंड कल्चर और लाइवलीहुड जनरेशन के लिए काम करता है।
2023-24 में टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों का टोटल रेवेन्यू 13.86 लाख करोड़ रुपए था। यह 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देती है। इसके प्रोडक्ट्स सुबह से शाम तक हमारी जिंदगी में शामिल है। चायपत्ति से लेकर घड़ी, कार और एंटरटेनमेंट सर्विसेज देती है।
रतन टाटा के कोट्स…
- ‘अगर आप तेज चलना चाहते हैं, तो अकेले चलें। लेकिन अगर आप लंबी दूरी जाना चाहते हैं, तो साथ-साथ चलें।’
- ‘लोग आप पर जो पत्थर फेंकते हैं, उन्हें लीजिए और उनका उपयोग मॉन्यूमेंट बनाने के लिए कीजिए।’
- ‘मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं रखता। मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही साबित करता हूं।’
- धैर्य और दृढ़ता से चुनौतियों का सामना करें क्योंकि वे सफलता की आधारशिला हैं।’
- ‘सबसे बड़ा जोखिम,जोखिम नहीं उठाना है। तेजी से बदलती दुनिया में एक ही स्ट्रैटेजी है जो विफल बना सकती है, वो है जोखिम न उठाना।’