Monday, February 24, 2025
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Home देश दोस्त बनकर जीत के लिए मांगता था दुआ, आज दुश्मन बनकर खोदी खाई, कौन मारेगा बाजी?

दोस्त बनकर जीत के लिए मांगता था दुआ, आज दुश्मन बनकर खोदी खाई, कौन मारेगा बाजी?

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जमशेदपुर लोकसभा सीट पर 25 मई को होनेवाली वोटिंग में 25 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. पर मुख्य मुकाबला है बीजेपी उम्मीदवार विद्युत वरण महतो और झारखंड मुक्ति मोर्चा उम्मीदवार समीर मोहंती के बीच देखने को मिल रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में ये दोनों नेता साथ-साथ थे पर 5 साल बाद सजे चुनावी रण में ये दोनों दोस्त एक-दूसरे के दुश्मन बन कर कर जनता की अदालत में गुहार लगा रहे हैं.

जमशेदपुर की पहचान औद्योगिक नगरी की रही है. टाटा स्टील प्लांट और टाटा मोटर्स जैसे कई छोटे-बड़े उद्योगों की वजह से यहां मजदूरों की आबादी सबसे ज्यादा है. कई दिग्गज मजदूर नेताओं की ये कर्मस्थली भी रही है. पर जमशेदपुर लोकसभा सीट पर अब तक सिर्फ एक बार 1984 में मजदूर नेता और टेल्को वर्कर्स यूनियन के महासचिव गोपेश्वर को जीत मिली थी. 2008 में उनकी मृत्य हो गई. तब से कोई भी मजदूर नेता जमशेदपुर से लोकसभा नहीं जा सका.

जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट आती हैं- जमशेदपुर पूर्वी, जमशेदपुर पश्चिम, घाटशिला, बहरागोड़ा, पोटका और जुगसलाई. इनमें से घाटशिला, बहरागोड़ा, पोटका और जुगसलाई झारखंड मुक्ति मोर्चा- जेएमएम के कब्जे में हैं. जबकि जमशेदपुर पश्चिम सीट कांग्रेस और जमशेदपुर पूर्वी पर निर्दलीय विधायक का कब्जा है. इस लिहाज से यहां इंडिया गठबंधन का दबदबा दिख रहा है. पर जमशेदपुर में अब तक 18 बार हुए लोकसभा चुनाव में से सबसे ज्यादा 6 बार भारतीय जनता पार्टी, 4 बार कांग्रेस और 3 बार जेएमएम को जीत मिली है. यहां भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो 2 बार जीत की हैट्रिक लगा चुकी है.

कौन हैं विद्युत वरण महतो?
जमशेदपुर के मौजूदा बीजेपी सांसद विद्युत वरण महतो ने जेएमएम से सियासी सफर शुरू किया था. महतो 2009 में बहरागोड़ा से झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर विधायक चुने गए. पर 2014 में जेएमएम छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए और लोकसभा चुनाव जीत कर जमशेदपुर से सांसद बन गए. उस समय उन्होंने झारखण्ड विकास मोर्चा- जेवीएम उम्मीदवार डॉ. अजय कुमार को 99,876 मतों से हरा दिया था.

2019 के लोकसभा चुनाव में विद्युत वरण महतो ने तत्कालीन झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को 3,02,090 मतों के बड़े अंतर से पछाड़ा था. तब बीजेपी को 6,79,632 यानी 59.39 फीसदी वोट मिले थे. जबकि जेएमएम को 3,77,542 यानी 32.99 फीसदी वोट ही मिले थे. यही नहीं इन दोनों के अलावा बचे अन्य 19 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. पिछली दोनों शानदार जीत के रिकॉर्ड को देखते हुए बीजेपी प्रत्याशी विद्युत वरण महतो इस बार जीत की हैट्रिक लगाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

जब दोस्त बने दुश्मन!
2019 के लोकसभा चुनाव के समय वर्तमान जेएमएम उम्मीदवार समीर मोहंती बीजेपी में थे. उस समय उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी विद्युत वरण महतो की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरा दम लगा दिया था. पर 2019 के विधानसभा चुनाव के समय वे बीजेपी छोड़ कर जेएमएम में चले गए और झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर बहरागोड़ा के विधायक बन गए. अब सियासी हालात ऐसे बन गए हैं कि 5 साल पहले जिस विद्यु वरण महतो के लिए समीर मोहंती ने जनता से जीत का आशीर्वाद मांगा था, इस बार उसी महतो के खिलाफ समीर मोहंती ताल ठोंक कर खड़ हो गए हैं. बहरागोड़ा की मिट्टी से निकल कर राजनीति की दुनिया में कदम रखने वाले इन दोनों नेताओं में से किसे जीत मिलेगी. ये तो जमशेदपुर की जनता की अदालत में ही तय होगा.

बहरागोड़ा से सियासत का सफर
जमशेदपुर के बीजेपी प्रत्याशी विद्युत वरण महतो और जेएमएम उम्मीदवार समीर मोहंती का सियासी सफर आसान नहीं था. बहरागोड़ा से ताल्लुक रखनेवाले इन दोनों नेताओं को शुरूआत में नाकामी मिली थी. जेएमएम उम्मीदवार के रूप में विद्युत वरण महतो साल 2000 और 2005 में बहरागोड़ा सीट से विधानसभा चुनाव हार गए थे. हली बार 2009 का विधानसभा चुनाव जीतते ही उनकी किस्मत ही खुल गई. 2014 में जेएमएम छोड़ कर भाजपा में आए और लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंच गए.

समीर मोहंती भी बहरागोड़ा से लगातार 3 बार 2005, 2009 और 2014 का विधानसभा चुनाव हारे थे. लेकिन 2019 में उन्होंने जेएमएम के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और पहली बार जीत हासिल हुई. अब जेएमएम के टिकट पर लोकसभा का सफर करने के लिए जी-जान लगाए हुए हैं. उन्हें जमशेदपुर पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय का समर्थन मिलने से हौसला और बुलंद हो गया है. जबकि दोनों की जीत सुनिश्चित करने के लिए दोनों दलों के स्टार प्रचारक कई चुनावी सभा कर चुके हैं. बीजेपी प्रत्याशी के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मऊभंडार में सभा की. जबकि जेएमएम उम्मीदवार समीर मोहंती के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक रैली कर चुके हैं.

जमशेदपुर का जातिगत समीकरण
जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में 12 फीसदी क्षत्रीय और मुस्लिम वोटर हैं. आदिवासी वोटरों की आबादी 10 फीसदी और कुर्मी वोटर 8 फीसदी हैं. इसके अलावा वैश्य, ओड़िया और बंगाली वोटर का भी दबदबा है. जमशेदपुर लोकसभा के 50 फीसदी वोटर शहर में रहते हैं. इसका फायदा बीजेपी को मिलता आया है. कहा जाता है कि जमशेदपुर के वैश्य और सवर्ण मतदाता का रुझान बीजेपी के पक्ष में रहा है तो, आदिवासी और महतो वोटर हर बार परिस्थिति के आधार पर वोट देते रहे हैं. 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कुर्मी वोटर का आशीर्वाद बीजेपी उम्मीदवार के साथ था. इसलिए तीनों बार बीजेपी को जीत मिली. पर एसटी का दर्जा मिलने की मांग अनसुनी रहने पर इस बार के चुनाव में कुर्मी वोटर बीजेपी से नाराज बताए जाते हैं. बीजेपी से कुर्मी समुदाय की इसी नाराजगी का फायदा इस बार जेएमएम उठाना चाहती है.

Tags: Jamshedpur lok sabha election, Jamshedpur news, Jharkhand news, Loksabha Elections

FIRST PUBLISHED :

May 24, 2024, 15:11 IST

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