‘दोषी हम हैं…गलती हमारी ही है’, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा? जज बोले- मनोरंजन के लिए ऑर्डर नहीं देते
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में नाबालिग पीड़िता से पूछताछ करने संबंधी उसके आदेश का पालन न करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई है. कोर्ट ने 3 जुलाई 2024 को यूपी सरकार पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अदालत महज मनोरंजन के लिए कोई आदेश पारित नहीं करती है. जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की वेकेशन बेंच ने अभियोजन पक्ष को पॉक्सो से जुड़े मामले में पीड़िता से पूछताछ करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया और चेतावनी दी कि यदि निर्धारित समय के भीतर ऐसा नहीं किया गया तो वह राज्य के गृह सचिव को तलब करेगी.
जस्टिस अमानुल्लाह ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट गरिमा प्रसाद से कहा, ‘हमारा आदेश अनिवार्य था, इसका अक्षरशः पालन किया जाना था. हम महज मनोरंजन के लिए कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं.’ सुप्रीम कोर्ट लड़की से बलात्कार के आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था. नाराज पीठ ने कहा, ‘हम ऐसा दिन-प्रतिदिन घटित होते देख रहे हैं….सरकारी वकील हमारे आदेशों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. यदि एक सप्ताह के अंदर ऐसा नहीं हुआ तो हम आपके गृह सचिव को यहां बुलाएंगे. ये सब होने देने में हम ही दोषी हैं…गलती हमारी ही है.’
सुप्रीम कोर्ट के तल्ख तेवर
सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच ने कहा कि राज्य के वकील का रवैया बहुत लापरवाही भरा है. इसने कहा कि चूंकि यह एक अनिवार्य आदेश था, इसलिए अभियोजन पक्ष को समय बढ़ाने के लिए याचिका दायर करनी चाहिए थी. पीठ ने प्रसाद से कहा, ‘अदालत में बहुत सावधान रहें. अब हम इस पर गंभीरता से विचार करने जा रहे हैं. समय बढ़ाने के लिए उचित आवेदन दायर करना आपका कर्तव्य था.’
क्या है मामला?
आरोपी पर 16 वर्षीय किशोरी के साथ कथित बलात्कार और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज किया गया है. उसने पिछले साल 30 नवंबर को उसकी जमानत याचिका खारिज करने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. अभियोजन पक्ष के अनुसार, नाबालिग का छह महीने से अधिक समय तक कई बार यौन शोषण करने के आरोप में आरोपी के खिलाफ 19 सितंबर 2023 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
(इनपुट: भाषा)
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FIRST PUBLISHED :
July 3, 2024, 23:54 IST