नई दिल्ली: दुनिया भर में महंगाई 2028 तक ऊंची बनी रह सकती है। एक नए सर्वे में यह बात कही गई है। यह सर्वे जर्मन Ifo इंस्टीट्यूट और इंस्टीट्यूट फॉर स्विस इकोनॉमिक पॉलिसी ने दिसंबर की शुरुआत में किया था। इसमें 125 देशों के लगभग 1,400 विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। सर्वे के अनुसार, तीन साल में औसत महंगाई दर 3.5% रहने की उम्मीद है। 2025 के लिए यह 3.9% रहने का अनुमान है। इसका मतलब है कि महंगाई कम होने के आसार अभी कम दिख रहे हैं। भारत के लिए यह मौका हो सकता है। एक तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था होने के साथ उसकी भूमिका ग्लोबल इकोनॉमी में अहम है। भारत कई तरीकों से ग्लोबल महंगाई को कम करने में योगदान दे सकता है। खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका समेत दुनिया के कई हिस्सों एंटी-चाइना सेंटिंमेंट हैं। अगर भारत वाकई चीन का स्थान लेना चाहता है तो उसे कई चुनौतियों का सामना करना होगा। भारत को अपनी उत्पादकता बढ़ानी होगी। बुनियादी ढांचे में निवेश करना होगा। कौशल विकास पर दम लगाने की जरूरत होगी।
Ifo सेंटर फॉर पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिटिकल इकोनॉमी के निदेशक निकलास पोट्राफके ने कहा,’कई केंद्रीय बैंकों के लक्ष्य से महंगाई की उम्मीदें अभी भी ऊपर हैं। इन उम्मीदों को देखते हुए ब्याज दरों में बड़ी कटौती की संभावना नहीं है।’
अमेरिका और यूरो क्षेत्र के हालिया आंकड़ों से चिंता बढ़ी है। लगता है कि उपभोक्ता मूल्य बढ़ोतरी सोची गई तुलना में अधिक साबित होगी। इससे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों में दुनिया भर में बदलाव आया है। खासकर फेडरल रिजर्व के लिए। सर्वे के अनुसार, उत्तरी अमेरिका के लिए मूल्य अपेक्षाएं विशेष रूप से बढ़ी हैं। 2025 में विशेषज्ञ औसतन 2.6% की दर देखते हैं। यह तीसरी तिमाही में पिछले सर्वे दौर की तुलना में 0.2 फीसदी अंक अधिक है। 2026 में यह 2.8% और 2028 में 2.9% रहने का अनुमान है।
कई कारणों से बढ़ी है महंगाई
इस तरह दुनियाभर में महंगाई गंभीर समस्या बन चुकी है। इसका असर हर देश पर पड़ रहा है। भारत भी इस समस्या से अछूता नहीं है। दरअसल, दुनिया में महंगाई बढ़ने के कई कारण हैं। मसलन, कोरोना महामारी के चलते सप्लाई चेन बाधित हुईं। इससे कई उत्पादों की कीमतें बढ़ गईं। रूस-यूक्रेन युद्ध ने एनर्जी और खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी की है। ज्यादातर देशों में महंगाई बढ़ रही है। इससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ी हैं। कई देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। इससे बेरोजगारी बढ़ रही है। साथ ही लोगों की क्रय शक्ति कम हो रही है।
क्या भारत स्थिति में ला सकता है सुधार?
भारत तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है। इसकी भूमिका विश्व अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण है। भारत कई तरीकों से वैश्विक महंगाई को कम करने में योगदान दे सकता है। भारत कृषि और उद्योग क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाकर ग्लोबल सप्लाई चेन में बड़ा किरदार निभा सकता है। मोदी सरकार ने बीते कुछ समय में किसानों से जुड़ी कई प्रोत्साहन स्कीमें लॉन्च की हैं। इनका मकसद उत्पादन और किसानों की आय बढ़ाना है। खाद्य महंगाई से इस समय दुनिया सबसे ज्यादा परेशान है। भारत यहां पर दुनिया को बड़ी राहत देने का दमखम रखता है।
भारत को अपने उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर ग्लोबल मार्केट में प्रतिस्पर्धा करनी होगी। अगर उसके प्रोडक्ट किफायती होंगे तो ये दुनिया के बाजार में छा जाएंगे। लेकिन, साथ में भारत को अपनी महंगाई को भी कंट्रोल में रखना होगा। भारत नई तकनीकों को अपनाकर उत्पादन लागत कमी ला सकता है।
क्या चीन का पत्ता साफ कर पाएगा भारत?
चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बहुत प्रभाव है। अगर भारत चीन का स्थान लेना चाहता है तो उसे कई चुनौतियों का सामना करना होगा। भारत को अपनी उत्पादकता कई गुना बढ़ानी होगी। इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बंपर निवेश करना होगा। युवाओं को कुशल बनानो के लिए कौशल विकास पर फोकस बढ़ाना होगा। चीन के दबदबे खत्म करना किसी भी तरह से आसान नहीं है। इसके लिए ठोस पॉलिसी और उसके सही निष्पादन की जरूरत होगी।