Thursday, January 9, 2025
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दुनिया की सबसे साफ शहर कोपेनहेगन में ऐसा क्या जिसे अपनाकर बदल जाएगी दिल्ली की तस्वीर, कभी नहीं होगा प्रदूषण

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Pollution in Delhi: देश की राजधानी दिल्ली गैस चैंबर बन चुकी है. वायु प्रदूषण की वजह से लोगों को काफी ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली-NCR सीवियर प्लस कैटेगिरी में आ गया है. कई जगहों पर  एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का औसत 450 के पार जा चुका है. 

दिल्ली में जहां प्रदूषण ने लोगों का बुरा हाल कर रखा है. वहीं, डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन फिर से चर्चा में है. डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन दुनिया का सबसे साफ शहर है.  आइये जनते हैं कि कैसे कोपेनहेगन दुनिया का सबसे साफ शहर बन गया और दिल्ली के लोगों को क्या करना चाहिए. 

इन 10 चीजों पर लोगों को देना होगा ध्यान 

1. साइकिलिंग पर जोर

कोपेनहेगन: कोपेनहेगन को ‘साइकिल फ्रेंडली कैपिटल’ कहा जाता है. यहां पर 50% से ज्यादा लोग साइकिल का प्रयोग करते हैं. यहां पर 400 किलोमीटर से ज्यादा लंबी साइकिल लेन हैं. इसके अलावा साइकिल पार्किंग की व्यवस्था है. इससे ट्रैफिक और प्रदूषण दोनों ही कम होता है. 

दिल्ली: अगर दिल्ली की बात करें तो यहां पर साइकिल चलाने का चलन ज्यादा नहीं है. लोग बढ़ते वाहनों के दबाव और साइकिल लेन की कमी के कारण लोग सार्वजनिक परिवहन या निजी वाहनों पर निर्भर करते हैं. यहां पर फूटपाथ पर भी लोगों ने कब्जा किया हुआ है. 

2.  हरित ऊर्जा पर निर्भरता

कोपेनहेगन: यहां पर बिजली पवन और सौर ऊर्जा से आती है. इसके अलावा यहां पर पवन ऊर्जा और जैव ऊर्जा का बड़े पैमाने पर प्रयोग होता है. यहां पर अधिकांश बिजली उत्पादन पवन चक्कियों और बायोमास प्लांट्स से होता है.

दिल्ली: अगर दिल्ली की बात करें तो यहां पर अभी भी कोयले और पेट्रोलियम पर निर्भर है. हरित ऊर्जा में निवेश और उसका उपयोग बहुत कम है. 

3. कचरा प्रबंधन

कोपेनहेगन: यहां पर ‘कचरे से ऊर्जा’ (Waste-to-Energy) नीति लागू है. अमेगर बके (Amager Bakke) नामक प्लांट कचरे को जलाकर स्वच्छ ऊर्जा में बदलता है. इससे 400,000 घरों को बिजली और गर्म पानी मिलता है.90% कचरे का रिसाइकिलिंग या पुन: उपयोग करता है.

दिल्ली: यहां पर कचरा प्रबंधन की व्यवस्था बेहद खराब है. कचरे के पहाड़ पूरी दिल्ली में देखे जा सकते हैं.

4.  सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा प्रयोग 

कोपेनहेगन: यहां पर सार्वजनिक परिवहन का नेटवर्क बहुत ज्यादा फैसला हुआ है. लोग निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करते हैं. यहां पर इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन आधारित बसें प्रदूषण को कम करती हैं

दिल्ली: दिल्ली में मेट्रो है, लेकिन इलेक्ट्रिक बसों की संख्या कम है. वही,. अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में वाहन आते हैं, जिनके हर रोज प्रदूषण टेस्ट चेक नहीं हो सकते हैं.

5. हरियाली और शहरी जंगल

कोपेनहेगन:  यहां पर  20% से ज्यादा हरित क्षेत्र हैं. यहां पर छोटे-छोटे पार्क बनाए गए हैं. नई इमारतों में हरी छत और गार्डन लगाना अनिवार्य है

दिल्ली: दिल्ली में हरियाली तेजी लगातार कम हो रहा है. निर्माण कार्यों और अतिक्रमण से जंगल कम हो रहे हैं. 

6. कार्बन-न्यूट्रल लक्ष्य

कोपेनहेगन: यहां पर 2025 तक कार्बन-न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अंतर्गत कम कार्बन उत्सर्जन वाली नीतियां लागू हैं.

दिल्ली: दिल्ली में इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है. कार्बन फुटप्रिंट कम करने की दिशा में प्रयास कमजोर हैं.

7. प्रदूषणकारी उद्योगों पर प्रतिबंध

कोपेनहेगन: यहां पर वो उद्योग शहर के बाहर हैं, जो प्रदूषण फैलाते हैं. उद्योगों को आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के लिए बाध्य किया जाता है.

दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में भारी उद्योग और ईंट भट्ठे प्रदूषण शहर में है. इससे भी प्रदूषण काफी ज्यादा फैलता है

8. पराली जलाने की रोकथाम

कोपेनहेगन: यहां पर किसान कृषि कचरे को बायोगैस या खाद में बदलने के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करते हैं. 

दिल्ली: यहां पर प्रदूषण का सबसे सबसे बड़ा कारण पराली जलाना है. इसकी रोकथाम पर अभी तक कोई भी बड़ा कदम नहीं उठाया गया है. 

9. पानी और वायु की गुणवत्ता पर नजर 

कोपेनहेगन: यहां पर हवा और पानी पर लगातार नजर रखी जाती है. यहां पर शहर के हर कोने में एयर और वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम है. यहां पर कल निकासी की भी अच्छी व्यवस्था है. 

दिल्ली: दिल्ली में मॉनिटरिंग स्टेशनों सीमित हैं. इसके अलावा डेटा विश्लेषण के आधार पर नीतियों का क्रियान्वयन धीमा है.

10. जागरूकता

कोपेनहेगन: यहां पर पर्यावरण संरक्षण को लेकर काफी ज्यादा जागरूक हैं. लोग  जागरूकता अभियान और स्थानीय कार्यक्रम हिस्सा लेते हैं. यहां पर सार्वजनिक परिवहन, साइकिलिंग, और पैदल चलने को प्राथमिकता दी जाती है. 

दिल्ली: दिल्ली में  पर्यावरण को एलाक्र जागरूकता की काफी ज्यादा कमी है. यहां लोग पर्यावरण की चिंता नहीं करते. लोगों के लिए गंदगी फैलाना आम बात हो गई है.

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