Tuesday, February 25, 2025
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दिल्‍ली-NCR ही क्‍यों आता है पंजाब-हरियाणा की पराली का धुंआ, रुक जाती है सांस

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Why does stubble smoke come to Delhi -NCR: नवंबर-दिसंबर में दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए सांस लेना मुहाल हो जाता है. यह कोई दबी ढकी बात नहीं रह गई है कि पंजाब-हरियाणा में बड़े पैमाने पर जलने वाली पराली दिल्ली की हवा दमघोंटू बना देती है. हर साल इन्हीं दो महीनों में पराली का धुंआ, गाड़ियों के धुंए से मिलकर दिल्ली को इतना प्रदूषित कर देते हैं कि सांस लेना मुश्किल हो जाता है. हालांकि इस बीच अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने अपनी सैटेलाइट इमेज से कुछ हैरान करने वाले खुलासे किए हैं. इस बार पराली का धुंआ पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी आ रहा है. दिखाए गए विजुअल्स के मुताबिक पाकिस्तान के पंजाब में इस बार धान की फसल कटने के बाद आग जलाने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है.

भले ही इस बार पाकिस्तान से भी जहरीला धुंआ भारत की ओर आ रहा है. लेकिन इसके लिए दूसरे कारणों के साथ ही हरियाणा और पंजाब में जलाई जाने वाली पराली के धुएं को भी जिम्‍मेदार ठहराया जाता है. कहा जाता है कि दोनों राज्‍यों के किसान जब धान की फसल काटने के बाद खेतों में पराली जलाते हैं तो वहां से उठने वाला धुआं दिल्‍ली पहुंचकर राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सांसों को फुला देता है.

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होती हैं श्‍वसन तंत्र की बीमारियां
वायु प्रदूषण से दिल्‍ली-एनसीआर में बड़ी तादाद में लोगों को सांस (श्‍वसन तंत्र) से जुड़ी हुई दिक्‍कतें होनी शुरू हो जाती हैं. प्रदूषण बढ़ने पर लोगों को आंखों में जलन, पानी आना जैसी समस्‍याएं भी होती हैं. पराली जलाने पर निकलने वाली कार्बन डाइऑक्‍साइड, पार्टिकुलेट मैटर, कार्बन मोनोऑक्‍साइड जैसी गैसों से लोगों को सबसे ज्‍यादा फेफड़ों, दिल और आंखों से जुड़ी समस्‍याएं होती हैं. इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां तक हो सकती हैं.

भौगोलिक स्थिति जिम्‍मेदार
अब सवाल उठता है कि हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने पर धुआं दिल्‍ली-एनसीआर में ही क्‍यों आता है? इसके लिए हिमाचल से लेकर दिल्‍ली-एनसीआर की भौगोलिक स्थिति जिम्‍मेदार है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश से चलने वाली उत्‍तर-पश्चिमी हवाएं पंजाब और हरियाणा से गुजरते हुए दिल्‍ली पहुंचती हैं. सर्दियों की शुरुआत में जब पराली जलाई जाती है तो ये ठंडी हवाएं धुएं को साथ लेकर दिल्‍ली पहुंचती हैं और पहले से मौजूद प्रदूषकों के साथ मिलकर पूरे क्षेत्र में स्‍मॉग बना देती हैं. 

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पराली जलाने से होते हैं ये भी नुकसान
पराली जलाने से सबसे बुरा असर कीटों और दीमक की संख्या में बढ़ोतरी के तौर पर सामने आता है. दरअसल, पराली जलने के दौरान हवा में मौजूद कई सूक्ष्मजीव मर जाते हैं. इन सूक्ष्मजीवों के मरने से कीटों की संख्‍या में तेज वृद्धि हो सकती है. फिर ये कीट फसलों में रोग पैदा कर सकते हैं. इसके अलावा पराली जलाने से कृषि भूमि के पोषक तत्‍वों के नष्‍ट होने की आशंका भी बढ़ जाती है. इसका अंतिम परिणाम फसल की ज्‍यादा लागत या कम पैदावार हो सकता है. 

अपराध की श्रेणी में है पराली जलाना
समस्‍या से निपटने के लिए उत्‍तर प्रदेश में खेतों में पराली जलाना अपराध की श्रेणी में है. पराली जलाते हुए पकड़े जाने पर किसानों को भारी जुर्माना देना होगा. नए नियम के मुताबिक, इसके लिए किसानों से 2,500 से लेकर 15,000 रुपये तक जुर्माना वसूला जा सकता है. यूपी राजस्व विभाग के मानकों के मुताबिक, दो एकड़ से कम क्षेत्र के लिए 2500 रुपये, दो से पांच एकड़ क्षेत्र के लिए 5,000 रुपये और पांच एकड़ से अधिक के लिए 15,000 रुपये तक का पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूली जाएगी. 

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डरा रही हैं पाकिस्तान की घटनाएं
नासा के अनुसार, पाकिस्तान में खाली खेतों में आग लगाने की घटनाएं हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने वाली घटनाओं से कहीं ज्यादा है. नासा की सेटेलाइट एनिमेशन से पाकिस्तान का पंजाब वाला हिस्सा सुर्ख लाल दिख रहा है. पराली जलाने और उसका धुंआ आम आदमी के लिए खतरनाक होने के साथ खेतों की मिट्टी को भी प्रभावित कर रहे हैं. किसान खुद अपने खेतों को बंजरा बना रहे हैं. पराली जलने से मिट्टी में मौजूद ऑर्गेनिक कार्बन की कमी बढ़ रही है. ये आगे चलकर नई समस्याओं को जन्म देगा.

Tags: Air pollution, Haryana news, NCR Air Pollution, Punjab, Stubble Burning, Stubble fires

FIRST PUBLISHED :

October 29, 2024, 20:50 IST

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