दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, उत्पाद शुल्क नीति से जुड़े ईडी और सीबीआई मामले में जमानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है. इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था. जमानत की अर्जी ईडी और सीबीआई दोनों मामलों के लिए दी गई है. दिल्ली हाई कोर्ट में इस याचिका की सुनवाई कल यानी 3 मई को होनी है.
दूसरी बार खारिज हुई जमानत याचिका
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 30 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान शराब नीति घोटाले के मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी. यह दूसरी बार है, जब उनकी जमानत याचिका खारिज की गई.
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‘शराब घोटाले के किंगपिन सिसोदिया…’
बता दें कि कुछ दिन पहले ही दिल्ली शराब घोटाला मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट में जज कावेरी बावेजा के सामने सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा था कि सिसोदिया घोटाले के किंगपिन हैं, इसलिए इनको जमानत नहीं दी जानी चाहिए. सीबीआई ने कहा कि अगर सिसोदिया को जमानत दी गई तो वह सबूतों ओर गवाहों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर दबाव से असर डाल सकते हैं.
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CBI ने जमानत के विरोध में दीं ये दलीलें
सीबीआई ने दलील दी कि हम बार-बार कहते है कि ये किंगपिन हैं और इनकी याचिका में देरी का ग्राउंड है. हम बता चुके है कि देरी के क्या कारण है. इसी कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में भी माना है कि सिसोदिया मास्टरमाइंड हैं. चूंकि सिसोदिया की ओर से दलीलें पिछली सुनवाई के दौरान ही दी जा चुकी हैं लिहाजा सिसोदिया के खिलाफ ईडी और सीबीआई में दर्ज मामले को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया. जो कि आज सुनाया गया और उनकी याचिका खारिज कर दी गई.
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क्यों गिरफ्तार हुए थे सिसोदिया?
मनीष सिसोदिया को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के बनाने और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के लिए 26 फरवरी, 2023 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गिरफ्तार किया था.
क्या है मामला?
22 मार्च 2021 को मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति का ऐलान किया था. 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई. नई शराब नीति आने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और पूरी शराब की दुकानें निजी हाथों में चली गईं. नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में थी. जब विवाद ज्यादा बढ़ा तो 28 जुलाई 2022 को सरकार ने अपनी शराब नीति को रद्द कर फिर से पुरानी पॉलिसी को लागू कर दिया.