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दिल्ली में कांग्रेस की नहीं गली दाल, पर मणिपुर में कर सकती है बड़ा कमाल, जानिए

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दिल्ली में कांग्रेस की नहीं गली दाल, पर मणिपुर में कर सकती है बड़ा खेल, क्या खतरे में बीरेन सिंह की कुर्सी?

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Manipur News: मणिपुर में भाजपा की अंदरूनी कलह के बीच कांग्रेस मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. भाजपा के कई विधायक बीरेन सिंह से नाखुश हैं. ऐसे में कांग्रेस मौके के इंतजार…और पढ़ें

दिल्ली में कांग्रेस की नहीं गली दाल, पर मणिपुर में कर सकती है बड़ा कमाल, जानिए

मणिपुर में भाजपा की कलह से कांग्रेस को फायदा, अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी.

हाइलाइट्स

  • मणिपुर में भाजपा की अंदरूनी कलह से कांग्रेस को फायदा हो सकता है.
  • कांग्रेस मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में.
  • भाजपा के कई विधायक बीरेन सिंह से नाखुश हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को आएंगे. उससे पहले एग्जिट पोल ने इशारा कर दिया है कि दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी. एग्जिट पोल की मानें तो कांग्रेस फिर से दिल्ली में साफ होने की कगार पर है. हालांकि, दिल्ली से 2400 किलोमीटर दूर कांग्रेस बड़ा खेल करने की फिराक में है. जी हां, मणिपुर में भाजपा की अंदरूनी कलह फिर से सामने आई है. इस बीच कांग्रेस कुछ बड़ा खेल कर सकती है. मुख्यमंत्री बीरेन के लिए विधानसभा सत्र तूफानी होने के आसार हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. इधर आनन-फानन में बीरेन सिंह दिल्ली पहुंचे हैं.

दरअसल, मणिपुर विधानसभा सत्र से पहले सत्ताधारी भाजपा विधायकों के एक धड़े में नाराजगी फिर से उभर आई है. इस बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह बुधवार को दिल्ली के लिए रवाना हो गए. मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की दिल्ली यात्रा ऐसे वक्त में आई है, जब राज्य के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री वाई खेमचंद सिंह तुरंत दिल्ली पहुंचे थे. दररअसल, खेमचंद मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के आलोचक माने जाते हैं. सूत्रों का दावा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ही खेमचंद सिंह को दिल्ली बुलाया था. पिछले सप्ताह मणिपुर विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा नेता सत्यब्रत सिंह ने भी दिल्ली में शाह से मुलाकात की थी.

कांग्रेस देख रही है मौका
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मतुाबिक, मणिपुर विधानसभा का सत्र 10 फरवरी से शुरू हो रहा है. उससे पहले राज्य के कई भाजपा नेता सीएम बीरेन सिंह से नाखुश बताए जा रहे हैं. उसकी वजह है बीरेन सिंह का नेतृत्व और मणिपुर संकट से निपटने के तौर-तरीके. यही वजह है कि बीरेन सिंह के विरोधी गुट वाले भाजपा नेताओं ने फिर से पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. ऐसे में कांग्रेस जरा सा इधर-उधर होने की फिराक में है.

बीरेन सिंह के खिलाफ क्या प्लानिंग?
बीरेन सिंह के खिलाफ नाराज भाजपा विधायक क्या प्लान कर रहे हैं, अभी तक इसका खुलासा नहीं हो पाया है. मणिपुर हिंसा मामले को जिस तरह से हैंडल किया गया, उससे खुद भाजपा का एक गुट नाराज है. एक असंतुष्ट भाजपा विधायक के मुताबिक, पिछले दो सालों से न तो राज्य के नेतृत्व और न ही केंद्र ने शांति के लिए कोई रोडमैप तैयार किया है. वे केवल यह कहकर ध्यान भटका रहे हैं कि ‘हम सीमा को सील कर देंगे’, ‘हम एनआरसी लागू करेंगे’ या ‘ड्रग्स के खिलाफ युद्ध शुरू करेंगे’. मगर मुख्य मुद्दा शांति और नॉर्मल्सी की बहाली है.हमारा कहना है कि अगर विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले इसमें कोई बदलाव नहीं होता है तो सत्र के दौरान कुछ बड़ा और अप्रत्याशित होगा.

क्यों नाखुश हैं बीजेपी के कुछ विधायक
एक अन्य भाजपा विधायक का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के दो तिहाई से अधिक विधायक मौजूदा बीरेन सिंह के नेतृत्व से खुश नहीं हैं. इसलिए हर कोई जनता और राज्य के हित में कोई न कोई कदम उठाने जा रहा है. हम अब और इंतजार नहीं कर सकते. भाजपा में यह उथल-पुथल इसलिए चल रही है क्योंकि 3 मई, 2023 से मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के के बीच संघर्ष चल रहा है. इसमें 250 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं.

कांग्रेस की हर चाल पर नजर
अब ऐसे में ताजा घटनाक्रम पर कांग्रेस की पैनी नजर है. मणिपुर में विधानसभा की कुल 60 सीटें हैं. कुकी-जो समुदाय के 10 विधायक मणिपुर हिंसा के शुरुआत के बाद से ही विधानसभा सत्र में शामिल नहीं हो रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि आगामी विधानसभा सत्र में भी वे शामिलन हीं होंगे. इधर बीरेन सिंह की मुश्किल बढ़ती जा रही है. नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के विधायक एन. कायिसि का पिछले महीने निधन हो गया था. सदन में अब भाजपा के 30, उसकी सहयोगी पार्टी नगा पीपुल्स फ्रंट के 5, एक अन्य सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) का एक, दो निर्दलीय, कांग्रेस के 5 और एनपीपी के 6 विधायक हैं. एनपीपी ने पिछले साल ही बीरेन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.

कलह का फायदा उठाएगी कांग्रेस?
मणिपुर में ताजा सियासी हलचल को कांग्रेस मौके के रूप में देख रही है. कांग्रेस का कहना है कि भाजपा के भीतर मतभेद पर उसकी नजर है. कांग्रेस के मणिपुर प्रभारी गिरिश चोडाकंर ने कहा कि हमारे पास अविश्वास प्रस्ताव लाने की संख्या नहीं है. हालांकि, हमें बताया गया है कि भाजपा के भीतर आपसी कलह है और 10 से अधिक विधायक मुख्यमंत्री के खिलाफ हैं. हमारी राजनीतिक सलाहकार समिति स्थिति का जायज़ा ले रही है. हम इस पर नजर रखे हुए हैं. हम सही समय पर सही कदम उठाएंगे और मणिपुर में स्थिरता बहाल करने के लिए जो भी करना होगा वो करेंगे.

क्या कांग्रेस लाएगी अविश्वास प्रस्ताव?
वहीं, मणिपुर कांग्रेस के चीफ के. मेघाचंद्र ने कहा कि विधानसभा सत्र की पूर्व संध्या पर होने वाली कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव लाने के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘हम इस मामले पर चर्चा कर रहे हैं और सत्र से पहले हमारी सीएलपी की बैठक होने जा रही है, जिसके बाद हम अपनी आगे की कार्रवाई तय करेंगे. वहीं भाजपा में इस समय फूट पड़ी हुई है.’ उधर, कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने आरोप लगाया है कि बीरेन सिंह ने अपनी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने और उसका समर्थन करने को लेकर विधायकों को धमकी दी है.

भाजपा आलाकमान क्या सोचता है?
हालांकि, केंद्रीय भाजपा के सूत्रों ने निकट भविष्य में मणिपुर में किसी भी तरह के नेतृत्व परिवर्तन से इनकार किया है. उन्होंने बताया कि पिछले साल दिसंबर में अगरतला में हुई नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल की बैठक में अमित शाह ने स्पष्ट किया था कि बीरेन सिंह अपने पद पर बने रहेंगे और केंद्र और राज्य दोनों सीमा सुरक्षा को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इसलिए क्षेत्र के दूसरे मुख्यमंत्रियों को भी इस मिशन में अपने मणिपुर समकक्ष का समर्थन करना चाहिए.

Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

February 06, 2025, 12:06 IST

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