खंडवा में दादा धूनीवाले के दरबार में गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाया जा रहा है। दूसरे दिन रविवार को दादा के दरबार में सुबह से रात तक करीब चार लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। इस दिन दादा दरबार में विशेष पूजा या आरती नहीं होगी।
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एक दिन पहले शनिवार को डेढ़ लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। गुरु-शिष्य की समाधि पर मत्था टेक कर धूनीमाई में आहूति दे रहे हैं। पीछे के गेट से दर्शन करने पहुंच रहे भक्तों को समाधिस्थल तक जाने में आधा घंटा लग रहा है।
दादा दरबार का मंदिर का वर्तमान स्वरूप करीब 50 साल पुराना है। 14 एकड़ में फैले मंदिर में दर्शन व्यवस्था आसान है। बारिश के कारण मेन गेट की बजाय पिछले गेट से दर्शन कराए जाते हैं। जहां बारिश से बचाव के लिए खुले मैदान में डोम बनाया गया है।
इधर, खंडवा पहुंचे दादा भक्तों का खुले दिल से सत्कार किया जा रहा है। सामाजिक, धार्मिक और व्यापारिक संस्थाओं ने सेवा में जगह-जगह भंडारे आयोजित किए हैं। अतिथि देवो भव: की भावना लेकर लोगों ने व्यापार, प्रतिष्ठान बंद रखे। अलग-अलग 250 स्टॉल पर भक्तों को 56 प्रकार के व्यंजन परोसे जा रहे हैं।
भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा
खंडवा शहर में 19 जुलाई से 21 जुलाई तक इंदौर रोड नाका, नागचून रोड नाका, पंधाना रोड नाका, हरसूद रोड नाका, मूंदी रोड नाका एवं जसवाड़ी रोड नाका से भारी वाहन का प्रवेश पूर्णतः प्रतिबंधित है।
महाआरती में 50 हजार श्रद्धालु शामिल हुए
रात 8 बजे के बाद मंदिर में 108 दीपों से महाआरती की तैयारी की गई। महाआरती शुरू होने से पहले ही मंदिर प्रांगण भर गया। करीब 50 हजार श्रद्धालु शामिल हुए थे। इस दौरान दर्शन रोक दिए गए। धूनीमाई का टेंप्रेचर 60 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। महाआरती का संचालन मुख्य ट्रस्टी सुभाष नागौरी ने किया।
हालात ऐसे हुए कि 6 नंबर गेट से प्रवेश के बाद बनी जिग-जैग बैरिकेडिंग भरा गई। उसके बाद डोम स्थित जिग-जैग बैरिकेडिंग भी फुल हो गई। महाआरती के बाद श्रद्धालुओं को दर्शन में करीब एक घंटे का समय लगा। रात 10 बजे महाराष्ट्र के नीमगांव से आए भक्तों द्वारा मशाल जुलूस निकाला गया।
खंडवा में शनिवार देर रात महाआरती का आयोजन किया गया।
सिविल ड्रेस में जवान तैनात
दादा दरबार में दर्शन के अलावा शहर में मेला लगा है। जगह-जगह भंडारे होने से मार्केट में भीड़ देखी गई है। सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से चार जिलों का पुलिस फोर्स बुलाया गया है। करीब 300 जवानों को सिविल ड्रेस में तैनात किया गया। मंदिर ट्रस्ट कार्यालय के करीब 60 सीसीटीवी से निगरानी की गई। मंदिर समिति ने कंट्रोल रूम का एक्सेस पुलिस को भी दिया। दर्शन के दौरान 22 बच्चे गुम हो गए। सभी बच्चों को तलाश कर खोया-पाया सेंटर से परिजन के सुपुर्द किया गया।
मंदिर परिसर में मात्र 4 दुकानें हैं। महज पांच रुपए में पूजन सामग्री मिल जाती है।
विवाद में जेल गए छोटे दादाजी, बैरक में होने लगी पूजा
1936 में श्रद्धालुओं को कुछ लोगों ने बड़े दादाजी की समाधि स्थल तक जाने में रोड़े अटकाए थे, तो छोटे दादाजी ने मोर्चा संभाला। विवाद के दौरान पुलिस अफसरों ने वहां फायरिंग भी की थी। यह केस कोर्ट तक पहुंचा। जेल के अंग्रेज अफसर छोटे दादाजी को जिला जेल ले गए। दादाजी के सानिध्य से ही अंग्रेज अफसर उनके सामने नतमस्तक हो गए।
मामला धूनी फायर केस के नाम से चर्चित रहा है। जिस छह नंबर की बैरक में छोटे दादाजी रहे थे, वह आज भी है। उनकी याद में बैरक के अंदर पूजा घर बनाया है। इसीलिए जेल के इस हिस्से को दादाजी वार्ड नाम दिया है। जहां बंदी और जेल अधिकारी पूजा भी करते हैं।
सेवा को देखते हुए दादाजी ने खंडवा में समाधि ली
बड़े दादा केशवानंद जी महाराज का जन्म नरसिंहपुर जिले के सांईखेड़ा में हुआ था। वे एक पेड़ से प्रकट हुए थे। उन्होंने साईंखेड़ा में चमत्कार दिखाए। 1930 में खंडवा आ गए। नर्मदा परिक्रमा सहित कई धार्मिक यात्राएं कीं।
खंडवा में उनकी समाधि को लेकर कहा जाता है कि यहां के निवासियों के सेवा जज्बे को देखते हुए दादाजी ने खंडवा में समाधि ली। व्यवसायिकता के दौर में आज भी मंदिर परिसर में मात्र 4 दुकानें हैं। महज पांच रुपए में पूजन सामग्री मिल जाती है।
अखंड धूनी माता की तरह 93 साल से जल रहा चूल्हा
मंदिर में दादाजी के समय शुरू किया भंडारा निरंतर जारी है। रोजाना सुबह 11 बजे और शाम 7.30 बजे 150 से 200 श्रद्धालु प्रसादी ग्रहण करते हैं। दादाजी के भक्तों की संख्या हर साल बढ़ रही है। यहां दर्शन के लिए मप्र, महाराष्ट्र, दिल्ली, मुंबई सहित देश के विभिन्न स्थानों से श्रद्धालु आते हैं।
यहां प्रज्वलित अखंड धूनी माता की तरह मंदिर के भंडार में प्रसादी बनाने के लिए चूल्हा 93 साल से निरंतर जल रहा है। ट्रस्टी सुभाष नागौरी बताते हैं कि दादाजी की समाधि के लिए जिस चूल्हे पर प्रसादी बनाई जाती है, उसकी अग्नि 1930 से सतत प्रज्वलित है।