Saturday, November 30, 2024
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Home थर्ड फेज में आसान नहीं है बीजेपी की राह, कर्नाटक में रेवन्ना प्रकरण और गुजरात के क्षत्रिय कहीं बिगाड़ न दें खेल

थर्ड फेज में आसान नहीं है बीजेपी की राह, कर्नाटक में रेवन्ना प्रकरण और गुजरात के क्षत्रिय कहीं बिगाड़ न दें खेल

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अहमदाबाद : लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए 7 मई को 12 राज्यों के 94 लोकसभा क्षेत्रों में वोट डाले जाएंगे। इन लोकसभा में से 73 बीजेपी के पास है जबकि सात सीटों पर एनडीए के पार्टनर काबिज हैं। विपक्ष के पास कुल 14 सीटें हैं। महाराष्ट्र की 11, गुजरात की 26 और कर्नाटक की 14 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इसके अलावा पश्चिम बंगाल और असम की चार-चार, बिहार की पांच, छत्तीसगढ़ की सात, मध्यप्रदेश की 8 और गोवा की 2 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा। इसके अलावा यूपी की 10 लोकसभा सीटों पर भी तीसरे चरण में ही वोट डाले जाएंगे। 400 पार का नारा देने वाली बीजेपी को रेकॉर्ड कायम करने के लिए 100 सीटें जीतनी होंगी। दूसरी ओर विपक्ष के पास इन राज्यों में खोने के लिए कुछ भी नहीं है। तीसरे चरण के आते-आते कई मुद्दे विपक्ष के हाथ लग गए हैं। गुजरात में क्षत्रियों की नाराजगी और कर्नाटक में रेवन्ना प्रकरण ने कांग्रेस को नया हथियार दे दिया है। अगर बीजेपी चूक जाती है तो उनका फायदा तय ही है। अभी तक पिछले दो चरणों में 190 सीटों पर मतदान हुए हैं।

यूपी में 10 सीटों में से 9 पर बीजेपी को कब्जा, एक पर सपा

अभी यूपी की 10 लोकसभा सीट संभल, हाथरस, आगरा, फ़तेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, शाहजहांपुर, आंवला और बरेली में से 9 बीजेपी के पास है। मैनपुरी सीट समाजवादी पार्टी के खाते में है। तीसरे चरण की वोटिंग के दौरान सपा के सामने एक सीट बचाने और बीजेपी के लिए सभी सीटें जीतने की चुनौती है। अभी तक दो चरणों के दौरान यूपी में 16 सीटों पर मतदान हुआ, जहां 2019 के मुकाबले 6-7 फीसदी कम वोटिंग हुई। एक्सपर्ट मानते हैं कि कम मतदान का असर भारतीय जनता पार्टी को हो सकता है। पिछले चुनावों में पहली बार बीजेपी के साथ जुड़ने वाले वोटर अपना रुख बदल सकते हैं। हर चुनाव में 2-3 प्रतिशत वोट स्विंग होता है और इसका असर नतीजों पर पड़ता है।

गुजरात और कर्नाटक में भी चुनौती, अभी 40 सीटें बीजेपी के पास

गुजरात में 7 मई को एक साथ 26 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा। पिछले दो चुनावों में बीजेपी ने राज्य की सारी सीटें जीत लीं थी। इस बार क्षत्रिय समाज की नाराजगी के बीच नॉर्थ गुजरात की दो सीटों बनासकांटा और साबरकांटा पर जीत आसान नहीं है। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस ने भी ताकत झोंक रखी है। कर्नाटक की 14 लोकसभा सीटों पर भी भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। प्रज्वल रेवन्ना और एच डी रेवन्ना के सेक्स स्कैंडल विवाद के बीच वोट डाले जाएंगे। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर एनडीए को घेर रखा है। विधानसभा चुनाव के दौरान इन इलाकों में कांग्रेस ने बढ़त ले रखी है। दूसरी ओर धारवाड़ इलाके में लिंगायत भी पार्टी से नाराज हैं। बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल अपनी सीटों को बचाए रखना है। अगर रेवन्ना प्रकरण का असर मतदान पर हुआ तो कांग्रेस को लाभ मिल सकता है। मध्यप्रदेश की 8 और छत्तीसगढ़ की 7 सीटों पर बीजेपी ने प्रचार में बढ़त हासिल कर रखी है। इन सीटों पर वोटिंग का प्रतिशत चुनाव नतीजे को प्रभावित कर सकते हैं।

महाराष्ट्र की 11 सीटों पर भी कांटे की टक्कर, गोवा में भी मुकाबला

तीसरे चरण में महाराष्ट्र की बारामती, रायगढ़, लातूर,सोलापुर,माढा,सांगली, सतारा,रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग, हातकणंगले, कोल्हापुर और उस्मानाबाद में भी मतदान होगा। 2019 में इन सीटों में चार बीजेपी के पास थी। तीन पर शरद पवार की एनसीपी का कब्जा था। तीन पर शिवसेना की जीत हुई थी, जिसके सांसद बाद में एकनाथ शिंदे के साथ पार्टी में चले आए। कोल्हापुर से निर्दलीय सदाशिव माडविक को जीत हासिल हुई थी। इस लिहाज से एनडीए के पास अभी सात सीटें हैं। बारामती सीट से पवार फैमिली की सुनेत्रा पवार और सुप्रिया सुले के बीच मुकाबला है। रत्नागिरी सिंधुदुर्ग से नारायण राणे चुनाव मैदान में हैं। चुनावी रिपोर्ट के मुताबिक, शिवसेना में बंटवारे के बाद उद्धव ठाकरे के प्रति जनता में सहानुभूति दिख रही है। अगर सहानुभूति फैक्टर चला तो रत्नागिरी, उस्मानाबाद और हातकणंगले में शिवसेना (शिंदे गुट) के लिए चुनौती बढ़ सकती है। गोवा की दो सीटों में एक कांग्रेस और दूसरी बीजेपी के पास है।

बंगाल और असम में 8 सीटों पर भी वोटिंग, जीते तो फायदा

बंगाल की जिन चार सीटों पर मतदान होने वाला है, उनमें से तीन टीएमसी और एक बीजेपी के पास है। असम की चार सीटों में से एक गुवाहाटी बीजेपी के पास है, जबकि एक सीट-एक सीट पर एआईयूडीएफ और कांग्रेस का कब्जा है। 2019 में असम की कोकराझार सीट पर निर्दलीय की जीत हुई थी। बीजेपी असम में 11 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है, इस लिहाज से उसके लिए असम में भी करो या मरो की स्थिति है।

विश्वनाथ सुमन

लेखक के बारे में

विश्वनाथ सुमन

प्रिंट और डिजिटल में 18 वर्षों का सफर। अमर उजाला, नवभारत टाइम्स ( प्रिंट), ईटीवी भारत के अनुभव के साथ संप्रति nbt.in में।… और पढ़ें

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