तैयार हो गया जन्नत वाला ब्रिज! पूरी दुनिया में कहीं नहीं है ऐसा पुल, ताकतवर बम धमाके भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते
Chenab Rail Bridge : दिल्ली से श्रीनगर यानी कश्मीर तक ट्रेन से जाने का रास्ता लगभग तैयार है. सरकार ने इस रेलवे ट्रैक पर अपनी सबसे अच्छी ट्रेन वंदेभारत चलाने की तैयारियां पूरी कर ली हैं. इस ट्रैक की सबसे खास बात चिनाब नदी पर बना रेल ब्रिज है, जिसका फाइनल ट्रायल जनवरी में किया जाना है.
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दुनिया का सबसे ऊंचा सिंगल आर्क रेल ब्रिज कश्मीर घाटी को शेष भारत से जोड़ने के लिए तैयार है. यह भारतीय रेल के इतिहास में पहली बार होगा जब कश्मीर घाटी को रेल मार्ग से जोड़ा जाएगा. हालांकि, यह आसान काम नहीं रहा, क्योंकि रेलवे को इसके लिए दुनिया की सबसे मुश्किल जगह पर सबसे ऊंचा ब्रिज बनाना पड़ा है.
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जम्मू के रियासी जिले में स्थित चिनाब नदी पर बने इस रेलवे ब्रिज को तैयार करने में करीब 20 साल का समय लगा है. यह ब्रिज एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊंचा है, जो अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है. इस पुल को रियासी जिले के बक्कल और कौरी एरिया में बनाया जा रहा है.
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चिनाब नदी पर बना यह ब्रिज जम्मू से कश्मीर तक बन रहे 271 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक का हिस्सा है. एक्सपर्ट का तो यहां तक कहना है कि यह रेलवे ट्रैक कश्मीर के बॉर्डर में होने वाली हलचल के लिए भी रणनीतिक रूप से बेहतर बताया जा जा रहा है. इस ट्रैक के तैयार होने के बाद किसी भी मौसम में कश्मीर तक महज कुछ घंटे में पहुंचा जा सकेगा.
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रेलवे ने इस पुल का निर्माण साल 2003 में शुरू किया था, जो करीब 22 साल बाद 2025 में पूरी तरह तैयार होने जा रहा है. इस दौरान कई बार निर्माण कार्य रोकना पड़ा, क्योंकि यह काफी ऊंचाई पर है और यहां 266 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से हवाएं चलती हैं, जो पुल के निर्माण में बार-बार बाधा बन रही थी.
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यह पुल न सिर्फ कमाल की इंजीनियरिंग का नमूना है, बल्कि इसे इतना मजबूत बनाया गया है, जो ताकतवर बम धमाके से भी टस से मस नहीं होगा. कहा तो यहां तक जा रहा है कि 40 किलोग्राम TNT भी इस ब्रिज का कुछ नहीं उखाड़ सकेंगे. अगर कोई पिलर टूट भी गया तो भी इस ब्रिज से ट्रेन बिना किसी नुकसान के आराम से गुजर जाएगी.
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इस ब्रिज की कुल लंबाई 1,315 मीटर है, जो ऊंचाई में दुनिया के किसी भी रेल ब्रिज से ज्यादा है. ब्रिज के बीच का हिस्सा 467 मीटर तक ऊंचा है. इस ब्रिज में कुल मिलाकर 17 खंभे लगाए गए हैं. इस ब्रिज से ट्रेन को बिना किसी बाधा के 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजारा जा सकेगा.
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एक बार जब यह ब्रिज तैयार हो जाएगा तो कश्मीर के किसानों को इसका काफी लाभ होगा. कश्मीर के 10 में से 7 लोग फलों के उत्पादन से जुड़े हैं. जाहिर है कि इस ट्रैक पर ट्रेनों के दौड़ने से उनका प्रोडक्ट जल्द ही घाटी से निकलकर देश के अन्य हिस्सों में पहुंच सकेगा. इससे कश्मीर के किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.