हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियाड्रैगन के सामने ‘वज्र’ तैनात! चीनी सीमा पर स्वार्म ड्रोन से बरसेगा कहर, DRDO से मिलेगी हाइपरसोनिक मिसाइल
Indian Army: सेना में तोपखाना महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्तरी सीमाओं पर के-9 वज्र, धनुष और शारंग सहित 155 मिमी तोप प्रणालियों को तैनात कर रही है.
By : एबीपी लाइव डेस्क | Edited By: Shubham Kumar | Updated at : 28 Sep 2024 08:45 AM (IST)
सेना ने सीमा पर की है खास तैयारी
India China Crisis Latest News: भारत और चीन के बीच रिश्ते लंबे समय से बेपटरी हैं. दोनों देशों के बीच पिछले कुछ साल में सीमा पर तनाव लगातार बढ़ा है. इसे देखते हुए अब भारतीय सेना चीन के साथ लगने वाली सीमा पर अपनी तोपखाना इकाइयों की युद्ध क्षमता को बढ़ा रही है. इसके लिए उसने 100 के-9 वज्र तोपों, स्वार्म ड्रोन, लोइटरिंग मुनिशन और सर्विलांस सिस्टम सहित कई और हथियारों की खरीद की है.
सेना में तोपखाना महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए तोपखाना इकाइयों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भविष्य के विभिन्न प्लेटफॉर्म और उपकरण खरीदे जा रहे हैं. उन्होंने कहा, “आज हम अभूतपूर्व गति से और निर्धारित समयसीमा के अनुसार आधुनिकीकरण कर रहे हैं. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की ओर से हाइपरसोनिक मिसाइलों के लिए विकास कार्य भी प्रगति पर है. हाइपरसोनिक मिसाइलें पांच मैक या ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक गति से उड़ सकती हैं.”
पूर्वी लद्दाख में हुए गतिरोध के बाद सेना ने उठाया कदम
लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्तरी सीमाओं पर के-9 वज्र, धनुष और शारंग सहित 155 मिमी तोप प्रणालियों को तैनात किया गया है. सेना ने पहले ही 100 के-9 वज्र तोप प्रणालियों को तैनात कर दिया है. के-9 वज्र को वैसे तो रेगिस्तान में तैनाती के लिए खरीदा गया था, लेकिन पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद, सेना ने उस उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में बड़ी संख्या में हॉवित्जर तैनात किए हैं.
हर तरह के हथियारों को कर रहे इकट्ठा
उन्होंने कहा, “हम एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस), माउंटेड गन सिस्टम (एमजीएस) और टोड गन सिस्टम (टीजीएस) सहित अन्य 155 मिमी गन सिस्टम को शामिल करने की प्रक्रिया में हैं. एटीएजीएस को डीआरडीओ ने दो निजी भागीदारों के साथ मिलकर बनाया है. लेइनका कॉन्ट्रैक्ट जल्द पूरा होने वाला है. एमजीएस और टीजीएस दोनों के परीक्षण 2025 में होंगे. इनकी खास बात ये है कि ये वजन में हल्के हैं.”
मिसाइल कार्यक्रम की भी दी जानकारी
कुमार ने बताया कि हमारा मिसाइल कार्यक्रम बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है, जिसमें डीआरडीओ की ओर से बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों की रेंज, सटीकता और मारक क्षमता बढ़ाने के लिए इस पर रिसर्च और डेवलपमेंट किया जा रहा है. जहां तक गोला-बारूद का सवाल है, सटीकता और मारक क्षमता बढ़ाने के लिए कई सुधार किए जा रहे हैं.
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Published at : 28 Sep 2024 08:43 AM (IST)
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