होमन्यूज़इंडियाट्रांसजेंडर और पुरुष के साथ हुआ रेप तो मिलेगी क्या सजा? जानें क्या कहता है नया कानून
ट्रांसजेंडर और पुरुष के साथ हुआ रेप तो मिलेगी क्या सजा? जानें क्या कहता है नया कानून
New Criminal Laws: भारतीय न्याय संहिता में धारा 377 को बरकरार नहीं रखा गया है. इसका मतलब ये है कि किसी वयस्क व्यक्ति के साथ बलात्कार किसी भी कानून के तहत अपराध नहीं होगा.
By : एबीपी लाइव | Edited By: Mayank Tiwari | Updated at : 01 Jul 2024 11:52 PM (IST)
नए बलात्कार कानून पुरुषों और ट्रांसजेंडर समुदाय को असुरक्षित बनाते हैं. (फाइल फोटो)
New Criminal Laws: देशभर में सोमवार (1 जुलाई) से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. इसी के साथ गुलाम भारत में बने कानूनों का अस्तित्व खत्म हो गया है. इस दौरान नए आपराधिक कानून लागू होने के साथ ही भारतीय न्याय संहिता में पुरुष या ट्रांसजेंडर पीड़ितों से रेप के लिए दंडात्मक प्रावधानों को बाहर रखे जाने पर चिंताएं पैदा हो रही हैं. वहीं, भारतीय न्याय संहिता में आईपीसी 377 को पूरी तरह हटा दिया गया है, जो अप्राकृतिक शारीरिक संबंध को अपराध बनाती है. इससे पुरुषों और ट्रांसजेंडर्स को मिलने वाली सुरक्षा अब छीन ली जाएगी.
दरअसल, साल 2018 में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ के फैसले के माध्यम से आईपीसी की धारा 377 में महत्वपूर्ण बदलाव किया था. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए यौन संबंधों को अपराध की कैटेगिरी से बाहर कर दिया था, जिसमें समान लिंग वाले भी शामिल हैं. हालांकि, नए भारतीय न्याय संहिता में कानून ने इस खंड को पूरी तरह से हटा दिया है.
पुरुष और ट्रांसजेंडर रेप पीड़ित है असुरक्षित
बता दें कि, साल 2018 में सहमति से समलैंगिक संबंधों को बाहर करने के लिए इसके सुधार के बावजूद, धारा 377 का इस्तेमाल अभी भी गैर-सहमति वाले अधिनियमों के लिए केस चलाने के लिए किया जाता है. हालांकि, भारतीय न्याय संहिता में इस कानून को हटाया जाना, पुरुष और ट्रांसजेंडर पीड़ितों को यौन उत्पीड़न के मामलों में सहारा लेने के लिए सीमित कानूनी रास्ते छोड़ देता है. वहीं, आज से भारत में बलात्कार कानून लैंगिक रूप से तटस्थ नहीं हैं और 1 जुलाई के बाद पुरुषों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के साथ रेप गैर-अपराध बन जाएगा.
नए कानूनों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिली थी मंजूरी
गौरतलब है कि, तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम आज से लागू हो गए. इसके तहत भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी को नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को भारतीय साक्ष्य अधिनियम से बदला गया है. जो आजादी के 77 साल बाद एक महत्वपूर्ण कानूनी बदलाव है. इन कानूनों को 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई थी.
भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं जोड़ी गई
वहीं, इस तीन नए आपराधिक कानूनों में भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं जोड़ी गई हैं, जो आईपीसी की 511 धाराओं से कम है, जिसमें 20 नए अपराध और 33 अपराधों के लिए कारावास की अवधि बढ़ाई गई है. हालांकि, इसमें रेप के लिए लिंग-तटस्थ दंड के प्रावधान नहीं हैं, जो नए आपराधिक कानून में एक कमी को दर्शाता है
Published at : 01 Jul 2024 11:48 PM (IST)
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