Saturday, January 11, 2025
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जयशंकर ने चीन के मुंह पर गिना दी उसकी गलतियां, बताया LAC विवाद में भारत का कदम

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भारत और चीन का इतिहास ‘मुश्किल’ रहा है, लेकिन अब दोनों देशों के बीच विवाद से जुड़े 75 फीसदी मसले सुलझ चुके हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को यह बात कही. इसके साथ ही उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की गलतियां गिनाते हुए उसके साथ रिश्तों को लेकर अगले कदम के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच स्पष्ट समझौतों के बावजूद कोविड-19 महामारी के दौरान चीनी सैनिकों ने समझौतों का उल्लंघन करते हुए एलएसी पर बड़ी संख्या में सेनाएं भेजीं. हालांकि उन्होंने साफ किया कि उनका मतलब केवल ‘डिसएंगमेंट’ यानी एलएसी के विवादित क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी से था.

डॉ. एस जयशंकर यहां एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में एशिया सोसाइटी को संबोधित करते हुए यह बात कही. भारत में चीनी राजदूत जू फेइहोंग भी वहीं मौजूद थे. जयशंकर ने चीनी राजदूत की मौजूदगी में ही कहा, ‘जब मैंने कहा कि 75 प्रतिशत समस्या का समाधान हो चुका है, तो इसका मतलब है कि केवल सैनिकों की वापसी हुई है. इसलिए, यह समस्या का एक हिस्सा है. गश्त से जुड़े कुछ मुद्दों को अभी भी सुलझाया जाना है. अगला कदम तनाव कम करना होगा.’

‘भारत-चीन रिश्तों पर टिका एशिया का भविष्य’
विदेश मंत्री ने इसके साथ ही जोर देकर कहा कि एक ‘बहुध्रुवीय’ दुनिया में जहां परिवर्तन वैश्विक व्यवस्था के ताने-बाने को प्रभावित कर रहा है, एशिया के साथ-साथ दुनिया के भविष्य की कुंजी भारत और चीन के बीच संबंधों पर टिका है.

उन्होंने कहा, ‘एशिया उस बदलाव के मामले में सबसे आगे है. एशिया के भीतर, भारत उस बदलाव का नेतृत्व करने वालों में से एक है. लेकिन यह बदलाव आज वैश्विक व्यवस्था के ताने-बाने को और भी ज्यादा विस्तृत कर रहा है. मुझे लगता है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं. एक तरह से, आप कह सकते हैं कि अगर दुनिया को बहुध्रुवीय होना है, तो एशिया को भी बहुध्रुवीय होना होगा. और, इसलिए, यह संबंध न केवल एशिया के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि इस तरह से, शायद दुनिया के भविष्य को भी प्रभावित करेगा.’

‘चीन के साथ मुश्किल इतिहास’
दोनों पड़ोसी देशों के बीच सीमा विवादों में बढ़ोतरी पर प्रकाश डालते हुए जयशंकर ने कहा, ‘चीन के साथ हमारा इतिहास मुश्किल रहा है. चीन के साथ हमारे स्पष्ट समझौतों के बावजूद, हमने देखा कि कोविड-19 के दौरान देश ने एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों को भेजकर इन समझौतों का उल्लंघन किया. इस बात की संभावना थी कि कोई अनहोनी होगी, और ऐसा हुआ भी.’ जयशंकर ने कहा, ‘झड़प हुई और दोनों पक्षों के कई सैनिक मारे गए.’ उन्होंने कहा, ‘इससे एक तरह से दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित हुए.’

उधर भारत और चीन के बीच संबंधों पर बोलते हुए भारत में चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने कहा, ‘हमें सही दिशा में आगे बढ़ना चाहिए और आपसी सम्मान और आपसी विश्वास को बढ़ाना चाहिए. राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महत्वपूर्ण सहमति पर पहुंचे हैं कि चीन और भारत एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी या खतरा नहीं हैं, बल्कि सहयोग और विकास के अवसरों में भागीदार हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यह हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक स्पष्ट दिशा प्रदान करता है. दोनों नेता जिस महत्वपूर्ण सहमति पर पहुंचे हैं, हमें उसे दृढ़ता से लागू करना चाहिए, एक दूसरे के विकास और रणनीतिक इरादों को सही ढंग से देखना चाहिए और एक दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं को परस्पर समायोजित करना चाहिए.’

Tags: China border, India china border dispute, S Jaishankar, Special Project

FIRST PUBLISHED :

September 25, 2024, 10:53 IST

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