चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को मिला चंदा क्या होगा जब्त? सुप्रीम कोर्ट में दोबारा पहुंचा मामला
Edited byपंकज सिंह | भाषा 6 Jul 2024, 11:43 pm
चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में चुनावी बॉन्ड के तहत प्राप्त धनराशि को जब्त करने का अनुरोध किया गया है। इसी साल फरवरी के महीने में सुप्रीम कोर्ट की ओर से चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया गया था।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके राजनीतिक दलों को वर्ष 2018 की उस चुनावी बॉन्ड योजना के तहत प्राप्त धन राशि को जब्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है जिसे शीर्ष अदालत ने फरवरी में रद्द कर दिया था। याचिकाकर्ता खेम सिंह भाटी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि 15 फरवरी को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 का उल्लंघन था। इसमें कहा गया है कि इस अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को फैसले की तारीख से चुनावी बॉन्ड जारी नहीं करने और 12 अप्रैल, 2019 से फैसले की तारीख तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया।
याचिका में आरोप लगाया है कि यह कहा गया कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त धन राशि न तो दान थी और न ही स्वैच्छिक योगदान थी। यह सरकारी खजाने की कीमत पर अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए किसी चीज के बदले कुछ देने के माध्यम से विभिन्न कॉर्पोरेट घरानों से प्राप्त वस्तु विनिमय धन था।
वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया की ओर से तैयार की गई और वकील जयेश के उन्नीकृष्णन के माध्यम से दायर की गई याचिका में दावा किया गया कि चुनावी बॉन्ड की खरीद और नकदीकरण के विवरण से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से भुगतान किया गया पैसा या तो आपराधिक मुकदमे से बचने के लिए था या अनुबंध या अन्य नीतिगत मामलों के माध्यम से मौद्रिक लाभ प्राप्त करने के लिए था।
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