Wednesday, January 8, 2025
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छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले का मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी, देश के नौ राज्यों में सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ ही है प्रभावित

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नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सोमवार दोपहर नक्सलियों के आईईडी ब्लास्ट में आठ जिला रिजर्व गार्ड (DRG) और एक ड्राइवर की मौत हो जाने के तुरंत बाद इस संवेदनशील मामले में उच्च स्तरीय मीटिंग की गई। मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजीपी और अन्य संबंधित फोर्स के चीफ से बात की। नक्सलियों द्वारा किए जाने वाले बड़े हमलों में अंतिम बार छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 26 अप्रैल, 2023 को 10 जवान मारे गए थे। इसके बाद नक्सलियों द्वारा किया गया यह दूसरा और इस साल का पहला सबसे बड़ा हमला था। अब सुरक्षाबल इसका जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं।

एनआईए भी कर सकती है दौरा

हमले की गंभीरता को देखते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस तो इसकी जांच कर ही रही है, साथ ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए भी मौका-विजिट कर सकती है। हमले में मारे गए जवानों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फिर से मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद मुक्त करने के अपने दावे को दोहराया है। गृह मंत्री ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि हम मार्च 2026 तक भारत की भूमि से नक्सलवाद को समाप्त करके ही रहेंगे। सरकार के इस दावों पर सिक्योरिटी एजेंसियों का कहना है कि पिछले 10 सालों में नक्सलवाद की कमर टूटी है। लेकिन बावजूद इसके अभी भी देश के नौ राज्यों में 38 जिले नक्सल प्रभावित हैं। इनमें सबसे अधिक नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ ही है। जहां बीजापुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, सुकमा और नारायणपुर समेत 15 जिले नक्सल प्रभावित हैं।

‘ड्रोन अटैक की इजाजत देनी चाहिए’

सिक्योरिटी एजेंसी के एक अधिकारी ने तो यहां तक कहा कि इस तरह के हमले का जवाब देने के लिए सरकार को नक्सलियों के खिलाफ ड्रोन अटैक की इजाजत देनी चाहिए। अधिकारी ने यह भी कहा कि यह भी सही है कि सुरक्षाबलों द्वारा नक्सलियों के खिलाफ किए जा रहे एक्शन से नक्सली बौखला रहे हैं। उन्होंने अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए ऐसी कायराना हरकत की है। लेकिन इसका जवाब देना होगा।

‘भविष्य के लिए और होना होगा सचेत’

अधिकारी ने यह भी कहा कि भविष्य में हमें और अधिक सचेत होना होगा, क्योंकि नक्सलियों को बारूदी सुरंग बनाने के लिए साधन मिल जा रहे हैं। इस बात को देखते हुए जब भी सुरक्षाबल नक्सलियों के खिलाफ कहीं कोई बड़ा एक्शन करें तो उनकी वापसी के साधन बुलेट प्रूफ वाहन या इस तरह से किए जाने चाहिए। जिसमें उनके वापसी का रास्ता किसी को पता ना लगे और अगर उनके उपर हमला किया भी जाए तो कम से कम क्षति हो। क्योंकि, यह हमला भी नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा में नक्सलियों के खिलाफ पांच दिनों तक किए गए संयुक्त ऑपरेशन के बाद डीआरजी की वापसी के समय हुआ।

मनीष अग्रवाल

लेखक के बारे में

मनीष अग्रवाल

मनीष अग्रवाल, नवभारत टाइम्स में असिस्टेंट एडिटर हैं। वह केंद्रीय गृह मंत्रालय, रेलवे और एविएशन मिनिस्ट्री के अलावा केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, पैरामिलिट्री फोर्स, सीबीआई, एनआईए, ईडी और भारतीय चुनाव आयोग भी कवर करते हैं। इससे पहले वह क्राइम, कस्टम और तिहाड़ जेल कवर करते थे। वह एनबीटी में 20 साल से भी अधिक समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं।… और पढ़ें

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