Tuesday, February 25, 2025
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चोट लगने के बाद दो मिनट में रुक जाएगा खून, आईआईटी कानपुर ने तैयार किया खास समुद्री घास का स्पंज!

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चोट लगने के बाद दो मिनट में रुक जाएगा खून, आईआईटी कानपुर ने तैयार किया खास समुद्री घास का स्पंज!

IIT Kanpur Research: आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने एक विशेष हेमोस्टैटिक स्पंज विकसित किया है, जो गंभीर चोटों या दुर्घटनाओं में तेजी से खून बहने को रोक सकता है। इस स्पंज की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह केवल दो मिनट के भीतर खून को रोकने में सक्षम है। इसे खासतौर पर सैनिकों, आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं, और सर्जरी के दौरान उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है।

हाइलाइट्स

  • आईआईटी कानपुर ने तैयार किया स्वदेशी रक्त रोकने वाला स्पंज
  • स्पंज से दो मिनट में रोका जा सकेगा खून का बहाव
  • समुद्री घास और सेलुलोस से बना है यह स्पंज
  • डीआरडीओ में इसके लिए पेटेंट दायर किया गया
IIT Kanpur Research
आईआईटी कानपुर अनुसंधान

सुमित शर्मा, कानपुर: आईआईटी कानपुर का दुनिया लोहा मान चुकी है। आईआईटी कानपुर ने एक स्पंज तैयार किया है, जो कैसी भी चोंट हो या फिर दुर्घटना दो मिनट में खून के बहाव (रक्त स्त्राव) को रोक देगा। सबसे खास बात है कि यह पूरी तरह से स्वदेशी है। वैज्ञानिकों ने इसका प्रयोग पहले चूहों और फिर जंगली जानवरों पर किए थे। अब इसका परीक्षण इंसानों पर करने की तैयारी है।

आईआईटी के इस प्रयोग का इस्तेमाल रक्षा क्षेत्रों में बखूबी किया जा रहा है। इसे चिकित्सा क्षेत्र में इस्तेमाल करने में छह महीने का समय लगेगा। इस स्पंज को समुद्री घास से तैयार किया गया है। इसमें लॉक (चिपकने वाला पदार्थ) का भी इस्तेमाल किया गया है। आईआईटी वैज्ञानिक कौशल शाक्य के मुताबिक मेरी लैब में पहले पॉलिमर पैकेजिंग का काम होता था।

चूहों-जानवरों पर परीक्षण

उन्होंने बताया कि इस दौरान खून सोखने वाले स्पंज पर रिसर्च शुरू किया। उन्होंने ने देखा कि कोई वस्तु पानी सोख सकती है, तो खून क्यों नहीं सोख सकती है। इसके बाद समुद्री घास और सेलुलोस का इस्तेमाल करते हुए स्पंज तैयार किया। इसके बाद इस स्पंज का परीक्षण जानवरों पर किया गया। जिसमें देखा गया कि स्पंज पूरी तरह से खून सोख रहा है।

समुद्री घास से बनाया गया स्पंज

अब इसका इस्तेमाल इंसानों पर करने की तैयारी की जा रही है। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर का कहना है कि समुद्र के किनारे पाई जाने वाली लाल घास आम घास की तुलना में मोटी और घनी होती है। जब इसमें सेलुलोस तो इसमें संरचनात्मक बदलाव आते हैं, जिसमें खून के कण फंस जाते हैं। जब इसे चोंट पर लगाया जाता है, तो खून का बहना बंद हो जाता है। इसके लिए डीआरडीओ में पेटेंट दायर किया गया है। आईआई टी कानपुर में इसके दो पेटेंट पहले ही दायर किए जा चुके हैं।

धीरेंद्र सिंह

लेखक के बारे में

धीरेंद्र सिंह

नवभारत टाइम्स डिजिटल में सीनियर कंटेंट प्रोड्यूसर हूं। यूपी और उत्तराखंड से जुड़ी राजनीतिक समेत अन्य खबरों पर काम करने की जिम्मेदारी है। इससे पहले की बात की जाए तो दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। 2014 से करियर की शुरूआत हुई और 8 साल से अधिक का अनुभव हो चुका है। इस दौरान दिल्ली, यूपी और जम्मू कश्मीर में रिपोर्टिंग करने का भी मौका मिला। टाइम्स ग्रुप से पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला, राजस्थान पत्रिका (डिजिटल), नवोदय टाइम्स, हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी समेत कुछ अन्य संस्थानों में काम किया है। अखबार और डिजिटल जर्नलिज्म की दुनिया में लिखने पढ़ने का काम जारी है।… और पढ़ें

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