Tuesday, February 25, 2025
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Home चीन छूटा पीछे, अब रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है भारत, इस नए रूट ने बदला गेम!

चीन छूटा पीछे, अब रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है भारत, इस नए रूट ने बदला गेम!

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नई दिल्‍ली: भारत रूस से तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग से परिवहन समय और लागत कम हुई है। कोयला, एलएनजी जैसे उत्पादों का व्यापार भी इस नए मार्ग से ही हो रहा है। यह मार्ग पारंपरिक मार्ग से 16 दिन कम समय लेता है। इससे भारत को रूसी तेल खरीदने में फायदा हो रहा है।

भारत और रूस के बीच व्यापार नए समुद्री रूट ‘ईस्टर्न मैरीटाइम कॉरिडोर’ के जरिए आसान हो गया है। खासकर तेल के आयात में इससे बहुत मदद मिली है। 2024 के मध्य में भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया। इसी समय यह नया रास्ता खुल गया। चेन्नई से व्लादिवोस्तोक तक के इस रास्ते से समय और पैसे दोनों की बचत हो रही है।

कच्चे तेल, कोयला और LNG जैसे उत्पादों का व्यापार इस रास्ते से शुरू हो चुका है। खाद और कंटेनर वाले सामान भी अब इसी रास्ते से भेजे जा रहे हैं। इस रास्ते से सामान की ढुलाई में लगने वाला समय 40 दिन से घटकर 24 दिन रह गया है।

केंद्रीय जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, ‘व्लादिवोस्तोक और चेन्नई के बीच ईस्टर्न मैरीटाइम कॉरिडोर चालू होने से कच्चा तेल, धातु आदि ले जाने वाले जहाज अब भारतीय बंदरगाहों पर आ रहे हैं। इस नए मार्ग ने दोनों देशों के बीच पारगमन समय को काफी कम कर दिया है।’

चीन छूट गया है भारत से पीछे

भारत चीन को पीछे छोड़कर 2024 के मध्य में रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया। इसी दौरान चेन्नई से व्लादिवोस्तोक तक के नए समुद्री रास्ते ने दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा दिया है। इस रास्ते से समय और लागत दोनों की बचत होती है। पारंपरिक रूप से मुंबई से सेंट पीटर्सबर्ग तक का समुद्री रास्ता 8,675 समुद्री मील लंबा था। इसमें 40 दिन या उससे अधिक समय लगता था। नया रास्ता चेन्नई से व्लादिवोस्तोक तक लगभग 5,600 समुद्री मील का है। इससे परिवहन समय 16 दिन तक कम हो गया है, यानी अब केवल 24 दिन लगते हैं।

इस नए रास्ते से कई तरह के सामानों का व्यापार शुरू हो गया है। शुरुआत में कच्चा तेल, कोयला और LNG का व्यापार हुआ। अब खाद और कंटेनर में बंद सामान भी इसी रास्ते से भेजे जा रहे हैं। जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस रास्ते के फायदों की पुष्टि की है।

एक बड़ा जहाज लगभग 45 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलता है। यह व्लादिवोस्तोक से चेन्नई तक की दूरी लगभग 12 दिनों में तय कर लेता है। यह पारंपरिक सेंट पीटर्सबर्ग-मुंबई मार्ग से लगने वाले समय का एक तिहाई से भी कम है। व्लादिवोस्तोक प्रशांत महासागर पर रूस का सबसे बड़ा बंदरगाह है। यह चीन-रूस सीमा से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है। भारत की तरफ चेन्नई और अन्य पूर्वी बंदरगाह जैसे पारादीप, विशाखापत्तनम, तूतीकोरिन, एन्नोर और कोलकाता का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रकार का सामान भेजा जा रहा है और उसका अंतिम गंतव्य क्या है।

क्‍या आयात और न‍िर्यात होता है?

जहाजरानी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में इस रास्ते से आयात किए गए प्रमुख सामानों में कच्चा तेल, प्रोजेक्ट सामान, कोयला और कोक, वनस्पति तेल और उर्वरक शामिल थे। रूस को निर्यात किए गए प्रमुख सामानों में प्रसंस्कृत खनिज, लोहा और इस्पात, चाय, समुद्री उत्पाद, और चाय-कॉफी शामिल थे। मात्रा के हिसाब से देखें तो आयात में कच्चा तेल, कोयला और कोक, उर्वरक, वनस्पति तेल और लोहा-इस्पात सबसे ज्यादा आयात किए गए। वहीं, निर्यात में प्रसंस्कृत खनिज, लोहा और इस्पात, चाय, ग्रेनाइट और प्राकृतिक पत्थर, प्रसंस्कृत फल और जूस प्रमुख थे।

साल के दूसरे भाग में भारतीय रिफाइनरियों के वार्षिक रखरखाव के कारण कच्‍चे तेल के आयात में कुछ कमी आई। कुल आयात में कमी के बावजूद रूस के कच्चे तेल यूराल्स का आयात अक्टूबर में चार महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर था। यूराल्स भारत की रूसी तेल खरीद का मुख्य आधार है। भारतीय रिफाइनरियों की ओर से आयात किए गए रूसी तेल का तीन-चौथाई हिस्सा यही है। हालांकि, कुछ अन्य रूसी कच्चे तेलों के आयात में तेजी से गिरावट आई।

पहले इराक और सऊदी अरब थे सबसे बड़े सप्‍लायर

यूक्रेन युद्ध से पहले इराक और सऊदी अरब भारत को कच्चे तेल के शीर्ष दो सप्‍लायर थे। लेकिन, जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए तो रूस ने अपने तेल पर छूट देनी शुरू कर दी। भारतीय रिफाइनरियों ने इसका फायदा उठाया। हालांकि, समय के साथ छूट कम हुई है। फिर भी भारतीय रिफाइनरियां रूसी तेल खरीदने में रुचि रखती हैं। कारण है कि बड़ी मात्रा में आयात के कारण कम छूट पर भी काफी बचत होती है। नए मार्ग से शिपिंग लागत में बचत होने से रूसी तेल और भी आकर्षक हो जाता है।

भारत के लिए रूस के साथ संबंध केवल तेल व्यापार से आगे बढ़कर कई फायदे प्रदान करते हैं। रणनीतिक रूप से अधिक जुड़ाव रूस के चीन की ओर झुकाव को कम करने में मदद करता है। भारत अपनी सेना को बनाए रखने और परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों पर सहयोग के लिए भी रूस पर निर्भर है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2025 में भारत का दौरा करने वाले हैं।

अमित शुक्‍ला

लेखक के बारे में

अमित शुक्‍ला

पत्रकारिता और जनसंचार में पीएचडी की। टाइम्‍स इंटरनेट में रहते हुए नवभारतटाइम्‍स डॉट कॉम से पहले इकनॉमिकटाइम्‍स डॉट कॉम में सेवाएं दीं। पत्रकारिता में 15 साल से ज्‍यादा का अनुभव। फिलहाल नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में असिस्‍टेंट न्‍यूज एडिटर के रूप में कार्यरत। टीवी टुडे नेटवर्क, दैनिक जागरण, डीएलए जैसे मीडिया संस्‍थानों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के साथ भी काम किया। इनमें शिमला यूनिवर्सिटी- एजीयू, टेक वन स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (नोएडा) शामिल हैं। लिंग्विस्‍ट के तौर पर भी पहचान बनाई। मार्वल कॉमिक्स ग्रुप, सौम्या ट्रांसलेटर्स, ब्रह्मम नेट सॉल्यूशन, सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी और लिंगुअल कंसल्टेंसी सर्विसेज समेत कई अन्य भाषा समाधान प्रदान करने वाले संगठनों के साथ फ्रीलांस काम किया। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। देश-विदेश के साथ बिजनस खबरों में खास दिलचस्‍पी।… और पढ़ें

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