Thursday, November 28, 2024
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चिन्मय कृष्ण मामले में क्या-क्या हुआ?: बांग्लादेश में संत को जेल, प्रदर्शन से पीएम मोदी-जयशंकर की मुलाकात तक

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टाइमलाइन

चिन्मय कृष्ण मामले में क्या-क्या हुआ?: बांग्लादेश में संत को जेल, प्रदर्शन से पीएम मोदी-जयशंकर की मुलाकात तक

बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का मुद्दा चर्चा में है। हिंदू संत के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक सड़कों पर उतर आए हैं। अब यह मामला भारत में भी गरमा गया है। भारत सरकार लगातार इस मुद्दे पर नजर बनाए हुए है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बांग्लादेश के हालात की जानकारी दी है। इससे पहले विदेश मंत्रालय ने चिन्मय कृष्ण की गिरफ्तारी पर चिंता जताई थी।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के विरोध में भारत में भी प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। इस मामले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है भारत सरकार यह मामला बांग्लादेश के सामने उठाए। 

आइये टाइमलाइन के जरिए जानते हैं कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का मामला क्या है? उन्हें कब और क्यों गिरफ्तार किया गया? भारत सरकार ने घटना पर क्या प्रतिक्रिया दी? भारत में कहां-क्या विरोध हो रहा है? भारत बांग्लादेश के हालातों पर कैसे नजर बनाए हुए है? 

  • बांग्लादेश में हिंदू संत की गिरफ्तारी पर बवाल

    25 नवंबर
    बांग्लादेश में इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को सोमवार (25 नवंबर) को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। सोमवार दोपहर को चिन्मय कृष्ण ब्रह्मचारी को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा क्षेत्र से गिरफ्तार किया था। बांग्लादेशी अधिकारियों का दावा है कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी 30 अक्तूबर को उनके खिलाफ दर्ज मामले में की गई। दरअसल, 25 अक्तूबर को चिन्मय और 18 अन्य लोगों पर चटगांव के न्यू मार्केट चौराहे पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप लगा था। वहीं 30 अक्टूबर की रात को कोतवाली थाने में चिन्मय और 18 अन्य लोगों के खिलाफ देशद्रोह के तहत मामला दर्ज किया गया था।

    चिन्मय कृष्ण दास, जिन्हें ब्रह्मचारी चंदन कुमार धर, सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता और चटगांव इस्कॉन के नेता हैं। इस्कॉन चटगांव के मुताबिक, 37 साल के चिन्मय कृष्ण चटगांव के सतकानिया उपजिला से हैं। वे अपने धार्मिक भाषणों के लिए जाने जाते हैं। चिन्मय कृष्ण दास इसी साल अगस्त में बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद सुर्खियों में आए थे। दरअसल, 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। देश में सत्ता परिवर्तन होने के साथ ही बड़े पैमाने पर हिंदू घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ की गई। इसके जवाब में सनातन जागरण मंच शुरू किया गया और चिन्मय दास को इसका प्रवक्ता नियुक्त किया गया। बांग्लादेश में फैली अशांति के बीच हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर इस मंच के द्वारा हिंदुओं की आवाज को उठाया जाता है। बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हुई हिंसा के खिलाफ एक प्रमुख आवाज बनकर उभरे चिन्मय की सोमवार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हो गई जिस पर अब बवाल मचा हुआ है।

  • 26 नवंबर
    मंगलवार दोपहर (26 नवंबर) को एक अदालत ने चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया। उधर चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में विरोध भी शुरू हो गया। मंगलवार दोपहर और शाम को देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन और रैलियां आयोजित की गईं। राजधानी ढाका, चटगांव, फेनी, फरीदपुर, झलकाठी, चांदपुर, जहांगीरनगर, खुलना, बारीसाल, राजशाही समेत कई शहरों में हिंदू समुदाय के लोग सड़क पर उतरे। 

    26 नवंबर की दोपहर को चटगांव में कानून प्रवर्तन एजेंसियों, वकीलों और बांग्लादेश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के अनुयायियों के बीच झड़प हो गई। प्रदर्शन के दौरान सहायक सरकारी वकील सैफुल इस्लाम की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए। घायलों में श्रीबास दास, शरकू दास, छोटन, सुजीत घोष, उत्पल और एनामुल हक शामिल हैं।

    मंगलवार को भारत सरकार ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर पहली बार प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने चिन्मय कृष्ण की गिरफ्तारी और जमानत न दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की। इसने कहा, ‘यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमलों के बाद हुई है। हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की आजादी का उनका हक भी शामिल है।’

    वहीं, 26 नवंबर की देर रात बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय भारत की तरफ से दिए गए बयान का विरोध करते हुए इसे ‘बांग्लादेश का आंतरिक मामला’ कह दिया। मंत्रालय ने कहा कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

  • 27 नवंबर
    बांग्लादेश में गिरफ्तार हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग को लेकर भारत में भी विरोध शुरू हो गया। भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने मंगलवार (26 नवंबर) को राज्य की विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और हिंदू संत की रिहाई की मांग की। अगले दिन यानी बुधवार (27 नवंबर) को भाजपा विधायकों ने कोलकाता में बांग्लादेश उप उच्चायोग के बाहर घेराव किया। 

    इसके अलावा बुधवार को ही भाजपा, कांग्रेस, आप, टीएमसी समेत कई पार्टियों ने इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की। देश की मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने ‘बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सामने आ रहे असुरक्षा के माहौल’ पर गहरी चिंता व्यक्त की। पार्टी ने कहा कि इस्कॉन संत की गिरफ्तारी इसका ताजा उदाहरण है। कांग्रेस ने कहा कि उसे उम्मीद है कि भारत सरकार बांग्लादेश सरकार पर आवश्यक कदम उठाने और अल्पसंख्यकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव डालेगी।

    बुधवार को आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने हिंदू संत के साथ एकजुटता व्यक्त की और उनकी गिरफ्तारी को ‘अन्यायपूर्ण’ करार दिया। उन्होंने केंद्र सरकार से मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की। भाजपा सांसद और त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लब कुमार देब ने भी चिन्मय दास की गिरफ्तारी की घटना की निंदा की और बांग्लादेश की ‘अलोकतांत्रिक’ होने की आलोचना की। इस बीच, आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने भी इस्कॉन के संत की गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश सरकार से हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार रोकने का आग्रह किया। 

    बांग्लादेश में हिंदू भिक्षु प्रभु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर भारत और बांग्लादेश के अलावा अन्य देशों में भी विरोध प्रदर्शन हुए। फिनलैंड के हेलसिंकी और अमेरिका के न्यूयॉर्क में भारतीयों का एक समूह हिंदू धार्मिक नेता के समर्थन में इकट्ठा हुआ और अपनी एकजुटता व्यक्ति की।

    27 नवंबर को 68 अवकाशप्राप्त जजों और अधिकारियों व एक सांसद ने बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी, वहां हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव के लगातार बढ़ते मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दखल देने की अपील की। मोदी सरकार से इन अधिकारियों और जजों ने बांग्लादेश मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने और चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई सुनिश्चित करने की मांग की।

  • 28 नवंबर
    गुरुवार को बांग्लादेश सरकार को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब ढाका उच्च न्यायालय ने इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया। बुधवार को दाखिल एक याचिका में उच्च न्यायालय के वकील मोहम्मद मोनिरउद्दीन ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। 

    उधर स्कॉन संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का मुद्दा भारत में लगातार छाया हुआ है। गुरुवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में बांग्लादेश मुद्दे पर बात की और कहा कि वह इस मामले में केंद्र के साथ हैं। सीएम ममता ने कहा, ‘हम नहीं चाहते कि किसी भी धर्म को चोट पहुंचे। मैंने इस्कॉन से बात की। यह एक दूसरे देश का मामला है और केंद्र सरकार को इसके खिलाफ उचित कारर्वाई करनी चाहिए। हम इस मुद्दे में केंद्र सरकार के साथ हैं।’

    गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की और पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदू सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले के मुद्दे पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी और चटगांव जिले में मंदिर को नुकसान पहुंचाने के मुद्दों पर भी बात की। मुलाकात के बाद जयशंकर शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों को इस मुद्दे पर जानकारी दे सकते हैं। 

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