करनाल में चलाता था छोटा सा सैलून, इटली जाने के लिए किया था यह खेल, 10 साल बाद किस्मत में मारी फिर गुलाटी, और फिर…
IGI Airport: करनाल के एक छोटे से गांव में छोटा सा सैलून चलाने वाले मदन लाल ने एक एजेंट की मदद से एक ऐसा खेल खेला कि वह न केवल इटली पहुंच गया, बल्कि दस सालों तक मनचाही जिंदगी जीता रहा. अपने इस खेल को छिपाने के लिए इटली में बैठे मदनलाल ने एक नया खेल खेला, लेकिन इस बार किस्मत ने गुलाटी मार दी और उससे एक छोटी सी गलती हो गई. मदन लाल की इसी गलती ने उसे सलाखों के पीछे तक पहुंचाने का काम किया.
आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस उपायुक्त उषा रंगनानी ने बताया कि आरोपी मदन लाल को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया है. वह मूल रूप से हरियाणा के करनाल जिले के अंतर्गत परवाला गांव का रहने वाला है. दस साल पहले वह इसी गांव में एक छोटा सा सैलून चलाकर अपना गुजर बसर कर रहा था. उस वक्त, मदन लाल आसानी से मोटी कमाई का कोई ऐसा जरिए खोज रहा था, जिससे वह अपने तमाम अरमानों को पूरा कर सके.
उन्होंने बताया कि मदन लाल के दिमाग में यह बात अच्छी तरह से घर कर चुकी थी कि उसकी यह चाहत विदेश जाकर ही पूरी हो सकती है. एक दिन उसने अपनी इस चाहत के बारे में अपने एक दोस्त से चर्चा की. इसी चर्चा के दौरान, उसके दोस्त ने बताया कि वह एक ऐसे शख्स को जानता है जो उसकी विदेश जाने में मदद कर सकता है. कुछ दिनों बाद, वह अपने दोस्त की मदद से सतीश कुमार नामक एक एजेंट से मिला, जिसने 12 लाख रुपए के एवज में इटली भेजने का भरोसा दे दिया.
इस बड़े खेल का पहला स्टॉप था अबूधाबीडीसीपी उषा रंगनानी के अनुसार, डील के तहत मदन लाल ने 12 लाख रुपए सतीश कुमार को सौंप दिए और इटली जाने की तैयारी में लग गया. कुछ दिनों बात सतीश कुमार ने अपने सहयोगियों की मदद से सुल्तान नाम के जारी एक पासपोर्ट हासिल किया और मदन लाल को सौंप दिया. इस पासपोर्ट पर इटली का वर्क वीजा भी लगा हुआ था. 2014 में सुल्तान के पासपोर्ट पर सफर कर आरोपी मदन लाल अबूधाबी पहुंच गया.
इटली पहुंचने के बाद शुरू हुआ एक नया खेल
सुल्तान के नाम से जारी इसी पासपोर्ट के जरिए मदन लाल को सतीश कुमार की सहयोगियों ने अबूधाबी से सफलतापूर्वक इटली पहुंचा दिया. इटली पहुंचने के बाद मदन लाल ने सुल्तान के पासपोर्ट को सतीश के सहयोगियों को सौंप दिया. इसके बाद, 2016 में शुरू हुआ इस खेल का दूसरा चरण. 2016 में मदन लाल ने पहले अपने पासपोर्ट के खोने की दर्ज कराई और फिर एजेंट सतीश की मदद से अपने असली नाम यानी मदन लाल के नाम नया पासपोर्ट जारी करा लिया.
स्वदेश वापसी पर भारी पड़ी अपनी चालाकी
देखते ही देखते मदन लाल को इटली के रोम शहर में रहते हुए दस साल से अधिक का समय बीत गया. इस दस सालों में उसका वर्क वीजा लगातार रिन्यू होता रहा. इस सब के बाद मदन लाल को लगा कि भारत में भी यह मामला पूरी तरह से दब चुका होगा. लिहाजा, उसने परिजनों से मिलने के लिए भारत आने की तैयारी कर ली. वहीं, आईजीआई एयरपोर्ट पर कदम रखते हुए उसकी दस साल पुरानी गुस्ताखी सामने आ खड़ी हुई और उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
आईजीआई एयरपोर्ट पर कैसे खुली पोल
आईजीआई एयरपोर्ट पर कैसे खुली मदन लाल की पोल, जानने के लिए ‘एयरपोर्ट पर हुई पुरानी ‘गुस्ताखी’ से मुलाकात, 10 साल बाद एक बार फिर बदले हालात, साहब का छूटा पसीना और मिली हावालात’ पर क्लिक करें.
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FIRST PUBLISHED :
April 30, 2024, 18:48 IST