शुक्रवार रात को चार दिवसीय प्रवास पर ग्वालियर पहुंचे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रेलवे स्टेशन पर ही मीडिया से बात की।
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उन्होंने हाल ही में मध्यप्रदेश के विजयपुर में हुए उपचुनाव में वन मंत्री रामनिवास रावत की हार पर कहा है कि हमें चिंतन करना होगा। यह हार चिंता की बात है। साथ ही उन्होंने उनके वहां प्रचार न करने पर कहा कि यदि मुझे कहा होता, तो मैं वहां जरूर जाता। मैं जनता का सेवक हूं।
इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र में भाजपा की जीत को अभूतपूर्व जीत बताते हुए कहा है कि यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विश्वास के कारण ही संभव हुआ है। महाराष्ट्र की जनता को दिल की गहराई से सिंधिया ने धन्यवाद दिया।
उनका कहना है कि शासन और प्रशासन के साथ ही मोदी की नीतियों को जनता ने सम्मानित किया है। 80% सीटें किसी भी गठबंधन को नहीं मिली हैं, जो इस बार महायुती गठबंधन को महाराष्ट्र में मिली हैं। इस विश्वास पर हम खरे भी उतरेंगे।
जीते तो ठीक, न जीतो तो EVM में गड़बड़ी
चुनाव में हार के बाद विपक्ष का EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर दोष मढ़ने पर केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा कि जीतो तो ठीक, न जीतो तो किसी और के ऊपर मटका फोड़ दो। यह कब तक चलता रहेगा? उनका कहना है कि जो लोग अपने आप को पहचानते नहीं हैं, जो लोग अपनी कमियों को देखना नहीं चाहते हैं, उन्हें कौन मदद कर सकता है।
ग्वालियर-चंबल रेल लाइन पर भी बोले-सर्वे चल रहा है
ग्वालियर-चंबल अंचल की रेल लाइन को लेकर उन्होंने कहा कि लाइन का सर्वे चल रहा है। पिपरई से लेकर चंदेरी तक लाइन का सर्वे हो रहा है। मैं इसके लिए दिल की गहराइयों से प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद देना चाहता हूं। उन्होंने सर्वे की स्वीकृति दी है। सर्वे के बाद जो परिणाम निकलेंगे, उसके आधार पर हम काम करेंगे। इस पूरे क्षेत्र के लिए यह बहुत बड़ी सौगात है, क्योंकि पिछले 50 सालों से इसके लिए मांग उठ रही थी और उस काम की शुरुआत आज हुई है।
मणिपुर हिंसा पर कहा – विपक्ष लोकतंत्र को नष्ट करना चाहता है
सिंधिया ने मणिपुर हिंसा को लेकर कहा कि विपक्ष की यही बात है कि वह प्रजातंत्र को नष्ट करना चाहता है। उनकी सोच कभी सकारात्मक नहीं रही है, उनसे कोई अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सरकार देश को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। हाल ही में वह यूरोप से भी लौट कर आए हैं। कई देशों के लोग प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व की तारीफ कर रहे हैं। लेकिन लोकतंत्र के मंदिर को भंग करने की विपक्ष कोशिश कर रहा है और उसमें भी कोई एकता नजर नहीं आ रही है।
कई दल चाहते हैं कि संसद चले, लेकिन एक दल ऐसा भी है जो संसद को चलने देना नहीं चाहता है। लेकिन उनको लगातार तीन बार जनता ने जवाब दिया है।