Edited byराहुल महाजन | नवभारत टाइम्स 8 May 2024, 5:41 am
बारामती में पिछले 57 साल से शरद पवार का वर्चस्व है। लाख कोशिशों के बावजूद बीजेपी आज तक पवार का अभेद्य किला भेद नहीं पाई थी, लेकिन भतीजे अजित ने बगावत कर पार्टी पर कब्जा कर लिया।
हाइलाइट्स
- महाराष्ट्र 11 सीटों पर सबसे कम वोटिंग बारामती में
- राज्य में 53.40 प्रतिशत वोटिंग, बारामती में 45.68 प्रतिशत
- सांसद सुप्रिया सुले का मुकाबला अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार से
बृजेश त्रिपाठी, बारामती: पिछले दो चरणों की तरह तीसरे चरण में भी महाराष्ट्र में कम वोटिंग हुई। पूरे देश की निगाह बारामती लोकसभा सीट पर टिकी हुई थी। शरद पवार और अजित पवार में अलगाव के बाद हो रहे पहले चुनाव में बारामती के मतदाता क्या प्रतिक्रिया देते हैं, यह जानने की उत्सुकता सभी को है। बारामतीवासियों ने 7 मई को कम वोटिंग कर यह मैसेज सीनियर और जूनियर दोनों पवार तक पहुंचा दिया कि उन्हें पवार परिवार की लड़ाई पसंद नहीं आई है। आलम यह रहा कि ज्यादातर मतदाता वोटिंग के लिए घर से ही नहीं निकले। शाम 5 बजे तक जहां राज्य में वोटिंग का औसत 53.40 प्रतिशत रहा, वहीं बारामती में सिर्फ 45.68 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। बता दें कि इस सीट पर मौजूदा सांसद सुप्रिया सुले का मुकाबला अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार से है।
स्थानीय पत्रकार निलेश भुसे ने बताया कि पवार परिवार में हुए विवाद से बारामती वालों को बड़ा धक्का लगा है। बारामतीवासियों की नजर में आज भी शरद पवार ही सुपीरियर हैं, जबकि भविष्य में इस रोल में लोग सुप्रिया और अजित को देखना चाहते थे। लेकिन अचानक हुए बड़े बदलाव से लोग हतप्रभ हैं।
आरोप-प्रत्यारोप निचले स्तर तक पहुंचे
बारामती सीट पर हुए चुनाव में प्रचार के दौरान आरोप-प्रत्यारोप काफी निचले स्तर तक पहुंच गए। यह भी बारामती वालों को पसंद नहीं आया। वहीं इमोशनल अपील, आंसू और विकास का वादा भी लोगों को पोलिंग बूथ तक खींचने में असफल रहा। सुनेत्रा के बारामती से उम्मीदवार बनने पर शरद पवार ने उन्हें बाहरी कहा था, जबकि अजित पवार ने जवाबी हमले में कहा कि घर की मालिक बनने के लिए बहू को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा। वहीं शरद पवार गुट के रोहित पवार के भाषण देते समय आंसू छलक पड़े। जिसका अभिनय करते हुए अजित पवार ने एक तरह से मजाक उड़ाया।
पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी नहीं दिखाया उत्साह
एनसीपी में दो फाड़ होने के बाद कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं दिखाई दिया। उन्होंने वोटरों को मतदान के लिए घर से निकालने की भी कोशिश नहीं की। स्थानीय पत्रकार अमोल तोरणे ने कहा कि बारामती में ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि वोटरों में कोई उत्साह ही नहीं था। कौन जीतेगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है, कोई कुछ बोल नहीं रहा है, यहां साइलेंट वोटिंग हुई है। खड़गवासला, भोर, मुर्शी और पुरंदर में जो लीड लेगा, वही विजेता बनेगा।